उपभोक्ता परिषद के मुताबिक पावर कारपोरेशन के अधिकारी यह मानते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों से राजस्व नहीं आता है, इसलिए उन्हें 24 घंटे बिजली देना कठिन है। हालांकि, यह तर्क तब कमजोर पड़ता है जब सरकार ग्रामीण बिजली दरों पर सब्सिडी के रूप में हजारों करोड़ रुपए पावर कारपोरेशन को देती है।
UPPCL की प्राथमिकता में ग्रामीण उपभोक्ता नहीं : बंद इकाइयां चालू करने के बजाय पीक आवर्स में खरीद रहा लाखों की बिजली
Nov 21, 2024 19:01
Nov 21, 2024 19:01
उत्पादन इकाइयों को बंद करना बना समस्या
प्रदेश में मौजूद 8 विद्युत उत्पादन इकाइयों को, जो लो डिमांड के कारण बंद कर दी गई हैं, विद्युत उपभोक्ता परिषद ने फिर से चालू करने की मांग की है। इन इकाइयों की क्षमता लगभग 1800 मेगावाट है। परिषद का कहना है कि इन्हें चालू कर ग्रामीण उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकती है।
ग्रामीण इलाकों से राजस्व कम होने का तर्क
उपभोक्ता परिषद के मुताबिक पावर कारपोरेशन के अधिकारी यह मानते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों से राजस्व नहीं आता है, इसलिए उन्हें 24 घंटे बिजली देना कठिन है। हालांकि, यह तर्क तब कमजोर पड़ता है जब सरकार ग्रामीण बिजली दरों पर सब्सिडी के रूप में हजारों करोड़ रुपए पावर कारपोरेशन को देती है। ग्रामीण उपभोक्ता पूर्ण लागत टैरिफ (Full Cost Tariff) के तहत 24 घंटे बिजली पाने के हकदार हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार को इस संवैधानिक अधिकार को जनहित का मुद्दा मानते हुए तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए।
ऊर्जा मंत्रालय को सूचना देने की मांग
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने गुरुवार को नॉर्दर्न रीजन लोड डिस्पैच सेंटर (NRLDC) के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर नबरून राय से बात कर यह मांग की है कि बिजली कटौती और लो डिमांड के चलते बंद पड़ी उत्पादन इकाइयों की जानकारी भारत सरकार और केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को दी जाए। इससे पहले वह विद्युत नियामक आयोग में जनहित प्रस्ताव दाखिल करके लो डिमांड में बंद सभी आठ मशीनों को चालू करने की मांग कर चुके हैं।
यूपीपीसीएल की नीति पर सवाल
अवधेश कुमार वर्मा ने कहा पावर कारपोरेशन ग्रामीण क्षेत्र को 24 घंटे बिजली नहीं आपूर्ति की जाए, इसलिए 8 मशीनों को बंद कर रखा है जिनकी कुल कैपेसिटी लगभग 1800 मेगावाट से ज्यादा है। उन्होंने कहा कि पावर कारपोरेशन पीक आवर्स में पावर एक्सचेंज से 2-3 मिलियन यूनिट बिजली 15 से 20 लाख रुपए में खरीद रहा है। यह बिजली अपनी बंद पड़ी इकाइयों से उत्पादित करके ग्रामीण क्षेत्रों को आसानी से दी जा सकती है। लेकिन, निगम की प्राथमिकता ग्रामीण क्षेत्रों को बिजली देने के बजाय लागत बचाने की लगती है। उन्होंने कहा कि यूपीपीसीएल ने उत्पादन इकाइयों को चालू न करने के पीछे यह तर्क दिया है कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों को अधिक बिजली दी जाएगी, जिससे निगम को आर्थिक नुकसान होगा। उपभोक्ता परिषद ने इसे अस्वीकार्य बताया है और कहा है कि उपभोक्ताओं के अधिकारों के साथ ऐसा व्यवहार अनुचित है।
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