घूसखोरी पकड़ने को छापा मत मारो : यूपी के लेखपालों की अजीब मांग, एंटी करप्शन की कार्रवाई के विरोध में प्रदर्शन

UPT | सदर तहसील में लेखपालों ने किया धरना- प्रदर्शन।

Jan 04, 2025 15:52

पूरे प्रदेश में एंटी करप्शन की कार्रवाई से नाराज लेखपालों ने अपनी मांगों को लेकर जनपद के प्रत्येक तहसीलों में किया धरना प्रदर्शन। इसी क्रम में जौनपुर जनपद के सभी तहसीलों में उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ के बैनर तले....

Jaunpur News : उत्तर प्रदेश में एंटी करप्शन की कार्रवाई से नाराज जौनपुर जिले के लेखपालों ने अपनी मांगों को लेकर जिले की सभी तहसीलों में धरना-प्रदर्शन किया। उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ के बैनर तले ये प्रदर्शन आयोजित किए गए, जिसमें लेखपालों ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन करते हुए अपनी समस्याओं को उठाया। उनका आरोप है कि एंटी करप्शन की टीम उन्हें गलत तरीके से फंसाने की कोशिश कर रही है। 

सदर तहसील में विरोध प्रदर्शन
जौनपुर जिले की सदर तहसील में सैकड़ों लेखपालों ने अपनी एकजुटता दिखाते हुए धरने पर बैठकर "लेखपाल एकता जिंदाबाद" के नारे लगाए। लेखपालों ने यह मांग की कि एंटी करप्शन टीम द्वारा की जा रही कार्रवाई को तुरंत रोका जाए और उनकी भूमिका को संदिग्ध बनाने वाली साजिशों की जांच की जाए। इस मौके पर सदर तहसील के अध्यक्ष अनुराग सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सभी लेखपाल भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं, लेकिन एंटी करप्शन की टीम द्वारा किसी पर कार्रवाई करने से पहले यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि क्या शिकायतकर्ता ने पहले प्रशासनिक स्तर पर रिश्वत लेने की शिकायत की थी, या फिर उन्हें गलत तरीके से फंसाने के उद्देश्य से सीधे एंटी करप्शन विभाग में शिकायत की है।

एंटी करप्शन की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए किया विरोध
अनुराग सिंह ने आगे कहा कि सरकार से यह मांग की गई है कि एंटी करप्शन के अधिकारियों को यह निर्देश दिए जाएं कि वे किसी भी लेखपाल के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि क्या पहले से उस पर किसी भ्रष्टाचार की शिकायत या जांच हो चुकी है। अगर ऐसा नहीं हुआ है, तो किसी भी लेखपाल के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले प्रशासनिक जांच और प्री-ट्रैप जांच की जाए। 

सरकार से मांगें
लेखपालों ने मुख्यमंत्री से यह भी आग्रह किया कि वे एंटी करप्शन विभाग को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करें ताकि लेखपालों के खिलाफ बिना किसी ठोस आधार के कार्रवाई न हो। उनका कहना है कि इस प्रकार के बिना किसी ठोस प्रमाण के कार्रवाई से न केवल लेखपालों का मनोबल गिरता है, बल्कि उनके कामकाज पर भी असर पड़ता है। 
 

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