Agra News : डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय की अनियमितताओं पर उठे सवाल, शिक्षा स्तर में सुधार की आवश्यकता

UPT | सिविल सोसाइटी के पदाधिकारी मीडिया को संबोधित करते हुए

Oct 23, 2024 18:49

डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय प्रशासन पर सवाल उठते रहे हैं, खासकर केन्द्र सरकार की नई शिक्षा नीति के प्रभावी कार्यान्वयन को लेकर।

Agra News : डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय प्रशासन पर सवाल उठते रहे हैं, खासकर केन्द्र सरकार की नई शिक्षा नीति के प्रभावी कार्यान्वयन को लेकर। प्रदेश के अधिकांश विश्वविद्यालयों में इस नीति के तहत शिक्षास्तर में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहे हैं, लेकिन लगता है कि अम्बेडकर विश्वविद्यालय इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाने में असमर्थ है। इसके चलते आगरा के छात्रों को बेहतर शिक्षा के लिए अन्य संस्थानों का रुख करना पड़ रहा है।

विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर उठे गंभीर सवाल
विश्वविद्यालय एक बार फिर एनएएसी रेटिंग में सुधार के प्रयास में है, लेकिन इसके लिए कोई ठोस व्यवस्थाएं लागू करने की बजाय केवल अनियमितताओं पर पर्दा डालने की कोशिश की जा रही है। आगरा की सिविल सोसाइटी ने विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनके मुताबिक, विश्वविद्यालय का दावा है कि 203 सहायक प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि इनमें से कई पद रिक्त हैं और विश्वविद्यालय में कार्यरत प्रोफेसरों में से कई के रिश्तेदार या करीबी संबंधी हैं।

जारी विज्ञापन को चुनौती
सिविल सोसाइटी ने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा जारी किए गए विज्ञापन अवैध हैं। राज्यपाल कार्यालय ने स्पष्ट किया है कि इन विज्ञापनों को अनुमति प्राप्त नहीं थी। इसके अलावा, 05 मई, 2022 को जारी विज्ञापन को चुनौती दी गई थी, जिसका फलस्वरूप राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के दावे को खारिज कर दिया था कि विज्ञापन को उनकी मंजूरी प्राप्त थी।



छात्रों के हितों के साथ भी अन्याय
सिविल सोसाइटी के पदाधिकारियों ने महामहिम से अनुरोध किया है कि विश्वविद्यालय गलत जानकारियों के आधार पर उच्च एनएएसी ग्रेडिंग प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है, जो कि शिक्षण स्तर में सुधार नहीं लाएगी। उनका कहना है कि सरकारी धन और संसाधनों का दुरुपयोग कर उच्च ग्रेडिंग का दावा करना न केवल भ्रामक है, बल्कि छात्रों के हितों के साथ भी अन्याय है।

अनियमितताओं और कुप्रबंधन को बढ़ावा
इस मुद्दे पर सिविल सोसाइटी के सदस्य शिरोमणि सिंह, अनिल शर्मा, राजीव सक्सेना और असलम सलीमी ने भी अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं। उनका मानना है कि विश्वविद्यालय को शासन, प्रशासन और छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करना चाहिए। अन्यथा, एनएएसी की उच्च ग्रेडिंग केवल विश्वविद्यालय की अनियमितताओं और कुप्रबंधन को बढ़ावा देगी।

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