काशी में कृष्ण लीला का मंचन : तुलसी घाट पर नाग नथैया का आयोजन, 450 से ज्यादा पुरानी परंपरा

UPT | श्री कृष्ण कालिया का मान मर्दन करते हुए

Nov 05, 2024 20:17

काशी के लक्खा मेला में शुमार नाग नथैया लीला का आयोजन मंगलवार को तुलसी घाट पर किया गया। जिसमें मां गंगा कुछ देर के लिए यमुना बन जाती है...

Varanasi News : काशी के लक्खा मेला में शुमार नाग नथैया लीला का आयोजन मंगलवार को तुलसी घाट पर किया गया। जिसमें मां गंगा कुछ देर के लिए यमुना बन जाती है। भगवान कृष्ण कलिया नाग के कारण यमुना के दूषित पानी को बचाने के लिए उसका मान मर्दन कर मुक्त कराने का काम करते है। भगवान कृष्ण की ये लीला गोस्वामी तुलसीदास द्वारा शुरू की गई है। जिसको देखने के लिए अकबर भी आ चुके हैं। जो 450 साल से ज्यादा पुरानी परंपरा का निर्वाह किया गया।

लाखों की संख्या में उमड़े लोग
वाराणसी में कार्तिक शुक्ल पंचमी के दिन तुलसीघाट पर नाग नथैया लीला का आयोजन किया गया। जिसमें लाखों की संख्या में लोग देखने पहुंचे। काशी राज परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाले कुंवर अनंत नारायण सिंह भी लीला में शामिल हुए। उनके पहुंचते ही काशीवासियों ने उनका हर हर महादेव के नारे के जयघोष के साथ स्वागत किया। इस दौरान भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप का दर्शन किया। सैकड़ों वर्षों से काशी राजपरिवार इस लीला में शामिल होता आ रहा है।



द्वापर युग का नजारा देखने को मिला
वाराणसी के प्रसिद्ध तुलसी घाट कुछ देर के लिए द्वापर युग का नजारा देखने को मिला। द्वापर युग में भगवान कृष्ण की गेंद खेलते हुए यमुना नदी में गिर गई थी। इसके बाद शाम को कदंब के पेड़ पर चढ़कर सीधे नदी में छलांग लगा देते थे। तब नदी के अंदर से कालिया नाग पर सवार होकर बाहर निकलते है। जो काशी को गोकुल में तब्दील कर देता है। इसके बाद हर तरह भगवान कृष्ण और हर हर महादेव की जय जयकार की गूंज उठी।

भगवान कृष्ण के लगे नारे
श्रीकृष्ण ने यमुना नदी में रहने वाले कालिया नाग का मर्दन कर अपनी गेंद नदी से बाहर निकाली थी। उसके बाद जय श्री कृष्ण के नारों से पूरा घाट गंजमान हो उठा। उसके बाद भगवान कृष्ण की महंत विशंभर नाथ मिश्र ने माला फूल पहना कर आशीर्वाद लिया। भगवान कृष्ण की लोगों ने आरती उतारी, डमरू दल ने डमरू बजाकर स्वागत किया।

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