फास्टैग ओवरचार्जिंग मामला : अहमदपुर टोल प्लाजा पर वसूला गया अधिक पैसा, 30 दिन के भीतर देने होंगे रुपए

UPT | अहमदपुर टोल प्लाजा

Dec 19, 2024 14:38

श्याम नारायण सिंह ने अपनी शिकायत में बताया कि जब वे बाराबंकी जिले के अहमदपुर टोल प्लाजा पहुंचे, तो उनके फास्टैग को अपडेट न करने का कारण बताते हुए उनसे 190 रुपये का टोल शुल्क लिया गया।

Barabanki News : गोरखपुर-लखनऊ हाईवे पर स्थित बाराबंकी जिले के अहमदपुर टोल प्लाजा द्वारा की गई अधिक टोल वसूली पर जिला उपभोक्ता न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाया है। न्यायाधीश अमरजीत वर्मा ने इस मामले में टोल प्लाजा प्रबंधन को 3.40 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया। यह आदेश एक वरिष्ठ नागरिक के साथ हुई मनमानी वसूली के बाद आया है, जिसने इस मामले को न्यायालय में उठाया था।

टोल वसूली में अनियमितता
यह मामला जिले के पैकोलिया थाना क्षेत्र के निवासी श्याम नारायण सिंह द्वारा दायर किया गया था। श्याम नारायण सिंह 24 दिसंबर 2020 को अपने चार पहिया वाहन से लखनऊ से अयोध्या लौट रहे थे, और उनके वाहन में फास्टैग सिस्टम लगा हुआ था। श्याम नारायण सिंह ने अपनी शिकायत में बताया कि जब वे बाराबंकी जिले के अहमदपुर टोल प्लाजा पहुंचे, तो उनके फास्टैग को अपडेट न करने का कारण बताते हुए उनसे 190 रुपये का टोल शुल्क लिया गया। इस शुल्क की रसीद भी उन्हें दी गई। जबकि एक दिन पहले जब वे लखनऊ जा रहे थे, तो उसी फास्टैग से केवल 95 रुपये की वसूली हुई थी। इस प्रकार टोल प्लाजा कर्मचारियों ने जानबूझकर अतिरिक्त राशि की वसूली की, जिसे श्याम नारायण सिंह ने गलत ठहराया और उपभोक्ता न्यायालय में मामला दायर किया।



अधिवक्ता संजीव भट्टाचार्य न्यायालय में दिया तर्क
उनके अधिवक्ता संजीव भट्टाचार्य ने न्यायालय में तर्क दिया कि श्याम नारायण सिंह एक वरिष्ठ नागरिक हैं और उनका फास्टैग पूरी तरह से अपडेट था। इसके बावजूद टोल प्लाजा कर्मचारियों ने उनकी सहमति के बिना अतिरिक्त राशि की वसूली की, जिससे उन्हें मानसिक और शारीरिक पीड़ा का सामना करना पड़ा।

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न्यायालय का फैसला
जिला उपभोक्ता न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई करते हुए टोल प्लाजा प्रबंधन को दोषी ठहराया। न्यायाधीश अमरजीत वर्मा और सदस्य अजय प्रकाश सिंह ने फैसला सुनाते हुए कहा कि टोल प्लाजा प्रबंधन ने श्याम नारायण सिंह को आर्थिक, मानसिक और शारीरिक नुकसान पहुंचाया है। इसके परिणामस्वरूप टोल प्लाजा को परिवादी को तीन लाख रुपये मानसिक एवं शारीरिक पीड़ा के लिए, 20 हजार रुपये पत्राचार और भागदौड़ के खर्च के लिए, 10 हजार रुपये अधिवक्ता शुल्क के रूप में और 10 हजार रुपये वाद व्यय के रूप में क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया। यह आदेश पारित होते ही टोल प्लाजा प्रबंधन को 30 दिन के भीतर यह राशि श्याम नारायण सिंह को देने का निर्देश दिया गया।

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