शहर में बड़े भूखंडों के साथ हर नए निर्माण पर सैटेलाइट के माध्यम से निगरानी रखी जाएगी। इस तकनीक से नए अवैध निर्माण को पूरी तरह से रोका जाएगा।
बदलता उत्तर प्रदेश : एआई टेक्नोलॉजी से अवैध निर्माण रोकेगा जीडीए
Jan 06, 2025 16:53
Jan 06, 2025 16:53
- सैटेलाइट डाटा के जरिए अवैध निर्माण होगा चिह्नित
- गाजियाबाद में लागू होगा सिस्टम, रुकेगा अवैध निर्माण
- जीडीए ने निजी कंपनी के साथ किया एमओयू साइन
जीडीए के प्रवर्तन विभाग को इसकी जानकारी होगी
एआई टेक्नोलॉजी के माध्यम से निर्माण के शुरूआती दौर में ही अवैध निर्माण के बारे में जीडीए के प्रवर्तन विभाग को इसकी जानकारी होगी। ऐसे में सुपरवाइजर के स्तर पर होने वाली लापरवाही पर रोक लगेगी। समय रहते गैरकानूनी तरीके से होने वाले अवैध निर्माण को रोका जा सकेगा।
निर्माण गतिविधियों के प्रबंधन और निगरानी में बदलाव
इसके लिए जीडीए ने निजी कंपनी के साथ करार किया है। इसके तहत गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के कार्यक्षेत्र में निर्माण गतिविधियों के प्रबंधन और निगरानी में बदलाव लाने के लिए एआई से भू-स्थानिक विश्लेषण यानी जियोस्पाटियल एनालिसिस किया जाएगा। एनफोर्समेंट जियाट्रिक्स सॉफ्टवेयर से सैटेलाइट डेटा के आधार पर अवैध निर्माण को चिह्नित किया जाएगा। इससे मैप के अनुसार निर्माण होने का पता चलेगा।
तकनीक से अवैध निर्माण को चिह्नित कर कार्रवाई
गाजियाबाद से पहले इस सिस्टम को प्रदेश में सबसे पहले वाराणसी विकास प्राधिकरण ने लागू किया है। जहां पर इस तकनीक से अवैध निर्माण को चिह्नित कर कार्रवाई की जा रही है। जीडीए अधिकारियों की मानें कि इस सिस्टम को आने वाले दिनों में शुरू किया जाएगा। एआई टैक्नॉलाजी से अवैध निर्माण पर शिकंजा कसने के बाद जीडीए के सुपरवाइजर और जेई अपनी जिम्मेदारियों से नहीं बच सकेंगे।
सैटेलाइट इमेज से अवैध निर्माण चिह्नित
एआई टैक्नॉलाजी की मदद से सैटेलाइट इमेज से अवैध निर्माण को चिह्नित किया जाएगा। भवन निर्माण की इमेज सैटेलाइट के माध्यम से ली जाएगी। इमेज का पूर्व की इमेजों से मिलान किया जाएगा। इसके बाद एआई से इमेजों का विश्लेषण किया जाएगा। इसके बाद जीडीए से पास नक्शे के साथ उसका मिलान किया जाएगा। इससे पता चल जाएगा कि किस जगह पर नक्शे के विपरीत निर्माण हो रहा है या फिर पूरी तरह से अवैध निर्माण हो रहा है। इस पर संबंधित प्रवर्तन टीम को अवैध निर्माण रोकने या उसके ध्वस्तीकरण के लिए रिपोर्ट भेजी जाएगी। इसी के साथ संबंधित प्रवर्तन टीम से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।
एआई टैक्नॉलाजी से बड़े निर्माण पर नजर
एआई टैक्नॉलाजी से अवैध निर्माण रोकने के लिए पहले चरण में 1000 वर्ग मीटर या इससे अधिक भूखंडों पर फोकस किया जाएगा। इस एआई तकनीक से जिले में बन रही अवैध कॉलोनी का पता आसानी से चल सकेगा। उस मौके पर क्या काम हो रहे हैं, इसका भी पता एआई तकनीक से चल सकेगा। कमियां मिलने के बाद वहां पर टीम भेजकर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी। जोन वाइज सैटेलाइट इमेज को लिया जाएगा।
अवैध निर्माण को करता है तो उसके खिलाफ कानूनी रूप से कार्रवाई
जीडीए, वीसी अतुल वत्स ने कहा कि जीडीए किसी भी हालत में अवैध निर्माण नहीं होने देगा। अगर कोई अवैध निर्माण को करता है तो उसके खिलाफ कानूनी रूप से कार्रवाई की जाएगी। अब एनफोर्समेंट जियाट्रिक्स सॉफ्टवेयर के माध्यम से सैटेलाइट डेटा के आधार पर अवैध निर्माण को चिह्नित किया जाएगा। इसके लिए एआई की मदद ली जाएगी।
नए निर्माण होंगे सैटेलाइट के रडार पर
शहर में बड़े भूखंडों के साथ हर नए निर्माण पर सैटेलाइट के माध्यम से निगरानी रखी जाएगी। इस तकनीक से नए अवैध निर्माण को पूरी तरह से रोका जाएगा। जीडीए की प्रवर्तन टीम का कोई अधिकारी अवैध निर्माण पर तय समय के भीतर कार्रवाई नहीं करता है तो उसके खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
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