गोंडा जिले में स्थित टिकरी वन रेंज और आरगा पार्वती झील को इको-पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना तेजी से आकार ले रही है।
UP Tourism : गोंडा के टिकरी वन और आरगा पार्वती झील बनेंगे इको-टूरिज्म केंद्र, मिलेगा यूपी में पर्यटन को बढ़ावा
Jul 08, 2024 00:54
Jul 08, 2024 00:54
ये भी पढ़ें : गड्ढे के कारण गांव में नहीं घुस पाई एंबुलेंस : गर्भवती महिला को चारपाई पर लेटाकर पहुंचाया, सरकारी दावों की खुली पोल
राजा भैया की पहल पर नया आयाम
राजा भैया ने इस परियोजना को गति देने के लिए नई दिल्ली स्थित पर्यावरण भवन में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में वन महानिदेशक जितेंद्र कुमार, अपर वन महानिदेशक सुशील अवस्थी, संयुक्त सचिव सुजीत कुमार वाजपेयी और वन महानिरीक्षक रमेश पांडेय जैसे प्रमुख अधिकारी शामिल हुए। उन्होंने इस परियोजना के लिए एक विस्तृत कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया है।
\
इतने हेक्टेयर में फैला है पार्वती अरगा पक्षी विहार
पार्वती अरगा पक्षी विहार, जो 1084.47 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है, 1990 से एक आधिकारिक पक्षी अभयारण्य है। यह स्थान वर्ष भर स्थानीय पक्षियों का घर है और सर्दियों के मौसम में यह प्रवासी पक्षियों का स्वर्ग बन जाता है। यूरेशियन कूट, मैलार्ड, ग्रेलैग गूज, नॉर्दर्न पिंटेल, नॉर्दर्न शावलर, काटन टील और रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड जैसे दुर्लभ प्रजातियों के पक्षी यहां देखे जा सकते हैं।
टिकरी वन रेंज का फैलाव
दूसरी ओर, टिकरी वन रेंज लगभग 7500 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। मनकापुर से लेकर वजीरगंज और नवाबगंज तक विस्तृत यह वन क्षेत्र साखू और सागौन जैसे मूल्यवान वृक्षों से समृद्ध है। इसकी निकटता अयोध्या धाम से इसे पर्यटन की दृष्टि से और भी महत्वपूर्ण बनाती है।
ये भी पढ़ें : Ola ने गूगल मैप्स से तोड़ा नाता! : लॉन्च किया खुद का Maps, कैब्स में अपने बनाए मैप का करेगी इस्तेमाल
अयोध्या आने वाले तीर्थयात्रियों का आकर्षक
इस परियोजना का एक प्रमुख लाभ यह होगा कि अयोध्या आने वाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को एक अतिरिक्त आकर्षक गंतव्य मिलेगा। इससे न केवल क्षेत्र के पर्यटन में वृद्धि होगी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा। इको-पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित होने के बाद, इन स्थानों पर पर्यटकों के लिए विभिन्न सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा। इनमें प्रकृति ट्रेल्स, बर्ड वाचिंग पॉइंट्स, शैक्षिक केंद्र और eco-friendly आवास शामिल हो सकते हैं। साथ ही, स्थानीय समुदायों को इस विकास प्रक्रिया में शामिल करने की योजना है, जिससे उन्हें रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और वे पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय भागीदार बनेंगे।
ये भी पढ़ें : अयोध्या में मानसून का तांडव : सरयू का दिखा रौद्र रूप! नदी किनारे बसे लोगों की टेंशन बढ़ी
क्या होता है इको टूरिज्म?
इको टूरिज्म यानी पर्यावरण के अनुकूल पर्यटन। इसका मतलब है प्रकृति के करीब जाकर उसकी सुंदरता का आनंद लेना, लेकिन साथ ही उसकी रक्षा भी करना। इसमें ऐसी जगहों की यात्रा की जाती है जो प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर हों और जहां पर्यावरण की सुरक्षा पर ध्यान दिया जाता हो। इको टूरिज्म में पर्यटक न सिर्फ प्रकृति के नजारे देखते हैं, बल्कि वहां की संस्कृति को भी समझने की कोशिश करते हैं। यह एक ऐसा तरीका है जिससे लोग घूमने-फिरने का मजा लेते हुए पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते।
Also Read
22 Nov 2024 07:20 PM
बलरामपुर जिले में गेंदा फूल, केला, मसूर दाल और तिन्नी का चावल अब देशभर में अपनी विशेष पहचान बनाने जा रहे हैं। एक जिला एक उत्पाद योजना के अंतर्गत इन कृषि उत्पादों का चयन किया गया है... और पढ़ें