महाकुंभ में मिठास घोल रहे 'रबड़ी बाबा' : रोज अपने हाथ से बनाते हैं 50 किलो प्रसाद, निस्वार्थ भाव से कर रहे हैं सेवा

रोज अपने हाथ से बनाते हैं 50 किलो प्रसाद, निस्वार्थ भाव से कर रहे हैं सेवा
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Jan 10, 2025 13:06

महाकुंभ पहुंचे रबड़ी वाले बाबा। उन्होंने बताया कि वह 9 दिसंबर से महाकुंभ में रबड़ी का वितरण कर रहे हैं और यह सिलसिला 6 फरवरी तक जारी रहेगा।

Jan 10, 2025 13:06

Prayagraj News : महाकुंभ 2025 की तैयारियां जोरों पर और इस बार महाकुंभ में एक और अनोखा चेहरा सामने आया है जिन्हें सब रबड़ी वाले बाबा के नाम से जानते है। उनका दावा है कि वह हर दिन हजारों लोगों को रबड़ी का स्वाद चखाते हैं और यह कार्य उन्होंने 2019 में शुरू किया था। रबड़ी वाले बाबा ने बताया कि यह सेवा केवल लोगों की भलाई और आशीर्वाद के लिए है और इसके पीछे उनका कोई पब्लिसिटी स्टंट नहीं है।

सुबह आठ बजे से शुरू होती है रबड़ी बनने की प्रक्रिया
नरेंद्र देव गिरी ने बताया कि वह 9 दिसंबर से महाकुंभ में रबड़ी का वितरण कर रहे हैं और यह सिलसिला 6 फरवरी तक जारी रहेगा। हर दिन सुबह आठ बजे कड़ाही चढ़ाई जाती है और इससे पहले वह स्नान-ध्यान करते हैं। उन्होंने कहा, "रबड़ी बनाने का काम मैं अकेले ही करता हूं। इसमें कोई और सहयोगी नहीं है और यह केवल भगवती और मां काली की कृपा से चलता है।" बाबा ने यह भी कहा कि वह कभी किसी से कुछ नहीं मांगते, लेकिन अगर कोई दान करता है तो वह स्वीकार कर लेते हैं।



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आशीर्वाद से मिली सफलता
बाबा ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि 2019 में रबड़ी खिलाने के बाद लोगों का आशीर्वाद मिला जिससे वह अखाड़े के श्रीमहंत बन गए। रबड़ी वाले बाबा ने बताया कि उनका पद पहले नागा बाबा था, लेकिन अब उन्होंने अखाड़े में सबसे बड़े पद पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सेवा का उद्देश्य केवल लोगों का भला करना है, और वह इस सेवा में कोई कमी नहीं छोड़ेंगे। महाकुंभ में रबड़ी वाले बाबा की यह सेवा हर रोज हजारों श्रद्धालुओं को लाभ पहुंचा रही है। उनके इस अनूठे प्रयास ने न केवल लोगों के जीवन में मिठास घोली है, बल्कि उन्हें एक उच्च सम्मान भी दिलवाया है।

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रबड़ी सेवा का विचार कैसे आया?
रबड़ी वाले बाबा, जो श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के श्रीमहंत नरेंद्र देव गिरी हैं, ने बताया कि रबड़ी बनाने का विचार 2019 में उनके मन में आया था। उस समय उन्होंने कुंभ मेले में लोगों को रबड़ी खिलाई और इसका उद्देश्य था लोगों के जीवन में मिठास घोलना। बाबा ने कहा, "यह रबड़ी पहले कपिल मुनि और देवताओं को चढ़ाई जाती है, इसके बाद यह श्रद्धालुओं के बीच बांटी जाती है। यह सेवा केवल लोगों के लिए है, और किसी तरह की पब्लिसिटी का कोई उद्देश्य नहीं है।"

रबड़ी वाले बाबा कौन हैं?
47 वर्षीय महंत गिरी जी महाराज जो एक नागा साधु हैं ने 18 वर्ष की आयु में सांसारिक जीवन के सभी सुखों को त्याग कर धार्मिक यात्रा पर जाने का संकल्प लिया था। उत्तराखंड से चारधाम यात्रा की शुरुआत करते हुए उन्होंने आत्मिक शांति की ओर कदम बढ़ाया। महंत गिरी जी महाराज खुद को उत्तर गुजरात के सिद्धपुर पाटन स्थित महाकाली बीड़ शक्तिपीठ का निवासी मानते हैं। वे श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के दिगंबर देव गिरि बाबा के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। अब रबड़ी वाले बाबा के नाम से कुंभ में उनका जलवा देखा जा रहा है, जहां वे अपने अनोखे अंदाज से श्रद्धालुओं के बीच छाए हुए हैं।

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