Ballia News : जिला कारागार में अव्यवस्था के कारण गैर जनपद भेजे जा रहे बंदी, 100 बंदियों को अन्यत्र भेजा गया

UPT | प्रतीकात्मक फोटो

Jul 29, 2024 14:55

इस साल भी जिला जेल में निरुद्ध बंदियों को यहां से दूसरे जनपद भेजने की कवायत जारी है। जिला कारागार बलिया से एक महीने में सैकड़ों कैदियों को गैर जनपद…

Ballia News : 107 साल पहले अंग्रेजों ने जिला जेल बलिया की स्थापना की थी। इस ऐतिहासिक जेल में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के अनगिनत इतिहास दफन हैं। लेकिन अब इसका अस्तित्व खतरे में है। पिछले दो सालों से तेज बारिश एवं जिला कारागार के बैरकों में पानी घुसने से बंदियों को गैर जनपदों की जेलों में शिफ्ट किया जाता है। इस साल भी जिला जेल में निरुद्ध बंदियों को यहां से दूसरे जनपद भेजने की कवायद जारी है। जिला कारागार बलिया से एक महीने में सैकड़ों कैदियों को गैर जनपद भेजा गया है। आज एक बार फिर चार वाहनों से 100 से अधिक बंदियों को मऊ जिला जेल में शिफ्ट किया गया।

जेल को खाली कराने की प्रक्रिया काफी दिनों से चल रही
 देखा जाए तो जेल को खाली कराने की प्रक्रिया काफी दिनों से चल रही है। बारिश एवं जर्जर भवन तो मुद्दा भर है। यहां से गैर जनपद बंदियों को शिफ्ट करने और जेल को खली किए जाने के पीछे कोई और योजना फल-फूल रही है। ऐसी भी चर्चा है। क्योंकि कोरोना काल के समय से ही जेल में अव्यवस्था व्याप्त है। अतिवृष्टि के समय जेल की बैरकों में पानी का होना एवं मानक के दोगुना से ज्यादा बंदियों का जेल में रखना जाना लंबे समय से चलता रहा है। यह जेल प्रशासन के लिए भी परेशानी का सबब बना हुआ है। इन दिनों भीषण गर्मी में जेल के जर्जर भवन में रहना बंदियों के लिए काफी कठिन है। सबकुछ के बाद भी निर्माण और मरम्मत कर व्यवस्था को पटरी पर लाया जा सकता था। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।

जिला जेल से बंदियों को गैर जनपद स्थानांतरित करने एवं जेल को खाली करने का विरोध  
इस पर सिकंदरपुर विधायक मोहम्मद रिजवी एवं नपा के पूर्व अध्यक्ष संजय उपाध्याय ने जिला जेल से बंदियों को गैर जनपद स्थानांतरित करने एवं जेल को खाली करने का विरोध किया है। कहां की जिला जेल को वहां से हटाया गया तो बलिया बलिदान दिवस एवं सेनानियों का इतिहास मिट जाएगा। देखा जाए तो जेल का आकार व्यापक करने एवं बंदियों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए शासन के निर्देश के क्रम में जेल खाली करने की प्रक्रिया में चल रही है। चार पुलिस वैनों के माध्यम से आज सौ कैदियों को मऊ जनपद कारागार के लिए भारी सुरक्षा के बीच भेजा गया।

समस्या को कभी गभीरता से नहीं लिया गया
देखा जाए तो जिला जेल की क्षमता 339 बंदियों की है। जबकि करीब 800 बंदी यहां रहते आ रहे हैं। इसके बारे में जेल प्रशासन, जिला प्रशासन और विभागीय अधिकारियों को भी अवगत कराया गया था, लेकिन इस समस्या को कभी गभीरता से नहीं लिया गया और न ही समय रहते उसका सामाधान किया गया।

जंगे आजादी में अनेकों स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को रखने का गवाह
सनद रहे कि वर्ष 1917 में 14.6 एकड भूमि पर अंग्रेजी शासन द्वारा सिविल लाइन परिक्षेत्र और पुलिस लाइन के समीप जिला कारागार की स्थापना की गई। यह जेल जंगे आजादी में अनेकों स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को रखने का गवाह है। सत्याग्रह के दौरान जेल आंदोलनकारियों को बंदी बनाए जाने का साक्षी है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि पिछले कुछ दशकों में शहर का तेजी से विस्तार हुआ है। जेल के आस-पास अनेकों कालोनियां बनाई गई हैं। ऐसे में सुरक्षा की दृष्टी से जेल का निर्माण शहर से दूर होना जरूरी हो गया है। इसके लिए जिला प्रशासन का प्रयास जारी है। इस दिशा में कुछ हद तक सफलता भी मिली है। जनपद के नराणापाली में अभी भूमि का चिन्हाकन हुआ है। प्रशासन द्वारा जेल के लिए जमीन उपलब्ध कराने की कवायद चल रही है। धरातल पर इसकी तैयारी चल रही है। ऐसी स्थिति में जिला कारागार में निरूद्ध बंदियों को गैर जनपदों में शिफ्ट करना न्याय संगत नहीं लगता। जिला एवं जेल प्रशासन को तत्काल कोई वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए।

जेल के भवन निर्माण में काफी वक्त लगेगा
यह तय माना जा रहा है कि 1000 बंदियों की क्षमता वाले जेल के निर्माण में भूमि उपब्लध होने के बाद भी भवन निर्माण में काफी वक्त लगेगा। विशेषज्ञों का यहां तक कहना है कि कम से कम पांच से छह साल का वक्त लग सकता है। अब सवाल उठता है कि क्या इतन लंबे समय तक बंदी कहां रहेंगे ? क्या कुछ ही बंदियों को यहां रखा जाएगा या पूरा जेल खाली करा दिया जाएगा ? कहीं ऐसा तो नहीं कि इस दौरान जनपद जिला जेल विहीन रहेगा ? यह जिलेवासियों और विधिक व्यावसाय से जुडे लोगों के सामने यक्ष प्रश्न है। दूसरी तरफ सामान्य अपराधों में जेलों में बंद बंदियों के गरीब एवं साधन विहीन परिजनों के सामने एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो जाएगी। इस समस्या को लेकर जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों तथा बुद्धजीवियों को तत्काल विचार करना होगा। अन्यथा क्या होगा कहा नहीं जा सकता ?

जनपद को कारागार विहीन बनाने की गहरी साजिश
चर्चा है कि जनपद को कारागार विहीन बनाने की गहरी साजिश धीरे-धीरे तेज हो गई है। पहले मेडिकल कॉलेज और अब राजकीय इंटर कालेज के नाम पर जनपद की ऐतिहासिक धरोहर पर हथौड़ा चल सकता है। बलिया बलिदान दिवस की अमीट निशानी मिट सकती है। अब इसे लेकर बुद्धिजीवियों को सोचना होगा। बलिया में मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए रसड़ा के लोकप्रिय विधायक उमाशंकर सिंह ने भूमि उपलब्ध कराने की घोषणा की है। जिला कारागार परिसर अंतर्गत स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रीण भूमिका निभाते हुए शहादत को गले लगाने वाले अमर शहीद राजकुमार बाघ के शहादत दिवस और जन्म दिन पर वर्षो से जेल परिसर में समारोह का आयोजन होता रहा है। यह अब कहां होगा, यह यक्ष प्रश्न है ?

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