शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने मौलाना के फतवे को बताया उचित : हिन्दुओं से भी विक्रम संवत के अनुसार नववर्ष मनाने की अपील  

UPT | जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती व मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी।

Jan 01, 2025 13:04

ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी के फतवे का समर्थन किया, जिसमें मुस्लिम समुदाय को अंग्रेजी नव वर्ष न मनाने की सलाह दी गई। उन्होंने इसे भारतीय संस्कृति की जड़ों से जुड़ने और पश्चिमी प्रभाव को कम करने का सकारात्मक कदम बताया।

Varanasi News :  ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी द्वारा जारी फतवे पर अपनी राय देते हुए इसे एक सकारात्मक कदम बताया है। मौलाना ने मुस्लिम समुदाय से अपील की थी कि वे अंग्रेजी नव वर्ष का जश्न न मनाएं। इस फतवे को सही ठहराते हुए शंकराचार्य ने कहा कि अगर किसी समुदाय का नेता अपने लोगों को उनकी जड़ों से जोड़ने की बात करता है, तो यह स्वागत योग्य है। 



अंग्रेजी नव वर्ष को बताया असंगत
शंकराचार्य ने कहा कि भारत जैसे देश में जहां सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं का गहरा महत्व है, वहां अंग्रेजी नव वर्ष का जश्न मनाना कोई तर्कसंगत बात नहीं है। उन्होंने इसे हमारी संस्कृति पर पश्चिमी प्रभाव का नतीजा बताया। शंकराचार्य ने कहा, "हमारी जड़ें हमारे विक्रम संवत से जुड़ी हैं, जो वैज्ञानिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टियों से बेहतर है। अंग्रेजों के भारत छोड़ने के बाद भी हम उनके कैलेंडर और त्योहारों को मानते हैं, यह विडंबना है।"

विक्रम संवत को मानने की अपील
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने सनातन धर्मावलंबियों से अपील की कि वे अपने पारंपरिक कैलेंडर के अनुसार त्योहार और पर्व मनाएं। उन्होंने कहा, "विक्रम संवत हमारा अपना कैलेंडर है, जो अधिक वैज्ञानिक और प्रकृति आधारित है। यह सूर्योदय से दिन की शुरुआत मानता है, जबकि अंग्रेजी कैलेंडर आधी रात को। हमारी संस्कृति में हर शुभ कार्य की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से होती है, न कि रातभर जागकर जश्न मनाने से।"

फतवे को बताया उचित कदम
मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी के फतवे पर अपनी सहमति जताते हुए शंकराचार्य ने कहा कि अगर कोई मुसलमान अपने समुदाय को उनके धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों की याद दिलाता है, तो यह अच्छी बात है। उन्होंने कहा, "मुसलमानों का अपना हिजरी सन् है और हिंदुओं का विक्रम संवत। दोनों समुदायों को अपनी-अपनी परंपराओं और तिथियों का पालन करना चाहिए। इसमें कोई समस्या नहीं है।"

ईसाई कैलेंडर को बताया षड्यंत्र
शंकराचार्य ने अंग्रेजी कैलेंडर को ईसाइयों का सांस्कृतिक षड्यंत्र बताते हुए कहा कि यह भारतीय समाज को उसकी जड़ों से काटने की साजिश है। उन्होंने कहा, "हमारी परंपराओं और संस्कृति को कमजोर करने के लिए हमें पश्चिमी त्योहारों और तिथियों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।"

सनातनी युवाओं को संदेश
शंकराचार्य ने सनातनी हिंदू युवाओं से कहा कि वे पश्चिमी परंपराओं को छोड़कर अपने धर्म और संस्कृति को अपनाएं। उन्होंने कहा, "जितनी जल्दी हो सके, हमें अपनी संस्कृति को समझना और अपनाना चाहिए। विक्रम संवत न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी श्रेष्ठ है। हमें अपने पर्व और त्योहार इन्हीं तिथियों के अनुसार मनाने चाहिए।"

संस्कृति और जड़ों से जुड़ने की अपील
शंकराचार्य ने अपने संदेश में यह भी कहा कि आज की पीढ़ी को यह समझने की आवश्यकता है कि हमारी परंपराएं और तिथियां हमारे इतिहास और सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा हैं। उन्होंने कहा, "अगर हम अपनी संस्कृति से कट जाएंगे, तो हमारी पहचान भी समाप्त हो जाएगी। विक्रम संवत और हिजरी सन् जैसे पारंपरिक कैलेंडरों का पालन करना हमारे मूल्यों और इतिहास को जीवित रखने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।"

भारतीय समाज से संस्कृति और परंपराओं के प्रति जागरूक होने का आह्वान 
ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद का बयान न केवल एक धार्मिक दृष्टिकोण को दर्शाता है, बल्कि भारतीय समाज को उसकी संस्कृति और परंपराओं के प्रति जागरूक करने का भी आह्वान करता है। उनके अनुसार, चाहे वह विक्रम संवत हो या हिजरी सन्, हर समुदाय को अपनी परंपराओं का पालन करना चाहिए और पश्चिमी प्रभाव से बचना चाहिए। 

ये भी पढ़े : Lucknow News : नए साल के पहले दिन होटल में सामूहिक हत्याकांड, युवक ने मां और चार बहनों को मौत के घाट उतारा

Also Read