2016 में उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को ऐसे अवैध धार्मिक स्थलों को हटाने का निर्देश दिया था। इसके बाद कई स्थानों पर अभियान चलाकर अवैध ढांचों को हटाया गया।
Meerut News : अवैध धार्मिक स्थल बन रहे चुनौतियाँ, हाइवे और सड़क के किनारे आई धर्म स्थलों की बाढ़
Oct 10, 2024 13:07
Oct 10, 2024 13:07
- कानूनी विवाद और सामाजिक तनाव का कारण
- धार्मिक आस्था गहरी जड़ों से जुड़ी हुई
- अवैध धार्मिक स्थल और धार्मिक आस्था पर विचार गोष्ठी
लगभग हर धार्मिक समुदाय से जुड़े
इस दौरान प्रोफेसर प्रमोद पांडेय ने कहा कि अवैध धार्मिक स्थलों के तमाम उदाहरण लगभग हर धार्मिक समुदाय से जुड़े हैं। दिल्ली में यमुना नदी के किनारे बड़ी संख्या में अवैध धार्मिक स्थल बने हुए हैं। इनमें मंदिर, मस्जिद और दरगाह शामिल हैं। महाराष्ट्र में कई बार सड़कों के किनारे अवैध मंदिर और मस्जिदें बनाई गई हैं।
धार्मिक स्थलों के कारण ट्रैफिक जाम की समस्या
मुंबई में यातायात के दौरान ऐसी जगहों पर कई धार्मिक स्थलों के कारण ट्रैफिक जाम की समस्या देखी जाती है। 2017 में, बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने मुंबई में 1500 से अधिक अवैध धार्मिक स्थलों की पहचान की थी, और उनमें से कुछ को ध्वस्त भी किया था। 2011 में गुजरात उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि अवैध रूप से बने धार्मिक स्थलों को हटाया जाए। सरकार ने तब कई अवैध धार्मिक ढांचों को ध्वस्त किया था। जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) ने 2021 में कई ऐसे मंदिरों और धार्मिक स्थलों को हटाने का अभियान चलाया, जो बिना अनुमति के बने थे और यातायात में बाधा उत्पन्न कर रहे थे। उत्तर प्रदेश में कई धार्मिक स्थलों का निर्माण सरकारी ज़मीन पर बिना अनुमति के किया गया है।
योगी सरकार ने चलाया था अभियान
वरिष्ठ राजनैतिक चिंतक डॉक्टर एससी त्रिपाठी ने कहा कि 2019 में योगी आदित्यनाथ सरकार ने ऐसे अवैध धार्मिक स्थलों की पहचान और उन्हें हटाने का अभियान चलाया। खासकर लखनऊ और वाराणसी जैसे शहरों में कई अवैध धार्मिक स्थल हटाए गए। मध्य प्रदेश में भी सड़क के किनारे या सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक स्थल बनाए गए हैं। 2016 में उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को ऐसे अवैध धार्मिक स्थलों को हटाने का निर्देश दिया था। इसके बाद कई स्थानों पर अभियान चलाकर अवैध ढांचों को हटाया गया। भारत में मस्जिदों का अवैध निर्माण भी एक संवेदनशील और विवादास्पद मुद्दा है। कई बार यह देखा गया है कि मस्जिदों का निर्माण सार्वजनिक ज़मीन या सरकारी संपत्ति पर किया जाता है। रेलवे स्टेशन, पार्क, या सड़क के किनारे जैसे स्थानों पर अवैध रूप से मस्जिद बनाने की कोशिशें होती हैं।
सामूहिकता के दबाव में अक्सर कार्यपालिका को झुकना पड़ता
वरिष्ठ अधिवक्ता विभु ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देश के बावजूद सामूहिकता के दबाव में अक्सर कार्यपालिका को झुकना पड़ता है। अवैध धार्मिक स्थल से जुड़ा मामला कई वर्षों तक लंबित पड़ा रहता है। यदि हम आधुनिक समय में धर्म ,विकास,राष्ट्र और सामुदायिक सद्भाव के मध्य एक सुन्दर संतुलन बनाने में कामयाब हो जाते है तो निश्चित ही आने वाले दशकों में हम विकसित राष्ट्र बन सकते हैं ।
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