यूपी के लिए दुर्भाग्य की बात है कि राज्य में बिजली चोरी करने वाले विद्युत उपभोक्ताओं को पावर कारपोरेशन 65 प्रतिशत तक चोरी के राजस्व निर्धारण में छूट देता है। इसे लेकर पिछले वर्षों में लगभग 1000 करोड़ से ज्यादा की माफी दी गई।
नियामक आयोग का तुगलकी प्रस्ताव : UPPCL ने 1000 करोड़ से ज्यादा की बिजली चोरों को दी छूट, अब उपभोक्ता भुगतेंगे खामियाजा!
Jan 18, 2025 19:31
Jan 18, 2025 19:31
नियामक आयोग का रुख अचानक क्यों बदला?
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने शनिवार को प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं से ऑनलाइन राय ली, जिसमें सभी उपभोक्ताओं ने एक आवाज में विद्युत नियामक आयोग के प्रस्तावित कानून की निंदा करते हुए आर-पार की लड़ाई लड़ने का एलान किया। उन्होंने कहा कि विद्युत नियामक आयोग को उपभोक्ताओं के हित में काम करना चाहिए। आयोग ने स्वयं वर्ष 2024-25 के बिजली दर के आदेश में स्पष्ट लिखा है कि बिजली चोरी व अन्य अक्षमता का खामियाजा बिजली उपभोक्ता नहीं भुगतेंगे। फिर केवल छह महीने में उनका हृदय परिवर्तन कैसे हो गया। इससे साफ जाहिर होता है कि वह निजी घरानों के दबाव में काम कर रहा है।
बिजली चोरी पर छूट, फिर उपभोक्ताओं से वसूली क्यों?
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि यूपी के लिए दुर्भाग्य की बात है कि राज्य में बिजली चोरी करने वाले विद्युत उपभोक्ताओं को उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) 65 प्रतिशत तक चोरी के राजस्व निर्धारण में छूट देता है। इसे लेकर पिछले वर्षों में लगभग 1000 करोड़ से ज्यादा की माफी दी गई। अब पावर कारपोरेशन से भी एक कदम आगे बढ़कर आयोग कह रहा है कि बिजली चोरी का खामियाजा प्रदेश का आदर्श विद्युत उपभोक्ता भुगतेगा। उन्होंने कहा कि यह उत्तर प्रदेश है, यहां प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रहते हुए इस प्रकार की कोशिश करना सरकार की छवि धूमिल करने वाला है। इसके लिए उपभोक्ता परिषद पूरी विधिक लड़ाई लड़ेगा और इसे किसी भी हालत में लागू नहीं होने देगा।
33122 करोड़ की वापसी पर कोई योजना नहीं
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने सभी उपभोक्ताओं को बताया कि विद्युत नियामक आयोग का प्रस्तावित कानून पूरी तरह से एकतरफा है। प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर अभी तक जो 33122 करोड़ सरप्लस है। ये वह धनराशि है, जो उपभोक्ताओं की है और बिजली कंपनियों को चुकी है। लेकिन, आने वाले समय में इसकी वापसी कैसे होगी या इसका लाभ कैसे उपभोक्ताओं को दिया जाएगा, प्रस्तावित कानून में जिक्र तक नहीं है। इससे ऐसा लगता है कि विद्युत नियामक आयोग केवल निजीकरण और बिजली कंपनियों के हित को देखने की दिशा में कदम उठा रहा है, जो असंवैधानिक परिपाटी को बढ़ावा देने वाला है।
उपभोक्ताओं की लड़ाई जारी
उपभोक्ता परिषद ने कहा कि नियामक आयोग को इस प्रकार की कार्रवाई से बचना चाहिए। आयोग के इस कदम का खामियाजा बेवजह प्रदेश के उपभोक्ताओं का उठाना पड़ेगा। प्रस्तावित कानून के विरोध में फिरोजाबाद से उपभोक्ता हरेंद्र कुमार, मथुरा से प्रदीप सिंह बिष्ट, शिवम मिश्रा, नोएडा से विनोद कुमार गुप्ता, प्रतापगढ़ से अनुराग माही, बलिया से संदीप कुमार गुप्ता, विनय कुमार सहित अन्य जनपदों से जुड़े विद्युत उपभोक्ताओं ने अपनी बात रखी और इसका विरोध जताया।
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