मुजफ्फरनगर के DM का अस्थाई कार्यालय : एक साल से अधूरा पड़ा नया दफ्तर, 11 सरकारी आवासों की हालत भी गंभीर

UPT | एक साल से अधूरा पड़ा नया दफ्तर

Dec 08, 2024 20:23

मुजफ्फरनगर में जिलाधिकारी (डीएम) कार्यालय के ध्वस्त होने को एक साल से अधिक समय हो चुका है, लेकिन अभी तक न तो नया कार्यालय तैयार किया गया है और न ही पुराने, जर्जर भवनों की मरम्मत प्रक्रिया शुरू की गई है...

Muzaffarnagar News : मुजफ्फरनगर में जिलाधिकारी (डीएम) कार्यालय के ध्वस्त होने को एक साल से अधिक समय हो चुका है, लेकिन अभी तक न तो नया कार्यालय तैयार किया गया है और न ही पुराने, जर्जर भवनों की मरम्मत प्रक्रिया शुरू की गई है। 27 अगस्त 2023 को डीएम आवास के पास स्थित विश्राम गृह की छत गिरने के बाद, प्रशासनिक कार्यों के लिए अस्थायी व्यवस्था की गई थी। इसके बाद से डीएम को जिला पंचायत सभागार के पीछे बने एक अस्थायी कार्यालय में काम करना पड़ रहा है।

इस वजह से लटका पड़ा नया दफ्तर
मुजफ्फरनगर में जिलाधिकारी कार्यालय के निर्माण को लेकर प्रस्तावित दो मंजिला कार्यालय भवन का कार्य अब तक लटका हुआ है। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने इस भवन के निर्माण के लिए 2.59 करोड़ रुपये की लागत से प्रस्ताव तैयार किया था, लेकिन शासन स्तर पर कुछ आपत्तियों के कारण यह प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ पाया। हालांकि, 2.41 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया गया था, फिर भी इस योजना को अभी तक अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है।



11 सरकारी आवासों की हालत भी गंभीर
छत गिरने के बाद 26 अक्टूबर को ब्रिटिश कालीन 200 साल पुराना दफ्तर भी नीलामी के बाद ध्वस्त कर दिया गया। इस समय, डीएम और अपर जिलाधिकारी दोनों अस्थायी कार्यालयों में काम कर रहे हैं, जबकि एडीएम एफ गजेंद्र सिंह छोटे से आपातकालीन ऑपरेशन सेंटर में बैठकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। कचहरी परिसर स्थित शास्त्रीनगर आवासीय परिसर के 11 सरकारी आवासों की हालत भी गंभीर है। इन भवनों को छह महीने पहले कंडम घोषित किया जा चुका था। इन जर्जर भवनों में सिटी मजिस्ट्रेट, एडीएम, एसपी सिटी सहित कई प्रशासनिक अधिकारी और उनके परिवार रहते हैं, जिनकी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई जा रही है।

खतरे में कर्मचारियों की सुरक्षा
चकबंदी विभाग के रिकॉर्ड रूम और सहायक मनोरंजन कर आयुक्त के दफ्तर की हालत और भी खराब है। हाल ही में रिकॉर्ड रूम का मलबा गिरने से बड़ा हादसा टल गया। कर्मचारियों की सुरक्षा खतरे में बनी हुई है, लेकिन इस पर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। एक साल के बाद भी डीएम कार्यालय की पुनर्निर्माण प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है, जो शासन-प्रशासन की सुस्त मशीनरी का प्रतीक बन चुकी है। यह समस्या केवल दफ्तरों तक सीमित नहीं है, बल्कि अधिकारियों और उनके परिवारों की सुरक्षा से जुड़ा एक गंभीर मुद्दा भी बन चुकी है।

Also Read