'दृष्टि IAS' ने छात्रों का किया समर्थन : कहा- विद्यार्थियों की चिंता और मांग जायज, लेकिन कानून के दायरे में रहकर ही...

UPT | UPPSC परीक्षा विवाद

Nov 13, 2024 14:23

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) द्वारा आयोजित की जा रही पीसीएस 2024 और आरओ-एआरओ 2023 की प्रारंभिक परीक्षाओं के खिलाफ प्रतियोगी अभ्यर्थियों का आंदोलन तीसरे दिन भी जारी है...

Prayagraj News : उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) द्वारा आयोजित की जा रही पीसीएस 2024 और आरओ-एआरओ 2023 की प्रारंभिक परीक्षाओं के खिलाफ प्रतियोगी अभ्यर्थियों का आंदोलन तीसरे दिन भी जारी है। इसी बीच मंगलवार को दृष्टि IAS की भी प्रतिक्रिया सामने आई। टीम दृष्टि ने छात्रों की मांगों को उचित बताया है। इसके साथ ही छात्रों से निवेदन भी किया है।

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आयोग प्रिलिम्स के परिणाम को दोगुना कर दे : दृष्टि आईएएस
दृष्टि आईएएस ने छात्रों के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा परीक्षा के नए फॉर्मेट के विरुद्ध चल रहे आंदोलन में विद्यार्थियों की चिंता और मांग जायज़ है। यह पूरी तरह न्यायसंगत है कि प्रिलिम्स की परीक्षा एक ही पाली में आयोजित हो और विद्यार्थियों को नॉर्मलाइज़ेशन के भय से मुक्ति मिले। एक विद्यार्थी की ओर से अच्छा सुझाव यह आया है कि अगर परीक्षा दो पालियों में आयोजित करने की मजबूरी है तो आयोग प्रिलिम्स के परिणाम को दुगुना कर दे अर्थात दोनों पालियों से उतने-उतने विद्यार्थियों को चुने जितने कुल चुने जाने थे।



टीम दृष्टि छात्रों की उचित मांग के समर्थन में...
आगे लिखा कि मुख्य परीक्षा आयोजित करना ज़्यादा मुश्किल नहीं होगा और विद्यार्थियों के मन से यह शंका भी निकल जाएगी कि नॉर्मलाइज़ेशन से उन्हें नुकसान हुआ है। मुश्किल स्थितियों में मौलिक समाधान अपेक्षित होते हैं। सबसे अच्छा यह होगा कि निर्णय प्रक्रिया में विद्यार्थियों को भागीदार बनाया जाए। जो युवा कुछ समय बाद प्रशासन चलाएंगे, क्या वे अभी एक समस्या के समाधान में हिस्सेदार नहीं हो पाएंगे? टीम दृष्टि छात्रों की उचित मांग के समर्थन में है। निवेदन है कि वे अपनी मांगों को कानून के दायरे में रहकर ही उठाएँ।

इन राजनीतिक दलों ने किया समर्थन
वही दृष्टि आईएएस के अलावा कांग्रेस, सपा और बीएसपी के नेताओं ने आंदोलन कर रहे छात्रों का समर्थन किया है। मंगलवार को यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी छात्रों के समर्थन में नजर आए। डिप्टी सीएम ने कहा कि अधिकारी छात्रों की मांगों को संवेदनशीलता से सुनें और शीघ्र समाधान निकालें। सुनिश्चित करें कि छात्रों का कीमती समय आंदोलन में नहीं, बल्कि उनकी तैयारी में लगे। वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव का कि योगी बनाम प्रतियोगी छात्र जैसा माहौल है। अयोग्य लोगों का अयोग्य आयोग नहीं चाहिए, जैसे आरोप बताते हैं कि रोजगार और शिक्षा की समस्याओं ने सरकार के प्रति विश्वास को हिलाकर रख दिया है।

अभ्यर्थियों की मुख्य मांगें
प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों की मुख्य मांग है कि यूपी पीसीएस 2024 और आरओ-एआरओ 2023 की प्रारंभिक परीक्षाओं को एक ही दिन और एक ही शिफ्ट में आयोजित किया जाए। उनका कहना है कि दो अलग-अलग दिनों में परीक्षा आयोजित करने से नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया लागू होगी। जिसका नकारात्मक प्रभाव उनके परिणामों पर पड़ेगा। नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया में विभिन्न शिफ्टों के बीच प्रश्न पत्र की कठिनाई में भिन्नता को ध्यान में रखते हुए छात्रों के अंक तय किए जाते हैं। अभ्यर्थियों का कहना है कि अगर परीक्षा दो शिफ्टों में होती है तो एक शिफ्ट में प्रश्न आसान और दूसरी शिफ्ट में कठिन हो सकते हैं। इस स्थिति में आयोग नॉर्मलाइजेशन का सहारा लेकर परिणाम तय करेगा। जिससे कुछ अच्छे छात्र प्रभावित हो सकते हैं। उनके मुताबिक इससे न केवल उनके परिणाम पर प्रतिकूल असर पड़ेगा बल्कि भ्रष्टाचार का भी अवसर पैदा होगा। 

आयोग ने बताया केंद्रों की कमी को वजह
वहीं यूपी लोक सेवा आयोग का कहना है कि वह अभ्यर्थियों की मांग को समझता है लेकिन उनके पास केंद्रों की कमी है। आयोग का कहना है कि छह लाख से अधिक अभ्यर्थियों की परीक्षा एक साथ कराना संभव नहीं है, क्योंकि पर्याप्त परीक्षा केंद्रों की संख्या उपलब्ध नहीं है। हालांकि, अभ्यर्थियों का यह तर्क है कि इससे पहले आयोग ने इतने बड़े पैमाने पर परीक्षा आयोजित की है और इस बार क्यों नहीं किया जा सकता, यह सवाल उठाया जा रहा है।

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