मुजफ्फरनगर की मस्जिद पर विवाद शुरू : वक्फ के दावे को प्रशासन ने नकारा, पाकिस्तान के पूर्व पीएम से सीधा कनेक्शन

UPT | लियाकत अली खान की संपत्ति

Dec 07, 2024 16:13

लियाकत अली खान की संपत्ति के बाद मुजफ्फरनगर की मस्जिद पर विवाद शुरू हो गया है। यह संपत्ति लियाकत अली खान के भाई सज्जाद अली खान के नाम दर्ज है।

Muzaffarnagar News : शुक्रवार को मुजफ्फरनगर के रेलवे रोड पर स्थित खसरा नंबर 930 को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया है। यह संपत्ति पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की बताई जा रही है। अब लियाकत अली खान की संपत्ति के बाद मुजफ्फरनगर की मस्जिद पर विवाद शुरू हो गया है। यह संपत्ति लियाकत अली खान के भाई सज्जाद अली खान के नाम दर्ज है। गृह मंत्रालय के अधीन शत्रु संपत्ति के संरक्षक कार्यालय द्वारा जारी प्रमाण पत्र में इस भूमि को 1968 के शत्रु संपत्ति अधिनियम और 2015 के नियमों के तहत भारत सरकार की संपत्ति घोषित किया गया है।

मस्जिद और दुकानों का विवाद
खसरा नंबर 930 के तहत आने वाली मस्जिद और चार दुकानें लंबे समय से विवाद का विषय रही हैं। यह संपत्ति रेलवे स्टेशन के ठीक सामने स्थित है, जो इसे एक प्रमुख स्थान बनाती है। स्थानीय स्तर पर इसे वक्फ संपत्ति के रूप में पेश किया गया था, लेकिन प्रशासनिक जांच ने इस दावे को खारिज कर दिया और इसे शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया है।

क्या है शत्रु संपत्ति का मामला?
सज्जाद अली खान, जो रुस्तम अली के पुत्र और लियाकत अली खान के भाई थे, विभाजन के समय पाकिस्तान चले गए थे। विभाजन के बाद उनकी भारत स्थित संपत्तियों को ‘शत्रु संपत्ति’ के रूप में चिह्नित कर दिया गया। हालांकि, मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन के सामने स्थित इस 0.082 हेक्टेयर भूमि पर कब्जा कर लिया गया और मस्जिद का निर्माण कर दिया गया। इसके अलावा, जमीन पर अवैध रूप से दुकानें बनाकर किराए पर दे दी गईं।


जांच की प्रक्रिया
संजय अरोड़ा ने अपनी शिकायत में बताया कि इस संपत्ति पर अवैध निर्माण किया गया है। जिलाधिकारी ने इस मामले की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय टीम गठित की, जिसमें एडीएम (राजस्व) गजेंद्र कुमार, एमडीए सचिव, सिटी मजिस्ट्रेट, एसडीएम सदर, सीओ सिटी, और नगर पालिका ईओ शामिल थे। इस टीम ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट दिल्ली स्थित शत्रु संपत्ति कार्यालय को भेजी। शत्रु संपत्ति अभिकरण कार्यालय ने इस रिपोर्ट की समीक्षा की और मामले की जांच के लिए एक टीम मुजफ्फरनगर भेजी। दोनों पक्षों की सुनवाई और साक्ष्यों की जांच के बाद यह आदेश दिया गया कि खसरा नंबर 930 पर स्थित यह संपत्ति ‘शत्रु संपत्ति’ है।

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वक्फ बोर्ड का दावा
पक्षकारों ने इस संपत्ति को वक्फ बोर्ड की संपत्ति बताते हुए दावा किया कि इस पर किराया वक्फ बोर्ड के मुतवल्ली को जमा किया जाता है। इसके समर्थन में उन्होंने 10 नवंबर 1937 का एक पत्र भी प्रस्तुत किया। हालांकि, जांच में यह दावा असत्य पाया गया। जांच टीम ने पुष्टि की कि यह संपत्ति वास्तव में शत्रु संपत्ति है।

प्रशासन की अगली कार्रवाई
सिटी मजिस्ट्रेट विकास कश्यप ने बताया कि यह संपत्ति खसरा नंबर 930 पर स्थित है, जिसमें एक इमारत और चार दुकानें शामिल हैं। जांच पूरी होने के बाद शत्रु संपत्ति कार्यालय ने इसे शत्रु संपत्ति घोषित करने का आदेश दिया। अब पक्षकारों को नोटिस जारी किया जाएगा। यदि संपत्ति स्वेच्छा से खाली नहीं की गई, तो इसे कानूनी प्रक्रिया के तहत खाली कराया जाएगा।

मामले की शुरूआत
करीब दो साल पहले हिंदू शक्ति संगठन के संजय अरोड़ा ने शिकायत दर्ज कराई थी कि जमीन पर बिना प्राधिकरण की अनुमति के मस्जिद और दुकानें बनाई गई हैं। उन्होंने इसे अवैध बताते हुए कार्रवाई की मांग की थी। इसके बाद जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक टीम ने दोनों पक्षों की बात सुनकर अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपी।

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