गंगा-यमुना के बीच जमीन पर दावा : हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर लगाया एक लाख का जुर्माना

UPT | दिल्ली हाईकोर्ट

Mar 15, 2024 22:13

दिल्ली उच्च न्यायालय ने यमुना और गंगा के बीच की जमीन पर स्वामित्व का दावा करने वाले एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए एक लाख रुपये के जुर्माने के साथ...

Short Highlights
  • भारत सरकार और पूर्वजों के साथ समझौता नहीं
  • एक लाख रुपये की लागत के साथ खारिज

 

Agra News : दिल्ली उच्च न्यायालय ने यमुना और गंगा के बीच की जमीन पर स्वामित्व का दावा करने वाले एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए एक लाख रुपये के जुर्माने के साथ खारिज कर दिया। कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह ने आगरा से लेकर मेरठ, दिल्ली, गुरुग्राम और उत्तराखंड की 65 राजस्व संपदाओं सहित अन्य स्थानों पर भूमि को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल किया था। जिसे कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने पूर्ववर्ती राजा के उत्तराधिकारी होने का दावा करने वाले व्यक्ति की याचिका को खारिज कर दिया। वहीं, राहत देने से इनकार करने वाले एकल-न्यायाधीश के आदेश को कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह ने चुनौती दी थी।

भारत सरकार और पूर्वजों के साथ समझौता नहीं
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता कुंवर महेंद्र ने आजादी के 78 वर्ष बाद इस तरह का दावा नहीं कर सकता। पिछले साल दिसंबर में, एकल पीठ ने कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह की याचिका दस हजार (10,000) रुपये की लागत के साथ खारिज कर दी थी। कुंवर महेंद्र  ने अपील में दावा किया कि संयुक्त प्रांत आगरा के बेसवां परिवार की रियासत के अंतर्गत आने वाली जमीन पर उनका सौ फीसदी अधिकार है। हालांकि, भारत सरकार और उनके पूर्वजों के बीच कोई अधिग्रहण समझौता नहीं हुआ था।

एक लाख रुपये की लागत के साथ खारिज
पीठ ने कहा यह कोर्ट एकल न्यायाधीश के इस विचार से सहमत है कि अपीलकर्ता की ओर से किए गए दावे पर रिट कार्यवाही में फैसला नहीं सुनाया जा सकता है। याचिका एक लाख (One Lakh) रुपये की लागत के साथ खारिज कर दी गई। पीठ ने कहा कि याचिका साफ तौर पर देरी के साथ-साथ समाप्ति के सिद्धांत से बाधित थी। क्योंकि याचिका आजादी के सात दशक बाद दायर की गई थी। 

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