इस जलीय पौधे ने बदल दी हरदोई के किसान की किस्मत : जानें कैसे उगाई जाती है कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली सिंघाड़े की फसल

जानें कैसे उगाई जाती है कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली सिंघाड़े की फसल
UPT | सिंघाड़े की खेती

Nov 17, 2024 11:42

किसान ने मेहनत-मजदूरी छोड़कर अपने ही खेत को तालाब बना दिया है और उसमें सिंघाड़े की फसल उगा दी है। खेत में पानी भरकर और उन्नत कृषि तकनीक अपनाकर वह मोटा मुनाफा कमा रहा है।

Nov 17, 2024 11:42

Short Highlights
  • मजदूरी छोड़ किसान ने 6 महीने की फसल से कमाया शानदार मुनाफा
  • निचले खेत में पानी भरकर कर रहा सिंघाड़े की बेहतरीन फसल
  • खेतों में उन्नत कृषि तकनीक अपनाकर हो रही बंपर कमाई
Hardoi News : उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में किसान सिंघाड़े की खेती कर लाखों रुपये कमा रहे हैं। ऐसे ही एक किसान ने मजदूरी छोड़कर अपने ही खेत को तालाब बना लिया है और उसमें सिंघाड़े की फसल उगाई है। वहां खेत में पानी भरकर वह सिंघाड़े की फसल उगा रहे हैं। खेत में पानी भरकर उन्नत कृषि तकनीक अपनाकर मोटी कमाई की जा रही है। बड़ी बात यह है कि इस फसल में आवारा पशुओं का बिल्कुल भी खतरा नहीं है। बारिश से 6 महीने में उगाई गई इस फसल ने किसान की गरीबी दूर कर दी है।

निचले खेत में बारिश का पानी भरकर किसान कर रहा खेती
हरदोई के किसान रामदास ने बताया कि वह पहले मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पालता था। उसके निचले खेत में वर्षा ऋतु में अत्यधिक पानी भर जाता था, जिसके कारण उसमें कोई भी फसल नहीं होती थी। किसान चौपाल में दी गई जानकारी के चलते उसने बरसात से पहले अपने खेत को सही कर लिया था। उसने स्वस्थ एवं पके हुए सिंघाड़े के फलों को लाकर 4 सेंटीमीटर की गहराई में रोप दिया था। बारिश होने के साथ ही बेल ऊपर आ गई थी और अब सिंघाड़े की फसल आने लगी है, जिसकी मार्केट में अच्छी मांग है वह सिंघाड़े की बिक्री कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।


सिंघाड़े की फसल कैसे उगाई जाती है और कितना मुनाफा होता है
उद्यान विभाग और सिंघाड़े की खेती को लेकर काफी समय से रिसर्च कर रहे सुरेश कुमार ने बताया कि सिंघाड़ा पहले की अपेक्षा अब काफी महंगा बिक रहा है। इसके प्रोटीन और विटामिन ह्यूमन बॉडी के लिए काफी फायदेमंद है। यह खेती कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली है। उन्होंने बताया कि एक हेक्टेयर में वैज्ञानिक तरीके से की जाने वाली खेती में सिर्फ दो फीट पानी की ही आवश्यकता होती है। उन्नतशील किसान जनवरी में अपने जल भराव वाले खेत को जोत कर मिट्टी भुरभुरी बना लेते हैं। सिंघाड़े की खेती के लिए दोमट और बलुई मिट्टी 6 से 7 तक पीएच मान वाली उपयुक्त मानी गई है। मानसून की पहली बारिश के साथ ही सिंघाड़े की रोपाई शुरू हो जाती है। किसान भाई इसकी नर्सरी भी तैयार करते हैं, जिसमें एक मीटर तक की लंबी बेल को रोप दिया जाता है। 

जून-जुलाई में किया जाता है रोपाई का काम
जनवरी-फरवरी में बुवाई और मई जून-जुलाई में रोपाई का काम किया जाता है। एक हेक्टेयर में लगभग 12 टन गोबर की खाद उपयुक्त होती है। इसमें 40 किलो नाइट्रोजन और 70 किलो फास्फोरस 30 किलो पोटास इस्तेमाल करना उर्वरक शक्ति को बढ़ाता है।  खास बात यह है कि इन तीनों की एक बटे तीन मात्रा रोपण से पहले और एक-एक महीने के अंतराल में इस्तेमाल की जाती है।

सबसे उन्नत मानी जाती है लाल छिलके वाली किस्म 
सिंघाड़े के लाल छिलके वाली किस्म सबसे उन्नत मानी जाती है। इनमें से प्रमुख किस्म गुलरा हरीरा, करिया हरीरा आदि होती हैं। अच्छे बीजों का चुनाव व कीटों के बचाव को लेकर किसान भाई विज्ञान प्रयोगशाला से संपर्क कर सकते हैं। एक हेक्टेयर खेती में लगभग 60 हजार रुपये की लागत आती है और इसका मुनाफा दोगुने से भी ज्यादा होता है। सरकार इसकी खेती के लिए अनुदान बीज आदि की भी व्यवस्था करती है। यह कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली फसल है। सिंघाड़े का हरा और सूखा फल भी बाजार में अच्छे भाव में बिकता है।

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सिंघाड़ा खाने से शरीर को सैकड़ों फायदे
हरदोई में आयुर्वेद की डॉक्टर रेखा ने बताया कि सिंघाड़ा पानी में पाया जाने वाला सबसे पौष्टिक फल है। यह अस्थमा, बवासीर, फटी हुई एड़ियां, दर्द सूजन, कैल्शियम की कमी, महिलाओं में प्रेगनेंसी और पीरियड्स के लिए रामबाण औषधि है। यह बढ़ती उम्र में सेवन करने से दांत, हड्डियों में दर्द, चेहरे पर झाइयों और झुरी को भी कम करता है। यह चेहरे के ग्लो को बढ़ाता है। यह तिल्ली,गुर्दे, यकृत और जननांग को स्वस्थ रखता है। पाचन को लेकर यह काफी फायदेमंद है। नियमित तौर से सिंघाड़े का सेवन करने से रक्त तथा मूत्र विकार दूर किया जा सकते हैं। रोजाना चार से आठ सिंघाड़े खाना उचित माना गया है।

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