आज दिनांक 10 जनवरी 2025 को आयोजित परमधर्मसंसद का शुभारंभ ध्वजारोहण और दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य परमाराध्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज ने संसद का उद्घाटन किया।
Prayagraj News : महाकुंभ में आज दिनांक 10 जनवरी 2025 को आयोजित परमधर्मसंसद का शुभारंभ ध्वजारोहण और दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य परमाराध्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज ने संसद का उद्घाटन किया। इस अवसर पर अग्नि अखाड़ा के सभापति मुक्तानंद जी महाराज ने दीप प्रज्ज्वलित कर सत्र की शुरुआत की। धर्मसंसद में संपूर्ण माघ मास तक प्रतिदिन दोपहर 12 से 3 बजे तक विभिन्न विषयों पर चर्चा की जाएगी। स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंद जी द्वारा महत्वपूर्ण निर्देश और आदेश जारी किए जाएंगे।
धर्मसंसद में पारित प्रमुख प्रस्ताव
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के चित्रों का सम्मानजनक स्थान
संसद ने संज्ञान लिया कि मेला क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चित्र नालियों के पास असम्मानजनक ढंग से रखे गए हैं। यह प्रस्ताव पारित हुआ कि इन चित्रों को गरिमापूर्ण स्थान दिया जाए, जो उनकी मर्यादा के अनुरूप हो।
धर्मध्वज का मूल स्थान पर पुनः स्थापना
1954 के महाकुंभ मेले में राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा स्थापित धर्मध्वज का स्थानांतरण अपमानजनक माना गया। संसद ने प्रस्ताव पारित कर इसे मूल स्थान पर प्रतिष्ठापित करने की मांग की।
धर्मसंसद ने त्रिवेणी संगम के दूषित जल पर चिंता व्यक्त की। स्नान के लिए जल की शुद्धता की तत्काल जांच कर आवश्यक कार्रवाई करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ।
मेले की धीमी व्यवस्थाओं में सुधार
धर्मसंसद ने मेले की व्यवस्थाओं में देरी पर असंतोष व्यक्त किया। प्रस्ताव पारित कर तेजी से कार्य पूरा करने का निर्देश दिया गया ताकि श्रद्धालुओं को किसी असुविधा का सामना न करना पड़े।
कुंभ मेले के आयोजन और पर्व स्नान की तिथियां हिन्दी विक्रम संवत के अनुसार तय होती हैं। संसद ने प्रस्ताव पारित कर वर्ष 2025 के स्थान पर विक्रम संवत 2081 का उपयोग सरकारी पत्राचार और होर्डिंग में करने का निर्देश दिया।
विशिष्ट उपस्थितियां और श्रद्धांजलि
संसद में राजगढ़ के धर्मसंवद मनोहर लाल जायसवाल के आकस्मिक निधन पर शोक व्यक्त किया गया। तीन बार शांति मंत्र का उच्चारण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई।गुजरात के धर्माधीश किशोर दवे जी, संसदीय सचिव डॉ. उमाशंकर रघुवंशी, उपसचिव देवेन्द्र पाण्डेय व स्वामी निजानंद गिरि उपस्थित रहे।इस अवसर पर सुश्री गार्गी पंडित, कृष्ण गोपाल पाठक, विकास पाटनी, बाबूलाल जांगिड़, महेंद्र भार्गव, सुभाष मल्होत्रा और मालचंद्र जी सहित कई अन्य विद्वानों ने अपने विचार रखे।
परमधर्मसंसद का उद्देश्य और महत्व
यह परमधर्मसंसद भारतीय सनातन संस्कृति की समस्याओं, धर्म की महत्ता और सामाजिक समरसता पर विचार-विमर्श का मंच है। यहां लिए गए निर्णय समाज में धर्म के प्रति जागरूकता बढ़ाने और सामाजिक उत्थान में सहायक होंगे।
आगामी सत्र : यह संसद माघ मास भर चलेगी, जिसमें प्रतिदिन नये विषयों पर चर्चा और स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंद जी द्वारा आदेश जारी किए जाएंगे।
धर्मशास्त्रों के अनुसार, उज्जैन से दीक्षा लेने वाले नागा साधुओं को खूनी नागा बाबा कहा जाता है। मान्यता है कि उज्जैन के नागा साधु अपेक्षाकृत गर्म स्वभाव के होते हैं, इसलिए यहां के नागा साधुओं को खूनी नागा बाबा का नाम दिया गया है। और पढ़ें