Prayagraj News : हॉस्पिटल में चूहे खा रहे है दवाई, हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान

Uttar Pradesh Times | एसआरएन अस्‍पताल का मामला

Jan 19, 2024 17:45

संगम नगरी प्रयागराज में मेडिकल कॉलेज द्वारा संचालित स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में चूहों का आतंक इस कदर फैला है, कि इलाहाबाद हाईकोर्ट को मामले में दखल देना पड़ गया। पढ़‍ि‍ये पूरी खबर...

Prayagraj News : संगम नगरी प्रयागराज में मेडिकल कॉलेज द्वारा संचालित स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में चूहों का आतंक इस कदर फैला है, कि इलाहाबाद हाईकोर्ट को मामले में दखल देना पड़ गया। बताया जा रहा है कि हाईकोर्ट ने चूहों के आतंक के चलते मरीजों और अस्पताल को हो रही परेशानी तथा सरकारी रकम के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए इस मामले में स्वत: संज्ञान ल‍िया। कोर्ट ने सुओ मोटो लेते हुए खुद सुनवाई की है और दिशा निर्देश जारी किये हैं। जान‍िए क्‍या है पूरा मामला।

कोर्ट तक पहुंचा चूहों का मामला
एसआरएन में चूहों का मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया। जहां अदालत ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए अपने आदेश में कहा है, कि यह सार्वजनिक महत्व से जुड़ा हुआ बेहद संवेदनशील मामला है। इसलिए उसे खुद ही इस मामले में दखल देना पड़ रहा है। जिसके चलते अस्पताल प्रशासन को अब चूहों को पकड़ने का काम भी मिल गया है। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने पहले ही साफ-सफाई और देखरेख करने का काम एक एजेंसी को दे रखा है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद एजेंसी को और सक्रिय होकर बेहतर तरीके से काम करने का फरमान जारी किया गया है।

चूहों को पकड़ने की जुगत
बता दें क‍ि एसआरएन अस्पताल के जिम्मेदार लोग अदालत की दखल के बाद अब खुद ही दवाओं के स्टोर रूम का निरीक्षण और मॉनिटरिंग कर रहे हैं। स्टोर रूम में जगह-जगह रैट पैड लगाए जा रहे हैं, ताकि चूहे उनमें चिपक जाए और उन्हें पकड़ा जा सके। स्टोर रूम के बाहर ब्लीचिंग पाउडर व दूसरे केमिकल का छिड़काव किया जा रहा है, ताकि चूहे व दूसरे जीव जंतुओं पर अंकुश लगाया जा सके। हॉस्पिटल कैंपस में चलने वाले मेडिकल स्टोर में कई चूहे दानियां रख दी गई है। मरीजों को बचा हुआ खाना डस्टबिन में डालने के ल‍िए पोस्टर तैयार किए गए हैं। साथ ही तीमारदारों से वार्ड के बजाय रैन बसेरे में खाना खाने की अपील की जा रही है। दवाओं और दूसरे सामानों के लिए नई अलमारियां भी खरीदे जाने का फैसला किया गया है। 

यह है पूरा मामला
बता दें क‍ि प्रयागराज से प्रकाशित होने वाले एक अखबार ने चूहों के आतंक की वजह से सरकारी दवाओं का हो रहा नुकसान और मरीजों को हो रही परेशानी की खबर प्रकाशित की थी। जिसके चलते हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की डिवीजन बेंच ने इस खबर को आधार बनाकर मामले में सुओ मोटो लिया। हाईकोर्ट ने इस मामले में सीधे तौर पर सुनवाई की और चूहों के आतंक पर चिंता जताई। अदालत ने इसे सार्वजनिक महत्व का मामला बताते हुए, जिम्मेदार लोगों से जवाब तलब किया और व्यवस्था में सुधार करने की हिदायत दी। अदालत ने इस मामले को जनहित याचिका के तौर पर कायम करने के निर्देश दिए और फिर से सुनवाई के लिए 12 फरवरी की तारीख तय की। 

इनका दावा है
अस्पताल में ही अमृत फार्मेसी चलाने वाले विनय का दावा है, कि चूहों ने इस कदर आतंक मचा रखा है, कि उन्हें हर महीने हजारों रुपए का नुकसान उठाना पड़ता है। अपने मेडिकल स्टोर में उन्होंने चूहों की रोकथाम के लिए कई चूहे दानी लगा रखी हुई हैं। कई जगहों पर रैट पैड लगाए हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद रात के वक्त चूहे दवाओं को खराब कर ही देते हैं। वहीं दूसरी तरफ अस्पताल के सीएमएस डॉ. एके सक्सेना का दावा है, कि इक्के दुक्के चूहे ही अस्पताल परिसर में है। यह चूहे भी मरीजों द्वारा बचे हुए खाने को ऐसे ही फेंक देने की वजह से बने रहते हैं। उनके मुताबिक अस्पताल प्रशासन इस समस्या को लेकर पहले ही गंभीर था। हाईकोर्ट के दखल के बाद अब और सक्रिय होकर काम किया जा रहा है। वैसे इलाहाबाद हाईकोर्ट के सुओ मोटो लेने के बाद हमारी टीम अस्पताल पहुंची तो, वहां वार्डों के बाहर कई जगहों पर कुत्ते घूमते हुए नजर आए, जबकि कैंपस में गाय और सांड टहलते हुए दिखाई दिए।
 

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