कटेहरी में तीन दशक का सूखा होगा खत्म! : निर्णायक भूमिका में यादव-ठाकुर, निषाद और राजभर, 92 के बाद भाजपा को नहीं मिली जीत

UPT | katehari By Election 2024

Oct 24, 2024 17:47

यह सीट बीजेपी के लिए खास महत्व रखती है, क्योंकि यहां अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। जातिगत समीकरण को ध्यान में रखते हुए सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीतियों को तैयार कर रहे हैं...

Short Highlights
  • कटेहरी विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रत्याशी घोषित
  • कटेहरी में जातीय समीकरण बहुत महत्वपूर्ण 
  • भाजपा ने धर्मराज निषाद को बनाया प्रत्याशी
Ambedkar nagar News : उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा उपचुनाव को लेकर कटेहरी सीट पर सभी पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है। उपचुनाव के मद्देनजर, कटेहरी सीट को भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस सीट का जातीय समीकरण बहुत महत्वपूर्ण है और जो भी पार्टी विभिन्न जातियों को संतुष्ट करने में सफल होगी, उसकी जीत सुनिश्चित मानी जा रही है। यह सीट बीजेपी के लिए खास महत्व रखती है, क्योंकि यहां अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। जातिगत समीकरण को ध्यान में रखते हुए सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीतियों को तैयार कर रहे हैं।

भाजपा ने  धर्मराज निषाद पर लगाया दांव
कटेहरी विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव के लिए बीजेपी ने धर्मराज निषाद को अपना प्रत्याशी घोषित किया है, जिससे चुनावी मुकाबला और दिलचस्प हो गया है। धर्मराज निषाद ने कटेहरी से तीन बार विधायक रहने का अनुभव हासिल किया है और यह सीट उनकी पारंपरिक सीट मानी जाती है। उन्होंने सभी चुनाव बसपा के टिकट पर लड़े थे और पार्टी के प्रमुख नेताओं में गिने जाते थे। साल 2018 में, धर्मराज निषाद ने बसपा को छोड़कर बीजेपी में शामिल होने का निर्णय लिया। 2022 में उन्हें अकबरपुर विधानसभा के लिए बीजेपी का प्रत्याशी बनाया गया, लेकिन वहां उन्हें सपा के रामअचल राजभर से हार का सामना करना पड़ा। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत 1996 में हुई। उन्होंने बसपा के टिकट पर कटेहरी से विधायक बनकर अपनी पहचान बनाई। इसके बाद, 2002 में भी उन्होंने इसी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर फिर से विधायक बने। 2007 में जब वह तीसरी बार विधायक बने, तब मायावती ने उन्हें मंत्री के पद पर नियुक्त किया और वह 2007 से 2012 तक इस पद पर कार्यरत रहे, जहां उन्होंने कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम किया।



सपा ने शोभावती वर्मा पर जताया भरोसा
समाजवादी पार्ट ने कटेहरी विधानसभा क्षेत्र उपचुनाव के लिए शोभवती वर्मा को चुना है। शोभावती वर्मा, पूर्व मंत्री और अम्बेडकर नगर के सांसद लालजी वर्मा की पत्नी हैं। यह सीट उनके इस्तीफे के कारण खाली हुई है और समाजवादी पार्टी ने यहां परिवार के एक सदस्य को टिकट दिया है। शोभावती वर्मा वर्तमान में जिला पंचायत की अध्यक्ष हैं और कटेहरी प्रथम से जिला पंचायत चुनाव में जीत हासिल कर चुकी हैं। उन्होंने बसपा के प्रत्याशी के रूप में बीजेपी समर्थित राम उजागर अग्रहरि को 6,066 वोटों से हराया। 2022 विधानसभा चुनाव से पहले, लालजी वर्मा ने समाजवादी पार्टी में शामिल होकर साइकिल चुनाव चिन्ह को अपनाया। उसी साल, सपा ने उन्हें कटेहरी सीट से प्रत्याशी बनाया, जहां उन्होंने शानदार जीत दर्ज की। इसके बाद लोकसभा चुनाव में भी लालजी वर्मा ने सफलता पाई, जिससे कटेहरी विधानसभा सीट अब खाली हो गई है। जिसमें समाजवादी पार्टी ने शोभावती वर्मा को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। यह चुनाव उनके राजनीतिक परिवार के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

बसपा ने अमित वर्मा को दिया मौका
बहुजन समाज पार्टी ने कटेहरी विधानसभा क्षेत्र उपचुनाव के लिए अमित वर्मा को चुना है। अमित वर्मा हाल ही में कांग्रेस जिलाध्यक्ष का पद छोड़कर बसपा में शामिल हुए हैं और अब उन्हें कटेहरी विधानसभा का प्रभारी नियुक्त किया गया है। अमित वर्मा ने 2005 में पहली बार जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा, लेकिन उस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें कटेहरी से अपना प्रत्याशी बनाया, जहां पार्टी को लगभग 12,000 वोट मिले। साल 2020 में उन्हें कांग्रेस का जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया। हालांकि, करीब दो महीने पहले उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बसपा को अपने राजनीतिक भविष्य के लिए चुना।  अब बसपा की तरफ से उन्हें कटेहरी सीट के प्रभारी के रूप में भूमिका निभाने का मौका मिला है।

जातिगत समीकरण निभा सकता है निर्णायक भूमिका 
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कटेहरी विधानसभा सीट पर बीजेपी की जीत की जिम्मेदारी स्वयं उठाई है। इस सीट का जातीय समीकरण भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जो भी पार्टी विभिन्न जातियों को संतुष्ट कर लेगी, उसकी जीत सुनिश्चित है। कटेहरी सीट पर जातिगत समीकरण की बात करें तो ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या 50,000 है, जबकि क्षत्रिय मतदाता 30,000, कुर्मी 45,000, मुस्लिम 40,000 और यादव 22,000 हैं। इसके अलावा, निषाद समुदाय के 30,000, राजभर के 20,000, मौर्य के 10,000, पाल के 7,000, बनिया के 15,000, कुम्हार/कहार के 6,000 और अन्य जातियों के 25,000 मतदाता हैं। 

13 नवंबर को होगा चुनाव
चुनाव 13 नवंबर को कटेहरी में आयोजित किया जाएगा, जिसमें 280 मतदान केंद्रों पर 425 बूथों के माध्यम से मतदान होगा। इस चुनाव में कुल 400,875 मतदाता भाग ले सकेंगे, जिनमें 2,10,568 पुरुष और 1,90,306 महिला मतदाता शामिल हैं। इसके अलावा, एक थर्ड जेंडर मतदाता को भी मतदान का अधिकार दिया जाएगा। 85 वर्ष से अधिक आयु के 2,560 मतदाता हैं, जिन्हें घर पर मतदान करने की सुविधा प्रदान की जाएगी। इसके अलावा, कुल 3,381 चिह्नित दिव्यांग मतदाता भी इस प्रक्रिया का हिस्सा बन सकेंगे। 

25  नवंबर तक भरे जाएंगे नामांकन
इसके लिए नामांकन की प्रक्रिया 25 अक्टूबर तक चलेगी। नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे, जो कि चुनावी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। उपचुनाव केवल कटेहरी सीट पर नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर हो रहे हैं। इनमें फूलपुर, गाजियाबाद, मझवां, खैर, मीरापुर, सीसामऊ, कटेहरी, करहल और कुंदरकी शामिल हैं। यह चुनावी स्थिति राजनीतिक दलों के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।

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