फिर चर्चा में IAS दुर्गा शक्ति नागपाल : लखीमपुर के स्कूल में बन गईं टीचर, बच्चों से पहाड़े सुने, ब्रश करने के फायदे बताए

लखीमपुर के स्कूल में बन गईं टीचर, बच्चों से पहाड़े सुने, ब्रश करने के फायदे बताए
UPT | IAS दुर्गा शक्ति नागपाल

Jul 25, 2024 13:14

लखीमपुर खीरी की जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने टीचर की तरह क्लास लेकर विद्यार्थियों को पढ़ाया। उनसे दो और चार का पहाड़ा सुनने के साथ ब्लैकबोर्ड पर लिखवाकर शिक्षा की गुणवत्ता परखी। 

Jul 25, 2024 13:14

Khimpur Kheri News : लखीमपुर खीरी की जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने एक बार फिर अपने अनोखे अंदाज से सुर्खियां बटोरी हैं। बुधवार को उन्होंने जिले के कई परिषदीय विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया, जिसमें वे न केवल प्रशासक बल्कि एक शिक्षिका के रूप में भी नजर आईं। उन्होंने टीचर की तरह क्लास लेकर विद्यार्थियों को पढ़ाया। उनसे दो और चार का पहाड़ा सुनने के साथ ब्लैकबोर्ड पर लिखवाकर शिक्षा की गुणवत्ता परखी। 

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पीएस चिमनी में डीएम ने बच्चों से सुने पहाड़े
प्राथमिक विद्यालय चिमनी में पहुंचकर दुर्गा शक्ति ने कक्षा का माहौल बदल दिया। उन्होंने बच्चों से दो और चार का पहाड़ा सुना, ब्लैकबोर्ड पर लिखवाया और शिक्षा की गुणवत्ता की जांच की। इतना ही नहीं, उन्होंने बच्चों को स्वच्छता के महत्व के बारे में भी बताया। उन्होंने छात्रों को हाथ धोने, भोजन से पहले और सोने से पहले दांत साफ करने जैसी आदतों को अपनाने की सलाह दी।

IAS बनी स्कूल में टीचर
दुर्गा शक्ति ने निरीक्षण के दौरान डीएम ने शिक्षकों की उपस्थिति के संबंध में बच्चों से ही पूछताछ की। हेडमास्टर ने डीएम को विद्यालय में नामांकित बच्चों के सापेक्ष उपस्थित बताई। संविलियन विद्यालय आधाचाट में, जिलाधिकारी ने गणित की कक्षा का निरीक्षण किया। वहां उन्होंने स्वयं ब्लैकबोर्ड पर जाकर बच्चों से जोड़-घटाव के सवाल पूछे और सही जवाब देने पर उनका उत्साह बढ़ाया। 



एक छात्रा का नेत्र परीक्षण करेगी हेल्थ टीम
दुर्गा शक्ति की नजर नेत्र विकार से ग्रसित एक छात्रा पर भी पड़ी। उन्होंने तुरंत मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निर्देश दिया कि वे एक चिकित्सा टीम भेजकर छात्रा की आंखों की जांच करवाएं। जिलाधिकारी ने शिक्षकों को निर्देश दिया कि वे बच्चों को केवल किताबी ज्ञान ही न दें, बल्कि उन्हें सांस्कृतिक गतिविधियों और खेलों में भी शामिल करें। उन्होंने बच्चों से विभिन्न रंगों और आकृतियों के बारे में पूछकर उनकी समझ का आकलन किया।

IAS दुर्गा शक्ति ने किया बच्चों को प्रेरित
दुर्गा शक्ति ने बच्चों को प्रेरित करते हुए कहा कि वे मन लगाकर पढ़ें और अपने परिवार व जिले का नाम रोशन करें। उन्होंने छात्रों को गुरुजनों और माता-पिता का आदर करने की सीख भी दी। इस निरीक्षण के दौरान जिला पंचायत राज अधिकारी, बेसिक शिक्षा अधिकारी और खंड विकास अधिकारी भी मौजूद रहे। दुर्गा शक्ति नागपाल के इस अभिनव प्रयास ने न केवल शिक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता पर ध्यान खींचा, बल्कि यह भी दिखाया कि कैसे प्रशासनिक अधिकारी जमीनी स्तर पर सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।

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कौन हैं IAS दुर्गा शक्ति नागपाल
दुर्गा शक्ति नागपाल का जन्म 25 जून 1985 को छत्तीसगढ़ के रायपुर में हुआ। उन्होंने 2007 में इंदिरा गांधी दिल्ली तकनीकी विश्वविद्यालय से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। देश सेवा के प्रति समर्पित दुर्गा शक्ति ने अपने पहले प्रयास में भारतीय राजस्व सेवा में सफलता प्राप्त की। 2009 में दूसरे प्रयास में उन्होंने UPSC परीक्षा में 20वीं रैंक हासिल करके IAS बनीं। पंजाब कैडर में उनका चयन हुआ, लेकिन आईएएस अभिषेक सिंह से शादी के बाद उन्होंने यूपी कैडर चुना। वर्तमान में वे लखीमपुर खीरी की जिलाधिकारी के पद पर कार्यरत हैं।

मुख्तार अंसारी पर सख्ती से चर्चा में आईं
दुर्गा शक्ति नागपाल ने बांदा की जिलाधिकारी के रूप में मुख्तार अंसारी के प्रति अपनी सख्त कार्रवाई से सुर्खियां बटोरीं। जब मुख्तार बांदा जेल में था, तब उनकी कठोर नीतियों ने उसे परेशान कर दिया था। मुख्तार की मृत्यु के समय भी वे बांदा की प्रमुख प्रशासक थीं। उनके साहसिक निर्णयों के कारण पूर्व सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया था। हालांकि, योगी आदित्यनाथ सरकार ने उन्हें पुनः बहाल किया। दुर्गा शक्ति के निडर और निष्पक्ष कार्यशैली ने उन्हें जनता के बीच एक लोकप्रिय अधिकारी बना दिया है। उनके कार्यों ने न केवल अपराधियों में भय पैदा किया, बल्कि कानून व्यवस्था को मजबूत करने में भी भूमिका निभाई। 

ऐसे की यूपी की महिलाओं की मदद
आईएएस दुर्गा शक्ति नागपाल ने उत्तर प्रदेश की महिलाओं के लिए एक नवीन और पर्यावरण अनुकूल आजीविका का मार्ग प्रशस्त किया है। उन्होंने गोबर के पारंपरिक उपयोग से हटकर, इसे दीये बनाने में इस्तेमाल करने का विचार दिया। इस पहल ने ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है। पहले जहां गोबर का उपयोग केवल उपले या खाद बनाने तक सीमित था, वहीं अब यह एक लाभदायक व्यवसाय में बदल गया है। दिवाली के मौसम में इन पर्यावरण-मित्र दीयों की बिक्री से महिलाओं को अच्छी आमदनी प्राप्त हुई।

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