इंद्रदेव महाराज की टिप्पणी पर नहीं थम रहा बवाल : अक्रूर मंदिर में आयोजित हुई धर्मसभा, अक्षम्य अपराध करार दिया गया

UPT | इंद्रदेव महाराज की टिप्पणी पर नहीं थम रहा बवाल

Jul 31, 2024 16:06

महामंडलेश्वर इंद्रदेव महाराज की अभद्र टिप्पणी पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। भले ही उन्होंने अपने बयान के लिए माफी मांग ली हो, लेकिन उनका विरोध अभी भी जारी है। इसी क्रम में मथुरा के वृंदावन स्थित अक्रूर मंदिर में मंगलवार को एक महत्वपूर्ण धर्म सभा का आयोजन किया गया।

Short Highlights
  • इंद्रदेव महाराज की टिप्पणी पर विवाद जारी
  • अक्रूर मंदिर में आयोजित हुई धर्मसभा
  • महामंडलेश्वर पद से बर्खास्त करने की मांग
Mathura News : महामंडलेश्वर इंद्रदेव महाराज की अभद्र टिप्पणी पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। भले ही उन्होंने अपने बयान के लिए माफी मांग ली हो, लेकिन उनका विरोध अभी भी जारी है। इसी क्रम में मथुरा के वृंदावन स्थित अक्रूर मंदिर में मंगलवार को एक महत्वपूर्ण धर्म सभा का आयोजन किया गया। इस सभा में धर्म रक्षा संघ और रासबिहारी समाज के साथ-साथ वृंदावन के प्रमुख संत-महंत, धर्माचार्य, भागवताचार्य, रासाचार्य, चतुर्वेदी समाज, रामलीला कमेटी, क्षत्रिय समाज और स्थानीय ब्रजवासी शामिल हुए। सभा का मुख्य उद्देश्य महामंडलेश्वर इंद्रदेव द्वारा रामलीला में प्रभु श्रीराम और माता सीता के पात्रों पर की गई अमर्यादित टिप्पणी का विरोध करना था। महामंडलेश्वर स्वामी कृष्णानंद महाराज ने इस धर्म सभा की अध्यक्षता की, जिसमें विभिन्न धार्मिक और सामाजिक समूहों के प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे।

महामंडलेश्वर पद से बर्खास्त करने की मांग
धर्म सभा में सर्वसम्मति से कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए। इनमें प्रमुख रूप से महामंडलेश्वर इंद्रदेव के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने का निर्णय शामिल था। साथ ही, उन्हें श्रीपंचायती निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर पद से बर्खास्त करवाने और उनका सामाजिक एवं धार्मिक बहिष्कार करने का भी प्रस्ताव पास किया गया। सभा ने यह भी तय किया कि आवश्यकता पड़ने पर धरना प्रदर्शन भी किया जाएगा। ये सभी कदम इंद्रदेव द्वारा की गई टिप्पणी के विरोध में उठाए जा रहे हैं, जिसे धार्मिक भावनाओं के खिलाफ माना जा रहा है। धर्म रक्षा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सौरभ गौड़ ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि महामंडलेश्वर इंद्रदेव की हठधर्मिता के कारण संत समाज, रासबिहारी समाज, चतुर्वेदी समाज और धर्म रक्षा संघ ने उनके खिलाफ "धर्म युद्ध" का ऐलान कर दिया है। गौड़ ने स्पष्ट किया कि जब तक इंद्रदेव दंड प्रक्रिया को स्वीकार नहीं करेंगे, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा। यह बयान इस विवाद की गंभीरता को दर्शाता है और यह भी संकेत देता है कि धार्मिक समुदाय इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार का समझौता करने को तैयार नहीं है।



टिप्पणी को अक्षम्य अपराध दिया गया करार
श्रीचतुर्वेदी रामलीला महासभा के अध्यक्ष बैजनाथ चतुर्वेदी ने इंद्रदेव की टिप्पणी को अक्षम्य अपराध करार दिया। उन्होंने कहा कि व्यास मंच पर इस प्रकार की अभद्र टिप्पणी करना बिल्कुल भी उचित नहीं है। रासबिहारी समाज के स्वामी देवकीनंदन महाराज ने भी इस मुद्दे पर अपने विचार रखे। धर्म सभा के अध्यक्ष महामंडलेश्वर कृष्णानंद महाराज ने यह स्पष्ट किया कि इंद्रदेव के खिलाफ ब्रजवासियों का विरोध जारी रहेगा। इन बयानों से यह स्पष्ट होता है कि विभिन्न धार्मिक और सामाजिक संगठन इस मुद्दे पर एकजुट हैं और वे लंबे समय तक विरोध जारी रखने को तैयार हैं। इस महत्वपूर्ण धर्म सभा में कई प्रमुख धार्मिक नेताओं और समाज के गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। इनमें महामंडलेश्वर रामस्वरूप दास ब्रह्मचारी महाराज, महंत फूलडोलबिहारी दास महाराज, सनत कुमार दास, महंत मोहनी बिहारी शरण, स्वामी सत्यमित्रानंद, आचार्य बद्रीश, स्वामी हरिवल्लभ ठाकुर, स्वामी देवकीनंदन शर्मा, स्वामी लेखराज शर्मा, स्वामी अवधेश शर्मा, गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी और अमित भारद्वाज शामिल थे। इतने प्रतिष्ठित व्यक्तियों की उपस्थिति इस बात का संकेत देती है कि यह मुद्दा स्थानीय धार्मिक समुदाय में कितना महत्वपूर्ण और संवेदनशील माना जा रहा है।

क्यों विवादों में घिरे थे इंद्रदेव महाराज?
दरअसल कथावाचक इंद्रदेव महाराज का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा था। इस वीडियो में वह कह रहे थे कि रामलीला में राम और सीता का किरदार निभाने वाले मंच के पीछे सिगरेट-शराब का सेवन करते हैं और रावण-कुंभकर्ण ताश खेलते हैं। उन्होंने कहा 'गांव के लोग मंच पर इन्हें देखकर श्रद्धा से ओत-प्रोत हो जाते हैं। इनका ब्लाउज खोलकर देख लो तो पता चले कि ये सीता नहीं, कुंभकर्ण है। वो तो शुक्र है कि ब्लाउज टाइट है, वरना संतरे नीचे गिर जाते।' इंद्रदेव महाराज का ये बयान वायरल हो गया, तो लोग भड़क गए। सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की जाने लगी। इसके बाद इंद्रदेव महाराज की तरफ से स्पष्टीकरण जारी किया गया। उन्होंने कहा कि मेरा कहने का आशय किसी भी भगवान या किसी भी व्यक्ति की आस्था को ठेस पहुंचाना नहीं था। जो मैंने देखा था वह अपने बचपन में देखा था और वही मैं व्यास पीठ से लोगों को बता रहा था। यदि लोगों को मेरी बात से कठिनाई हुई है या बात बुरी लगी है तो मैं उनसे क्षमा चाहता हूं।

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