उत्तर प्रदेश की एक अदालत ने अवैध धर्मांतरण केस में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस मामले में दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
अवैध धर्मांतरण केस में ऐतिहासिक फैसला : कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा, दोषी के पिता को भी जेल
Oct 01, 2024 16:04
Oct 01, 2024 16:04
- अवैध धर्मांतरण केस में ऐतिहासिक फैसला
- परिवार ने बनाया धर्म परिवर्तन का दबाव
- 6 महीने में सुनाया गया फैसला
आनंद बनकर मिला था युवक
दरअसल पीड़िता बरेली के राजेंद्र नगर में कंप्यूटर की कोचिंग करती थी। इसी कोचिंग में मोहम्मद आलिम नामक युवक भी क्लास लेने आता था। बातचीत में उनसे पीड़िता से अपना नाम आनंद बताया और दोस्ती कर ली। कुछ समय तक प्रेम-प्रसंग चलने के बाद युवक उसे मंदिर में ले गया और मांग भरकर शादी कर ली। बाद में उसने युवती को दोस्त के कमरे पर ले जाकर हवस का शिकार बनाया। उसने इस कृत्य का वीडियो भी बना लिया और पीड़िता को ब्लैकमेल कर कई बार दुष्कर्म किया।
परिवार ने बनाया धर्म परिवर्तन का दबाव
पीड़िता जब आरोपी के घर पहुंची, तो उसे पता चला कि युवक का असली नाम मोहम्मद आलिम है। आरोप है कि आलिम के परिवार के लोगों ने पीड़िता के साथ मारपीट की और धर्म परिवर्तन का दबाव भी बनाया। जब पीड़िता गर्भवती हो गई तो जबरन उसका गर्भपात भी करवा दिया गया। इस मामले में आईपीसी की धारा 376(2)(n), 323, 504, 506 के तहत देवरनिया थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था
6 महीने में सुनाया गया फैसला
अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने मामले में रिकॉर्ड 6 महीने में अपना फैसला सुना दिया। इसमें मोहम्मद आलिम को आजीवन कारावास, 1 लाख रुपये जुर्माना और उसके पिता मोहम्मद साबिर उर्फ रफीक अहमद को दो साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में फॉरेन फंडिंग से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
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