अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का फैसला पलट दिया है।
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सात जजों की बेंच ने सुनाया फैसला
सात जजों की बेंच ने सुनाया फैसला
Aligarh news : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का फैसला पलट दिया है। शुक्रवार को देश की सर्वोच्च अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई। इस केस की सुनवाई 7 सदस्यों की संवैधानिक पीठ ने किया। इसका नेतृत्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने किया। चीफ जस्टिस 10 नवंबर को अपने पद से रिटायर हो रहे हैं। सात जजों की पीठ ने 8 दिन तक सुनवाई करने के बाद फैसला को सुरक्षित रखा था। वही एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे का फैसला आ गया है।
सात जजों की बेंच ने सुनाया फैसला
सुप्रीम कोर्ट की सात जाजो की बेंच में से 4:3 की मेजोरिटी से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का संविधान के आर्टिकल 30 के तहत माइनॉरिटी दर्जे का अधिकार दिया गया है। अनुच्छेद 30 के अनुसार धार्मिक और भाषाई आधार पर अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्था स्थापित व संचालित करने का अधिकार देता है। इन सात सदस्यीय पीठ में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति पारदीवाला, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा शामिल है।
इस बात की जांच होगी कि एएमयू को अल्पसंख्यकों ने स्थापित किया था
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मामले में कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे पर अब तीन जजों की रेगुलर बेंच फैसला करेगी। बेंच इस फैक्ट की जांच करेगी कि क्या एएमयू को अल्पसंख्यकों ने स्थापित किया था। सुप्रीम कोर्ट ने अजीज बाशा केश में कहा था कि एएमयू सेंट्रल यूनिवर्सिटी है। इसकी स्थापना न तो अल्पसंख्यकों ने की थी, न ही उसका संचालन किया था। सुप्रीम कोर्ट के ही तीन जजों की बेंच अब इसी पर फैसला सुनाएगी। वहीं, लोगों का कहना है कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने इस यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए 1929 में 3.04 एकड़ जमीन दान दी थी। ऐसे में इस यूनिवर्सिटी के संस्थापक से सिर्फ सर सैयद अहमद खान का नहीं बल्कि राजा महेंद्र प्रताप सिंह भी हैं।