राहुल गांधी, रायबरेली के सांसद और विपक्ष के नेता, अपने हालिया बयान को लेकर विवादों में घिर गए हैं। उन्होंने 15 जनवरी, 2025 को दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के नए मुख्यालय के उद्घाटन के दौरान कहा था कि “भाजपा और आरएसएस ने हर एक संस्थान पर कब्जा कर लिया है और अब हम भाजपा, आरएसएस और भारतीय राज्य (Indian States) से लड़ रहे हैं।” इस बयान के बाद असम के गुवाहाटी में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
‘इंडियन स्टेट से लड़ाई’ पर मुश्किल में राहुल गांधी : असम में दर्ज हुई एफआईआर, बयान ने खड़ा किया विवाद
Jan 19, 2025 16:16
Jan 19, 2025 16:16
बयान पर एफआईआर दर्ज होने का कारण
राहुल गांधी के इस बयान के बाद गुवाहाटी के पान बाजार पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई है। यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 152 और 197(1)डी के तहत दर्ज किया गया है। इन धाराओं के तहत राहुल गांधी के खिलाफ "भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों" के आरोप लगाए गए हैं। एफआईआर एक संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध के तहत दर्ज की गई है।
शिकायतकर्ता का आरोप
एफआईआर की शिकायत मोनजीत चेतिया नामक व्यक्ति ने दर्ज करवाई है, जिन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी के बयान ने सार्वजनिक व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर दिया है। चेतिया के अनुसार, गांधी ने अपनी टिप्पणी में जानबूझकर विध्वंसकारी गतिविधियों और विद्रोह को बढ़ावा देने का प्रयास किया। उनका यह कहना था कि राहुल गांधी ने भारतीय राज्य के खिलाफ अपनी लड़ाई की बात कर सार्वजनिक रूप से राज्य के अधिकार को चुनौती दी, जिससे देश में अशांति और अलगाववादी भावनाओं को बढ़ावा मिल सकता था।
चेतिया ने एफआईआर में आगे कहा कि राहुल गांधी के बयान ने एक खतरनाक आख्यान (Narrative) का निर्माण किया है, जो देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा बन सकता है। उनका मानना था कि यह बयान भारत के लोकतांत्रिक संस्थाओं और राज्य के अधिकार को नकारने का प्रयास था।
राहुल गांधी के बयान के पीछे का उद्देश्य
चेतिया ने यह भी दावा किया कि राहुल गांधी का यह बयान उनके चुनावी विफलताओं से उत्पन्न हताशा का परिणाम था। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष के नेता के रूप में राहुल गांधी की जिम्मेदारी थी कि वे लोकतांत्रिक संस्थाओं और जनता के विश्वास को बनाए रखें, लेकिन उन्होंने इसके विपरीत झूठ फैलाने और विद्रोह भड़काने की कोशिश की, जिससे देश की एकता और संप्रभुता को खतरा उत्पन्न हो गया। चेतिया ने यह भी कहा कि राहुल गांधी के बयान ने भारतीय राज्य की अखंडता और स्थिरता के लिए सीधी चुनौती दी है और इस प्रकार इसके खिलाफ तत्काल कानूनी कार्रवाई आवश्यक है।
विपक्ष के नेता के तौर पर बयान की गंभीरता
शिकायतकर्ता ने यह भी कहा कि राहुल गांधी के बयान ने उनके पद और कर्तव्यों की अवहेलना की है। विपक्ष के नेता के तौर पर उनका यह बयान खासतौर पर चिंताजनक है, क्योंकि उनकी भूमिका में लोकतांत्रिक संस्थाओं में विश्वास बनाए रखना और सार्वजनिक व्यवस्था का सम्मान करना शामिल है। इसके बजाय, राहुल गांधी ने ऐसे बयान दिए जो भारत की एकता और संप्रभुता को खतरे में डालते हैं।
चेतिया ने यह भी जोड़ा कि चुनावी असफलताओं और राजनीतिक दबाव के चलते राहुल गांधी ने अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए हिंसात्मक और विभाजनकारी टिप्पणियां की हैं, जो न केवल राज्य के अधिकार को चुनौती देती हैं, बल्कि सामाजिक अशांति का कारण भी बन सकती हैं।
एफआईआर और उसके कानूनी परिणाम
एफआईआर के तहत राहुल गांधी के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया है, जो एक संज्ञेय अपराध है, यानी इसके लिए तुरंत पुलिस कार्रवाई की जा सकती है और आरोपी को गिरफ्तार किया जा सकता है। इसके अलावा, यह मामला गैर-जमानती है, जिसका मतलब है कि यदि राहुल गांधी के खिलाफ अदालत में आरोप सिद्ध होते हैं, तो उन्हें जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता।
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