महाकुंभ 2025 : गोरक्षा के लिए शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के शिविर में बनाई गई 324 कुंडीय सबसे बड़ी यज्ञशाला

गोरक्षा के लिए शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के शिविर में बनाई गई 324 कुंडीय सबसे बड़ी यज्ञशाला
UPT | यज्ञशाला की फोटो।

Jan 11, 2025 19:01

संगम नगरी में दो दिन बाद शुरू होने वाले महाकुंभ मेले में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी के शिविर में गोरक्षा के लिए 324 कुंडीय वाली विशाल यज्ञशाला बनाई गई है, जो महाकुंभ का एक प्रमुख आकर्षण होगी।

Jan 11, 2025 19:01

Short Highlights

 

 

Prayagraj News : महाकुंभ 2025 के भव्य आयोजन में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी के शिविर में गोरक्षा के लिए सबसे बड़ी यज्ञशाला बनाई गई है। यह यज्ञशाला न केवल अपनी विशालता और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अपने विशेष संकल्प और उद्देश्य के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस यज्ञशाला में किसी भी बाहरी व्यक्ति की कोई रोक टोक नहीं है। वह समय से आने पर यज्ञ में सम्मिलित हो सकता है। 
 
यज्ञ का उद्देश्य गोरक्षा का संकल्प 
यह यज्ञ विशेष रूप से गोमाता को राष्ट्र माता का दर्जा दिलाने और गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है। धार्मिक और सामाजिक पहल के साथ यज्ञ के माध्यम से गोसंरक्षण के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने और गोमाता की पवित्रता को स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। 
 
यज्ञशाला की विशेषताएं 
यह यज्ञशाला 324 कुंडीय है जो इसे महाकुंभ की सबसे बड़ी यज्ञशाला बनाती है। यज्ञशाला का मध्य भाग नौ मंजिला है, जो इसकी भव्यता को और भी आकर्षक बनाता है। यज्ञशाला के चारों ओर बनाए गए नौ शिविर नौ दुर्गाओं को समर्पित हैं, जो दिव्य ऊर्जा का संचार करते हैं। यज्ञ के दौरान पंचदेवों का विशेष आह्वान किया जाएगा इसमें गणपति, सूर्य, विष्णु, रुद्र, गोमाता का आह्वाहन किया जाएगा।
 
यज्ञ में विद्वानों की सहभागिता 
यज्ञ में हजारों आचार्य और विद्वान नियमित रूप से वैदिक मंत्रों के उच्चारण और आहुतियां देने में सहभागिता करेंगे। इस आयोजन में वैदिक परंपराओं के ज्ञाता, आध्यात्मिक गुरु और विभिन्न धर्मपीठों से जुड़े विद्वानों का भी योगदान रहेगा। यह यज्ञ 5 जनवरी से 12 फरवरी 2025 तक लगातार 39 दिनों तक चलेगा। यज्ञ के प्रत्येक दिन विशेष वैदिक अनुष्ठानों और विधियों का पालन किया जाएगा।
 
गोमाता के महत्व को प्रचारित करना 
यज्ञ के माध्यम से गोमाता की उपयोगिता, आध्यात्मिक महत्व और उनके संरक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला जाएगा। इस यज्ञ से निकलने वाले धुएं और वैदिक मंत्रोच्चार का वायुमंडल पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यज्ञ के दौरान गोसेवा, भंडारा और गोशालाओं के लिए दान जैसी गतिविधियों का आयोजन होगा। 
 
श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण 
नौ मंजिला यज्ञशाला की भव्यता के साथ यह यज्ञशाला श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। इसकी अद्वितीय संरचना हर किसी को अचंभित करती है। यज्ञशाला के पास गोसेवा के लिए विशेष शिविर बनाए गए हैं, जहां गोसेवा के महत्व को बताया जाएगा। यज्ञशाला के आसपास का वातावरण मंत्रोच्चार और आहुतियों की दिव्यता से गूंज रहा है। महाकुंभ 2025 में गोरक्षा के उद्देश्य से बनाई गई यह यज्ञशाला न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह समाज में गोसंरक्षण और पर्यावरण संतुलन की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। इसकी भव्यता, उद्देश्य और दिव्यता इसे महाकुंभ के प्रमुख आकर्षणों में से एक बनाते हैं। 

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