लोकसभा चुनाव 2024 : सपा ने आंवला लोकसभा सीट से नीरज मौर्य पर लगाया दांव, भाजपा सांसद धर्मेंद्र कश्यप को देंगे टक्कर, जानें कौन हैं पूर्व विधायक नीरज

UPT | सपा प्रत्याशी नीरज मौर्य

Feb 19, 2024 21:22

समाजवादी पार्टी (सपा) ने सोमवार को लोकसभा चुनाव के प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट जारी की है। इसमें बरेली की आंवला लोकसभा सीट से पूर्व विधायक नीरज मौर्य पर दांव लगाया है।

Bareilly news : समाजवादी पार्टी (सपा) ने सोमवार को लोकसभा चुनाव के प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट जारी की है। इसमें बरेली की आंवला लोकसभा सीट से पूर्व विधायक नीरज मौर्य पर दांव लगाया है। लखनऊ निवासी नीरज मौर्य शाहजहांपुर की जलालाबाद विधानसभा सीट से वर्ष 2007, और 2012 में विधायक चुने गए थे। मगर, 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के पूर्व विधायक शरद वीर सिंह से चुनाव हार गए थे। उन्हे पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य का खास माना जाता है। स्वामी प्रसाद मौर्य के भाजपा में शामिल होने के बाद नीरज मौर्य भी भाजपा सरकार आने के बाद भाजपाई हो गए थे, लेकिन वर्ष 2022 में सपा में स्वामी प्रसाद मौर्य के आने के बाद नीरज मौर्य भी सपा में शामिल हो गए। उनको सपा ने जलालाबाद विधानसभा के वर्तमान विधायक शरदवीर सिंह के स्थान पर वर्ष 2022 का चुनाव लड़ाया था। मगर, भाजपा प्रत्याशी हरी प्रकाश वर्मा से करीबी मुकाबले में चुनाव हार गए थे। इसके बाद सपा ने पिछले दिनों नीरज मौर्य को आंवला लोकसभा का प्रभारी बना दिया था। वह आंवला में प्रभारी की हैसियत से मेहनत में जुटे थे। 

अगम, और नीरज थे मजबूत दावेदार
आंवला लोकसभा में कश्यप बिरादरी से अधिक मौर्य बिरादरी बताई जाती है। यहां से वर्ष 2014, और 2019 लोकसभा चुनाव में कश्यप जाति के धर्मेंद्र कश्यप चुनाव जीतकर सांसद बन चुके हैं। इस सीट से बिथरी, और आंवला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके अगम मौर्य ने भी लोकसभा चुनाव के टिकट को आवेदन किया था। इसके साथ ही नीरज मौर्य ने भी टिकट पर दावा ठोका था। कई अन्य भी दावेदार थे। मगर, नीरज मौर्य को टिकट मिला है। आंवला सीट पर बसपा के टिकट पर वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ने वाले पूर्व विधायक सिनोद शाक्य और 2004 में सुधीर मौर्य ने बसपा के टिकट पर मजबूत टक्कर दी थी। 

आंवला सीट पर भाजपा की महिला नेत्री ने भी ठोका दावा
बरेली मंडल में 5 लोकसभा सीट हैं। यहां की सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा है, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 में 3 सांसदों के टिकट कटना तय हैं। इसके बाद नए दावेदार अपनी अपनी दावेदारी पेश कर हैं। हालांकि, बरेली और आंवला लोकसभा सीट पर सीटिंग सांसदों का टिकट तय माना जा रहा है। बरेली लोकसभा सीट से सांसद एवं पूर्व मंत्री संतोष कुमार गंगवार और आंवला लोकसभा सीट से सांसद धर्मेंद्र कश्यप को भाजपा एक बार फिर चुनाव लड़ाने की कोशिश में है। उनके टिकट को लेकर जातिगत समीकरण साधने के लिए बरेली में ब्राह्मण और आंवला में ठाकुर समाज के नेता के हाथ में संगठन की कमान दी है। मगर, कुछ दिन पहले आंवला लोकसभा सीट से एक महिला नेत्री ने टिकट का दावा पेश किया था। यह महिला यूपी के एक बड़े सियासी घराने की बहू है। ससुराल ओबीसी जाति में है, लेकिन खुद सवर्ण जाति से हैं। जातिगत समीकरणों के साथ आंवला लोकसभा से टिकट की दावेदारी पेश की है। इस सीट पर लंबे समय तक सवर्ण जाति के सांसदों का कब्जा रहा है। इसी को आधार बनाकर दावेदारी पेश की गई है। महिला नेत्री ने आंवला लोकसभा के जातिगत आंकड़े भी जुटाएं हैं। इसके साथ ही सजातीय समाज के लोगों से संपर्क साधा है।

लोकसभा में 18.50 लाख वोट
आंवला लोकसभा सीट पर करीब 18.50 लाख मतदाता हैं। इसमें 5 विधानसभा सीटें आती हैं। जिनमें शेखपुर, दातागंज, फरीदपुर, बिथरी चैनपुर और आंवला हैं.2022  के विधानसभा चुनाव में सभी 5 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है।

पहले लोकसभा चुनाव में हिंदू महासभा ने दर्ज की जीत
बरेली की आंवला लोकसभा सीट पर 1962 में पहली बार चुनाव हुए थे। मगर, यहां पहले चुनाव में सभी को चौंकाते हुए हिंदू महासभा के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। हालांकि, उसके बाद 1967, 1971 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी बड़े अंतर के साथ चुनाव जीतकर सदन पहुंचे थे। 1977 के चुनाव में चली सत्ता विरोधी लहर का असर यहां भी दिखा और भारतीय लोकदल ने जीत दर्ज की। 1980 में भी कांग्रेस को यहां से जीत नहीं मिल सकी और जनता पार्टी विजयी हुई।1984 में कांग्रेस यहां बड़े अंतर से जीती थी, मगर, 1984 के बाद से यहां कांग्रेस वापसी को तरस रही है।

सपा ने भी दर्ज की थी जीत
लोकसभा चुनाव 1989 और 1991 में भारतीय जनता पार्टी ने लगातार दो बार यहां से जीत दर्ज की।1996 के चुनाव में बीजेपी को यहां झटका लगा और क्षेत्रीय दल समाजवादी पार्टी के कुंवर सर्वराज सिंह ने जीत दर्ज की। इसके दो साल बाद हुए 1998 के चुनाव में एक बार फिर भाजपा ने यहां से जीत दर्ज की। 1999 का चुनाव समाजवादी पार्टी के हक में गया, लेकिन 2004 में जनता दल (यू) के टिकट पर सर्वराज सिंह एक बार फिर संसद पहुंचे। पिछले दो चुनाव में बीजेपी का इस सीट पर कब्जा है। 2009 का चुनाव मेनका गांधी ने यहां से जीता था। 2014 में इस सीट पर भाजपा को मोदी लहर का फायदा मिला और धर्मेंद्र कुमार कश्यप एकतरफा लड़ाई में जीते थे। यही हाल 2019 लोकसभा चुनाव में भी रहा है। उन्होंने सपा- बसपा महागठबंधन की प्रत्याशी रुचिविरा को करीब एक लाख वोट के अंतर से चुनाव हराया था। 2014 लोकसभा चुनावों के आंकड़ों के मुताबिक भाजपा के धर्मेंद्र कश्यप को 4,09,907 वोट मिले थे। इस चुनाव में दूसरे नंबर के उम्मीदवार सपा प्रत्याशी कुंवर सर्वराज सिंह थे। उन्हें 27.3 फीसद वोट मिले थे, जबकि भाजपा प्रत्याशी को 41 फीसद वोट मिले।

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