बदायूं में नीलकंठ महादेव बनाम जामा मस्जिद मामले की सुनवाई आज मंगलवार को निर्धारित थी, लेकिन यह सुनवाई टल गई है। अब अगली सुनवाई 18 जनवरी को होगी...
जामा मस्जिद-नीलकंठ महादेव मंदिर विवाद : अब 18 जनवरी को होगी अगली सुनवाई, तीन महीने में तय होगा केस चलेगा या नहीं
Dec 24, 2024 12:15
Dec 24, 2024 12:15
सुप्रीम कोर्ट का आदेश है तो बहस क्यों...
दरअसल, पिछली सुनवाई में जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया था, जिसमें कहा गया था कि जब सुप्रीम कोर्ट का आदेश मौजूद है, तो फिर बहस में समय क्यों खराब किया जाए। इसके विपरीत, नीलकंठ महादेव पक्ष के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहीं भी यह उल्लेख नहीं है कि मामले की पोषणीयता पर सुनवाई नहीं की जा सकती।
कोर्ट में दो साल से जारी है सुनवाई
गौरतलब है कि यह मामला बदायूं के सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहा है, जिसकी सुनवाई न्यायाधीश अमित कुमार कर रहे हैं। मुकदमे में वादी अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश अध्यक्ष मुकेश पटेल हैं, जिन्होंने 2022 में जामा मस्जिद में नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा दायर किया था। मस्जिद इंतजामिया कमेटी के वकील ने इस दावे को नकारा है और कोर्ट में सरकारी वकील की ओर से बहस पूरी हो चुकी है। अब इंतजामिया कमेटी की तरफ से बहस जारी है और इसके बाद नीलकंठ महादेव मंदिर पक्ष की बहस होगी। सभी बहसों के बाद कोर्ट यह तय करेगा कि मामला चलने योग्य है या नहीं।
जानें पूरा मामला
इस मामले की शुरुआत चार साल पहले 2 सितंबर 2022 को बदायूं सिविल कोर्ट में एक याचिका दायर करके की गई थी। याचिका में दावा किया गया था कि वर्तमान समय में जामा मस्जिद की जगह पर नीलकंठ महादेव का मंदिर था। याचिका में जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी, यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, ASI, केंद्र सरकार, यूपी सरकार, बदायूं कलेक्टर और प्रदेश के मुख्य सचिव को पार्टी बनाया गया था।
अगले तीन महीने में होगा तय
इस दावे के अनुसार, जामा मस्जिद बनाने के दौरान शिवलिंग को हटा दिया गया था जो पहले मंदिर में स्थापित था। अखिल भारतीय हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजश्री चौधरी ने इस मामले को लड़ने के लिए 5 प्रतिनिधियों को नियुक्त किया था। इन प्रतिनिधियों में महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल, अरविंद परमान एडवोकेट, ज्ञानेंद्र प्रकाश, डॉ. अनुराग शर्मा और उमेश चंद्र शर्मा शामिल थे। कोर्ट ने इन पांच प्रतिनिधियों को याचिकाकर्ता के रूप में स्वीकार कर लिया है और अब ये पांच लोग हिंदू पक्ष की ओर से कोर्ट में उपस्थित हो रहे हैं। पिछले दो साल से इस मामले में तारीखें लगती रही हैं और अब यह माना जा रहा है कि अगले तीन महीनों में कोर्ट यह तय करेगा कि यह मामला आगे सुना जाएगा या नहीं।
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