योगी सरकार को हाईकोर्ट से झटका : 'लास्ट कम फर्स्ट आउट' ट्रांसफर पॉलिसी को भेदभावपूर्ण करार दिया

UPT | प्रतीकात्मक फोटो

Nov 08, 2024 15:59

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार के 'लास्ट कम फर्स्ट आउट' (LCFO) ट्रांसफर पॉलिसी को रद्द करते हुए इसे भेदभावपूर्ण और अनुचित करार दिया है...

Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार के 'लास्ट कम फर्स्ट आउट' (LCFO) ट्रांसफर पॉलिसी को रद्द करते हुए इसे भेदभावपूर्ण और अनुचित करार दिया है। इस फैसले ने राज्य सरकार को एक करारा झटका दिया है, क्योंकि कोर्ट ने इसे शिक्षकों के बीच समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन माना।

याचिकाकर्ता की दलील
याचिकाकर्ता पुष्कर चंदेल ने कोर्ट में यह दलील दी कि इस नीति के कारण केवल नए शिक्षक प्रभावित होंगे और यह नीति उनके खिलाफ भेदभाव करती है। उन्होंने यह भी कहा कि यह शिक्षकों के सर्विस रूल्स के खिलाफ है। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने यह आरोप भी लगाया कि इस नीति में शिक्षा के अधिकार अधिनियम का उल्लंघन किया गया है।

राज्य सरकार का पक्ष
राज्य सरकार ने अपनी दलील में कहा कि यह नीति शिक्षकों और छात्रों के अनुपात को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। सरकार ने यह भी तर्क दिया कि याचिकाकर्ताओं को इस ट्रांसफर नीति को चुनौती देने का कोई अधिकार नहीं है।



यह कहा कोर्ट ने
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की दलील को स्वीकार करते हुए कहा कि इस पॉलिसी में सर्विस टाइम को आधार बनाना उचित नहीं है। कोर्ट के मुताबिक इससे केवल जूनियर शिक्षकों को ही ट्रांसफर का सामना करना पड़ेगा, जबकि सीनियर शिक्षक जिनका स्थानांतरण नहीं होगा, वे अपने स्कूलों में बने रहेंगे। कोर्ट ने इसे शिक्षकों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार और संविधान में दिए गए समानता के अधिकार का उल्लंघन माना।

कोर्ट का अंतिम फैसला
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 26 जून 2024 के शासनादेश और बेसिक शिक्षा विभाग के 28 जून 2024 के सर्कुलर को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इन आदेशों में ऐसा कोई वाजिब कारण नहीं था, जिसके आधार पर ट्रांसफर पॉलिसी में सर्विस टाइम को प्राथमिकता दी जा सके। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर यह पॉलिसी जारी रहती है तो जूनियर शिक्षकों का ही स्थानांतरण होता रहेगा, जबकि सीनियर शिक्षक अपने स्कूलों में स्थिर रहेंगे।

क्या है 'लास्ट कम फर्स्ट आउट' नीति
इस नीति के तहत जून 2024 में उत्तर प्रदेश सरकार ने प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों और छात्रों के अनुपात को बनाए रखने के लिए यह नियम लागू किया था। इसके अनुसार नये शिक्षक जो हाल में भर्ती हुए हैं उनका ही तबादला किया जाएगा। जबकि वरिष्ठ शिक्षक जो कई सालों से उसी स्कूल में कार्यरत हैं उन्हें स्थानांतरण से छूट दी जाएगी। सरकार का तर्क था कि यह नीति स्कूलों में शिक्षक-छात्र अनुपात को संतुलित रखने के लिए आवश्यक है।

Also Read