कानपुर शहर में एक नई और अनोखी पहल के तहत मेडिकल कॉलेज में शहर का पहला आई बैंक (नेत्र बैंक) बनाया जा रहा है। यह कदम आंखों की रोशनी से जूझ रहे मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
खुशखबरी : कानपुर मेडिकल कॉलेज में बनेगा शहर का पहला आई बैंक, मरीजों को मिलेगी बेहतर सुविधाएं
Sep 14, 2024 13:11
Sep 14, 2024 13:11
आई बैंक की जरूरत क्यों?
कानपुर मेडिकल कॉलेज और एलएलआर हॉस्पिटल में आस-पास के 10 जिलों से हर दिन हजारों मरीज इलाज कराने आते हैं। इनमें से लगभग 200 मरीज ऐसे होते हैं, जो अपनी आंखों की समस्याओं के इलाज के लिए यहां पहुंचते हैं। हालांकि, अब तक यहां कॉर्निया की कमी के चलते बहुत से मरीज निराश होकर लौट जाते थे, जिनकी आंखों की रोशनी को बचाने के लिए कॉर्निया की जरूरत होती है। वर्तमान में मेडिकल कॉलेज में सिर्फ 40 से 50 कॉर्निया ही सुरक्षित रखे जा सकते हैं, जबकि रोजाना लगभग 30 से 35 लोग आंखों की रोशनी के लिए आवेदन करते हैं। इस बढ़ती जरूरत को ध्यान में रखते हुए अब कानपुर मेडिकल कॉलेज में 400 कॉर्निया को सुरक्षित रखने की क्षमता वाला आई बैंक बनाया जा रहा है।
दो मंजिला आई बैंक और अत्याधुनिक सुविधाएं
इस आई बैंक को दो मंजिला इमारत के रूप में तैयार किया जाएगा, जिसमें कॉर्निया को सुरक्षित रखने के लिए विशेष रेफ्रिजरेटर और तापमान संतुलित करने वाली आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाएगा। यह सुनिश्चित करेगा कि कॉर्निया एक महीने तक सुरक्षित रह सकें और जरूरतमंद मरीजों को समय पर मिल सकें। इसके अलावा, अमेरिका की साइड सेवर संस्था से भी सहयोग की बात चल रही है, जिसके तहत यहां दो अत्याधुनिक लैब बनाई जाएंगी।
आई बैंक से मरीजों को मिलेगी बड़ी राहत
नेत्र विभाग की अध्यक्ष डॉ. शालिनी मोहन ने बताया कि इस आई बैंक को जल्द ही बनाकर तैयार कर लिया जाएगा। इस परियोजना पर लगभग 50 लाख रुपये का खर्च आएगा। भूमि पूजन भी हो चुका है और निर्माण कार्य जल्द ही शुरू हो जाएगा। इसके निर्माण के बाद मरीजों को कॉर्निया की कमी के कारण निराश होकर लौटना नहीं पड़ेगा। डॉक्टर शालिनी मोहन का मानना है कि यह आई बैंक न केवल कानपुर के मरीजों को बल्कि आस-पास के जिलों से आने वाले मरीजों को भी एक बड़ी राहत देगा।
मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने क्या कहा?
मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. संजय काला ने बताया कि आई बैंक के बनने से दूर-दूर से इलाज के लिए आने वाले मरीजों को अब वापस निराश होकर लौटने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आई बैंक बनने के बाद मरीजों को समय पर कॉर्निया उपलब्ध हो सकेगी, जिससे उनकी आंखों की रोशनी बचाई जा सकेगी। उन्होंने यह भी कहा कि आई बैंक से नेत्र विभाग में आने वाली समस्याओं का समाधान होगा और मरीजों की संख्या में तेजी से हो रही वृद्धि का प्रभावी तरीके से निपटारा किया जा सकेगा।
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