पितृ मोक्ष अमावस्या यानि पितृ विसर्जन के मौके पर तीर्थराज प्रयाग में पूर्वजों की आत्मा की शान्ति और मुक्ति के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। इस मौके पर देश के कोने-कोने से श्रद्धालु संगम नगरी में पहुंचकर पूर्वजों का...
Prayagraj News : तीर्थराज में पितरों को मोक्ष के लिए मुंडन कराया, पिण्डदान और तर्पण किया...
Oct 02, 2024 15:07
Oct 02, 2024 15:07
- पितरों के श्राद्ध कर्म की शुरुआत प्रयाग के संगम तट पर मुण्डन संस्कार से ही होती है।
- त्रिवेणी में डुबकी लगाकर पूर्वजों की आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना भी कर रहे हैं।
- पितृ मोक्ष अमावस्या यानि पितृ विसर्जन पर संगम में श्रद्धालुओं का लगा तांता।
प्रयाग, काशी और गया में ही होता है पिंडदान
हिन्दू धर्म में पिंडदान प्रयाग, काशी और गया में ही होता है। लेकिन, पितरों के श्राद्ध कर्म की शुरुआत प्रयाग के संगम तट पर मुण्डन संस्कार से ही होती है। श्रद्धालु यहां मुंडन कराकर सत्रह पिंड तैयार करते हैं और विधि विधान से पूजा अर्चना के बाद उसे संगम में विसर्जित करते हैं। ऐसी भी मान्यता है कि पितृ पक्ष में संगम में पिंडदान करने से पितृ ऋण से भी मुक्ति मिलती है। तीर्थ पुरोहितों के मुताबिक, पितृ अमावस्या के मौके पर संगम में केश दान कर पिंडदान करने से गया में पिण्डदान के बराबर ही पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है। पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन पितृ पक्ष में धरती पर आये पितरों को याद कर उन्हें विदाई दी जाती है।
गुरुवार से दोबारा मांगलिक कार्य
इस दिन का इतना बड़ा महत्व है कि यदि पूरे पितृ पक्ष में कोई पितरों का तर्पण नहीं कर सका है, तो इस दिन पितरों को याद कर दान करने और गरीबों को भोजन कराने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। ऐसी मान्यता है कि पितृ अमावस्या के दिन दान करना फलदायी होता है और इस दिन दान करने से राहु के दोष से भी मुक्ति मिलती है। पितृ अमावस्या के बाद गुरुवार से शारदीय नवरात्रि की भी शुरुआत हो रही है। जिससे गुरुवार से दोबारा मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाएंगे।
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