राम मंदिर के इतिहास को विश्वभर के रामभक्तों, विशेषकर युवाओं तक पहुंचाने के लिए एक नई योजना तैयार की गई है, जिसके तहत श्रीरामजन्मभूमि के प्राचीन और आधुनिक इतिहास को विभिन्न भाषाओं में अंकित किया जाएगा।
राम मंदिर का इतिहास होगा कई भाषाओं में अंकित : श्रीरामजन्मभूमि पर प्राचीन और आधुनिक इतिहास से अवगत होंगे भक्त
Oct 11, 2024 11:46
Oct 11, 2024 11:46
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इतिहास का अंकन हो रहा है पत्थरों पर
राम मंदिर के सीढ़ियों के उत्तरी भाग में, जहां से विशिष्ट दर्शनार्थी प्रवेश करेंगे, वहां की दीवारों पर इतिहास को अंकित करने का कार्य किया जा रहा है। यह भाग मंदिर के निचले प्लिंथ का हिस्सा है और यहां राजस्थान के रेड सैंड स्टोन की दीवारों पर फिलहाल अंग्रेजी भाषा में इतिहास का संक्षिप्त विवरण उत्कीर्ण किया गया है। इन वाक्यों को लाल रंग से भरकर उभारा गया है, ताकि पाठकों को इसे स्पष्ट रूप से पढ़ने में आसानी हो।
हिंदी सहित अन्य भाषाओं में भी होगा इतिहास का अंकन
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के न्यासी डॉ. अनिल मिश्र के अनुसार, इस ऐतिहासिक अंकन का उद्देश्य विशेष रूप से युवा पीढ़ी को राम मंदिर के वास्तविक इतिहास से अवगत कराना है। कई युवा आज भी राम मंदिर के प्राचीन इतिहास और मंदिर आंदोलन के दौरान हुई घटनाओं से अपरिचित हैं, जिसके चलते वे अक्सर राजनीतिक प्रचार का शिकार हो जाते हैं। इसीलिए, वास्तविकता से उन्हें अवगत कराना आवश्यक है, जिससे उनकी आस्था और ज्ञान दोनों में वृद्धि हो सके। वर्तमान में हिंदी भाषा में भी इस ऐतिहासिक विवरण का अंकन किया जा रहा है, और भविष्य में अन्य भारतीय भाषाओं में भी इसे अंकित करने की योजना है।
ऐतिहासिक दस्तावेजों से संकलित जानकारी
इस विवरण में अवध गजेटियर और कोर्ट के दस्तावेजों से इतिहास को संकलित किया गया है। इसमें भगवान राम के जन्मस्थान की पुष्टि के साथ-साथ 11वीं सदी में यहां बने भव्य मंदिर का भी जिक्र है, जिसे 1528 में बाबर के सेनापति मीर बांकी ने ध्वस्त कर दिया था। ब्रिटिश कमिश्नर जोजेफ टिफिनथेलर के सर्वेक्षण का हवाला देते हुए, यह भी बताया गया है कि राम जन्मभूमि स्थल की पुष्टि की गई थी। इसके अलावा, 1853 में राम चबूतरे को लेकर दायर किए गए निर्मोही अखाड़ा के महंत रघुवर दास के मुकदमे का भी उल्लेख है।
ऐतिहासिक घटनाओं का अंकन
इतिहास में 28 नवंबर 1858 को गुरु गोविंद सिंह देव के नेतृत्व में निहंग सिखों द्वारा यहां किए गए हवन-पूजन का भी उल्लेख है। इसके साथ ही 1934 की घटना और 22-23 दिसंबर 1949 में रामलला के प्राकट्य की जानकारी भी दी गई है। सिविल कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक के सुनवाई और निर्णयों का भी जिक्र किया गया है, जिनमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले और राम मंदिर निर्माण के आदेश शामिल हैं। इसके अलावा, 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बारे में भी जानकारी दी गई है। इस प्रकार, यह अंकन भक्तों को राम मंदिर के इतिहास से गहराई से परिचित कराने का एक महत्वपूर्ण कदम है।
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