गोंडा में जीएसटी चोरी का खुलासा : ड्राइवर ने किया दावा- अधिकारी हर महीने लेते हैं 2 लाख की घूस

UPT | कच्ची बिल दिखाता ड्राइवर

Nov 17, 2024 16:41

गोंडा जिले में जीएसटी चोरी का एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें व्यापारी खुलेआम चोरी कर रहे हैं और सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देकर अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं...

Gonda News : गोंडा जिले में जीएसटी चोरी का एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें व्यापारी खुलेआम चोरी कर रहे हैं और सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देकर अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। यह मामला एक वायरल वीडियो के जरिए सामने आया, जिसमें एक वाहन चालक यह दावा करता है कि उसके मालिक द्वारा हर महीने सेल टैक्स अधिकारियों को 2 लाख रुपये की घूस दी जाती है, ताकि उनकी गाड़ियों को बिना किसी रुकावट के माल ले जाने दिया जाए। यह घटना गोंडा नगर कोतवाली क्षेत्र के गल्ला मंडी रोड की है, जहां अतीक ट्रेडिंग कंपनी से 1.60 लाख रुपये मूल्य का लोहे का एंगल बिना जीएसटी के भेजा जा रहा था।

वाहन चालक ने किया बड़ा खुलासा
चालक दीपक जायसवाल ने खुलासा किया कि उन्हें पक्की जीएसटी बिल के बजाय कच्ची बिल दी गई है, और उसमें मोबाइल नंबर लिखकर यह निर्देश दिया गया कि अगर कोई अधिकारी उन्हें रोके तो उनका नाम और फोन नंबर दिया जाए। वीडियो में चालक ने यह भी कहा कि कंपनी के मालिक ने सेल टैक्स अधिकारियों को हर महीने 2 लाख रुपये देने की बात कही और यह भी बताया कि प्रतिदिन 20-25 गाड़ियों में माल भेजा जाता है, जिससे करोड़ों का सामान बिना टैक्स के राज्य से बाहर जाता है।



राज्य कर विभाग ने जांच के आदेश दिए
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो के बाद गोंडा के राज्य कर विभाग ने जांच के आदेश दिए हैं। गोंडा के संयुक्त आयुक्त राजकुमार लाल ने मामले की जानकारी होने की पुष्टि करते हुए कहा कि जांच उपायुक्त अनुभव सिंह को सौंप दी गई है। उन्होंने कहा कि इस मामले में जो भी तथ्य सामने आएंगे उनके आधार पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। इस घटना के बाद राज्य कर विभाग ने जीएसटी चोरी और कर से जुड़े अन्य मामलों में कार्रवाई को तेज करने का संकल्प लिया है। हालांकि जब अतीक ट्रेडिंग कंपनी के मालिक से मामले पर प्रतिक्रिया लेने के लिए संपर्क किया गया, तो उन्होंने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और फोन काट दिया। इस मामले के सामने आने के बाद यह सवाल उठ रहा है कि कैसे व्यापारी और उनके कर्मचारी सार्वजनिक रूप से भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं और किस हद तक राज्य कर विभाग के अधिकारी इन गतिविधियों से प्रभावित हैं।

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