कोर्ट के आदेश की अवहेलना : कुशीनगर और देवरिया के डीएम व एसपी तलब, 19 दिसंबर तक स्पष्टीकरण मांगा

UPT | कोर्ट का आदेश

Dec 04, 2024 13:08

कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने के चलते कुशीनगर और देवरिया के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश ने इन दोनों जिलों के अधिकारियों को 19 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है।

Deoria News : कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने के चलते कुशीनगर और देवरिया के जिलाधिकारी (डीएम) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) को कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश बद्री विशाल पांडेय ने इन दोनों जिलों के अधिकारियों को 19 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है। इन अधिकारियों को यह बताना होगा कि उन्होंने कोर्ट के आदेश का पालन क्यों नहीं किया और इसके पीछे कौन सी परिस्थितियाँ रही हैं। 

क्या था मामला?
मामला कुशीनगर जनपद के हाटा कोतवाली थाना क्षेत्र के महुंई गांव के निवासी हरिवंश शर्मा का है, जो एक वारंटी हैं। परिवार न्यायालय ने इनकी गिरफ्तारी और संपत्ति कुर्क करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने आदेश दिया था कि वारंटी की संपत्ति को जब्त कर नीलाम करके छह लाख रुपये न्यायालय में जमा किए जाएं। 

हालांकि, हाटा के प्रभारी निरीक्षक ने न तो वारंटी को गिरफ्तार किया और न ही उनकी संपत्ति जब्त की। इसके बजाय, उन्होंने कोर्ट को रिपोर्ट भेज दी कि वारंटी मुंबई चला गया है। इस कार्यवाही से नाराज होकर परिवार न्यायालय ने कुशीनगर और देवरिया के डीएम और एसपी को पत्र भेजकर इस मामले में कार्रवाई करने का आदेश दिया। 

कोर्ट ने क्यों किया कड़ा रुख?
कोर्ट ने इस मामले को लेकर डीएम और एसपी की कार्यशैली पर सवाल उठाया। हाईकोर्ट ने इस मामले को शीघ्र निस्तारित करने का आदेश दिया था, लेकिन इसके बावजूद कुशीनगर और देवरिया के अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। कोर्ट ने यह आरोप लगाया कि अधिकारियों द्वारा भेजे गए रिमाइंडर पत्रों को नजरअंदाज किया गया। 

परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश ने यह भी कहा कि डीएम और एसपी का यह आचरण मनमाने कृत्य और तानाशाही रवैये को दर्शाता है, जो बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है। कोर्ट ने आदेश दिया कि दोनों जिलों के डीएम और एसपी को 19 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होकर इस मामले में स्पष्टीकरण देना होगा कि उन्होंने कोर्ट के आदेश का पालन क्यों नहीं किया। 

अधिकारियों को चेतावनी
अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि यदि 19 दिसंबर तक अधिकारियों द्वारा उचित स्पष्टीकरण नहीं दिया गया, तो इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह मामला ना केवल न्यायिक प्रक्रिया की अवहेलना का प्रतीक बन रहा है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के कारण न्यायालय के आदेशों का सम्मान नहीं किया जा रहा है।

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