फूलन देवी वो नाम है, जिसने लोगों में डर और आतंक पैदा कर दिया था। लेकिन बागी बनने वाले फूलन देवी हमेशा से ऐसी नहीं थी। वो भी साधारण से परिवार का हिस्सा थी, लेकिन परिस्थिति ऐसी आई कि फूलन देवी ने एक साधारण-सी लड़की से डाकू और डाकू से सांसद तक का सफर तय किया।
कभी यूपी और एमपी में फूलन देवी का होता था खौफ : फिर राजनीति में कदम रख की नई शुरुआत, पढ़िए डकैतों में रॉबिनहुड बैंडिट क्वीन के अनसुने किस्से
Jul 25, 2024 19:31
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कौन है फूलन देवी?
अगर आप जानना चाहते हैं कि एक मासूम लड़की बिहड़ों की डाकू कैसे बनी तो आपको सबसे पहले ये जानना होगा कि फूलन देवी कौन है। गरीब और पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखने वाली फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को उत्तर प्रदेश के जालौन के घूरा का पुरवा में हुआ था। परिवार वालों ने उसकी शादी 10 साल की उम्र में ही 30-40 साल बड़े आदमी से कर दी थी। फूलन की खराब सेहत के चलते वो मायके लौट आई, जिसके बाद उसके पति ने दूसरी शादी कर ली। इसी दौरान परिस्थितियों के चलते फूलन देवी डाकुओं के गिरोह का सहारा लेना पड़ा। इस दौरान डाकुओं के सरदार बाबू गुर्जर की गंदी नजर फूलन पर पड़ी। डकैत विक्रम मल्लाह ने गुर्जर की हत्या कर दी और खुद गिरोह का सरदार बन गया। ठाकुरों को लगता था कि बाबू गुर्जर की हत्या की जिम्मेदार फूलन देवी है। इस पूरे घटनाक्रम के चलते विक्रम मल्लाह और ठाकुरों की लड़ाई में विक्रम मल्लाह मारा गया। ठाकुर फूलन देवी को उठा कर ले गए और 3 हफ्ते तक उसका गैंगरेप किया। फूलन देवी ने अपना बदला लेने के लिए बंदूक हाथ में थाम ली।
बेहमई में हुआ फूलन का गैंगरेप
जानकारी के मुताबिक, फूलन देवी जब 16 साल की थी, तब बेहमई के ठाकुरों ने उसके साथ गैंगरेप किया था। जैसे-तैसे उस समय तो फूलन देवी ठाकुरों के चंगुल से भाग निकली थीं, लेकिन उसने बदला लेने की ठान ली थी। जिसके बाद फूलन देवी डाकुओं के गिरोह में शामिल हो गई थी और फूलन देवी को डाकू फूलन देवी के नाम से जाना जाने लगा। फूलन देवी केवल 18 साल की थी जब उसने पूरी गैंग के साथ मिलकर बेहमई हत्याकांड को अंजाम दिया था।
क्या है बेहमई कांड की दर्दनाक घटना?
कानपुर के बेहमई गांव में 14 फरवरी 1981 को डाकू फूलन देवी ने 20 लोगों को लाइन में खड़ा करके गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। जिनकी हत्या की गई वे सभी ठाकुर बिरादरी के थे। जिसके बाद इस हत्याकांड की रिपोर्ट राजाराम नामक ने लिखवाई थी, जिसमें फूलन देवी के साथ 15 को नामजद करते हुए 36 लुटेरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया गया था।
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फूलन देवी ने किया था सरेंडर
बेहमई हत्याकांड को अंजाम देने के बाद फूलन देवी ने गिरोह के साथ मिकलर कई घटनाओं को अंजाम दिया। जिसमें आतंक लूटपाट, हत्या और अपहरण जैसे कई घटना शामिल थी। एक तरफ फूलन देवी का नाम चर्चा में आ गया, वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश की पुलिस भी उसके पीछे हाथ धो कर पड़ गई थी। कुछ समय बाद फूलन देवी ने सरेंडर कर दिया।
सरेंडर के दौरान रखी कई शर्ते
आपको बता दें कि फूलन देवी ने सरेंडर के दौरान कई शर्तें भी रखी थी, जिसमें महात्मा गांधी और देवी दुर्गा की तस्वीर के सामने सरेंडर करना, गिरोह के किसी भी सदस्य को फांसी की सजा नहीं होना, सदस्यों को आठ साल से अधिक की सजा नहीं होना, आजीविका चलाने के लिए भूखंड और सुरक्षा मुहैया कराने जैसी कई शर्तें शामिल थी। इसके बाद मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री के सामने डाकू फूलन देवी ने हथियार डाल दिया थे, जहां उसे गिरफ्तार करने के लिए बड़ी पुलिस फोर्स तैनात थी।
कांशीराम के कारण राजनीति में एंट्री
दलितों के मसीहा कहे जाने वाले कांशीराम की वजह से ही फूलन देवी को राजनीति में एंट्री मिली। जब फूलन देवी जेल में थी, तब कांशीराम ने फूलन देवी को उसकी पार्टी में शामिल होने का मौका दिया था और साथ ही उसे जेल से भी निकाला था।
मिर्जापुर से सांसद बनी थी फूलन देवी
आपको बता दें कि सरेंडर करने के बाद फूलन देवी पर 22 कत्ल, 30 लूटपाट और 18 अपहरण के केस चलाए गए थे। सभी 11 साल तक चले इन मुकदमों के बाद 1993 में उत्तर प्रदेश की मुलायम सिंह सरकार ने सभी मुकदमे हटाकर फूलन देवी को बरी कर दिया था। फूलन देवी 1994 में जेल से रिहा हो गई और इसके बाद राजनेता बनकर सामने आई। समाजवादी पार्टी ने फूलन देवी को 1996 में लोकसभा का टिकट दिया और जीत भी गई। यहाँ से फूलन देवी के ससंद जाने के सफर की शुरुआत हुई। मिर्जापुर से सांसद बनीं फूलन देवी इसके बाद दिल्ली में रहने लगी लेकिन यही पर उनकी हत्या कर दी गई थी।
किसने की थी फूल देवी की हत्या
आपको बता दें कि 25 जुलाई 2001 को दिल्ली में शेर सिंह राणा फूलन देवी से मिलने आया था। जिसने पहले फूलन के हाथ से खीर खाई और फिर घर के गेट पर फूलन को गोली मार दी। फूलन की हत्या के बाद राणा ने कहा था कि उसने बेहमई कांड का बदला लिया है।
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