श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मामला : कोर्ट ने सभी पक्षों को आपत्ति दाखिल करने का दिया समय, अगली सुनवाई 22 फरवरी को होगी

UPT | हिंदू पक्ष की वकील रीना एन सिंह

Jan 30, 2024 18:20

मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में दाखिल अर्जियों पर मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। जहां हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को आपत्ति दाखिल करने का समय दिया है।

Prayagraj News : मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में दाखिल अर्जियों पर मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। जहां हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को आपत्ति दाखिल करने का समय दिया है। हालांकि रेवेन्यू सर्वे मामले में दाखिल अर्जी पर अदालत में सुनवाई नहीं हो सकी। बताया गया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल 18 याचिकाओं पर अदालत एक साथ सुनवाई कर रही है। जिनमें 17 मामलों पर अगली सुनवाई 22 फरवरी को होगी। इन सभी मामलों में जस्टिस मयंक जैन की सिंगल बेंच सुनवाई कर रही है।

इनका कहना है
बताया गया कि हाईकोर्ट अयोध्या विवाद की तर्ज पर मथुरा से जुड़े सभी मुकदमों की सीधे तौर पर सुनवाई करेगी। हिंदू पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट की वकील रीना एन सिंह ने कहा कि सुनवाई के दौरान संबंधित मामले में कानूनी जानकारी रखने वाले एमिकस क्यूरी की दलील थी, कि भगवान के नाम से वाद और गार्जियन नियुक्त करने का अधिकार कोर्ट को है। वहीं अर्जियों की पोषणीयता को लेकर ऑर्डर 7 रुल्स 11 पर कोर्ट सुनवाई करेगी। जहां कोर्ट कमिश्नर के जरिए विवादित परिसर का सर्वे कराए जाने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। जिसके बाद 17 जनवरी को हुई पिछली सुनवाई में अमीन के जरिए रेवेन्यू सर्वे कराए जाने की मांग को लेकर अर्जी दाखिल की गई थी। इसके अलावा मुस्लिम पक्ष की उस दलील पर मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। जिसमें जिला अदालत के बजाय हाईकोर्ट द्वारा सीधे तौर पर सुने जाने और सभी मामलों को एक साथ क्लब कर सुनवाई किए जाने पर भी हाईकोर्ट ने एतराज जताया है। 

विचाराधीन 18 याचिकाओं पर चल रही है सुनवाई
कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर 15 केसों को कंसोलिडेटेड कर सुनवाई की अर्जी मंजूर कर ली है। हाईकोर्ट ने विचाराधीन 18 सिविल वादों में से 15 वादों को भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव मूल वाद में मर्ज कर दिया है। वहीं हाईकोर्ट शेष दो केसों पर बाद में विचार करेगी। कोर्ट ने कहा कि सभी केस कंसोलिडेटेड कर सुनवाई करने से कोर्ट के समय की बचत होगी। इसके साथ ही पक्षकारों के खर्च भी बचेंगे और फैसलों में भिन्नता नहीं होगी। समान प्रकृति के वादों का कंसोलिडेटेड किया जाना न्याय हित में जरूरी है। वहीं मंदिर पक्ष की तरफ से अधिवक्ता विष्णु जैन ने अर्जी दाखिल कर सभी वादों को कंसोलिडेटेड कर सुनवाई करने की मांग की थी। दाखिल अर्जियों में कटरा केशव देव के नाम पर 13.37 एकड जमीन से अवैध ढांचा हटाए जाने के साथ ही विवादित स्थल हिंदुओं को दिए जाने की मांग की गई है।

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