गोरखपुर में निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर : तनावमुक्त जीवन मधुमेह नियंत्रण का मूलमंत्र- प्रो. जीएस तोमर

UPT | गुरु गोरक्षनाथ आयुर्विज्ञान संस्थान में निशुल्क स्वास्थ्य शिविर

Oct 29, 2024 13:00

सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठना, कम से कम 45 मिनट तक नियमित सैर करना और योगासन मधुमेह रोगियों के लिए अमृत के समान लाभकारी है। 40 मिली आंवले के रस में 5 ग्राम कच्ची हल्दी का चूर्ण मिलाकर सुबह नाश्ते से तुरंत पहले या बाद में लेने से...

Gorakhpur News : गोरखपुर में विश्व आयुर्वेद मिशन के अध्यक्ष प्रो. जीएस तोमर ने कहा कि वैश्विक परिदृश्य में मधुमेह रोगियों की लगातार बढ़ती संख्या गंभीर चिंता का विषय है। भारत में भी इन रोगियों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि देखी जा रही है। इसका मुख्य कारण हमारी जीवनशैली में बदलाव और तनाव है। ऐसे में मधुमेह से बचने का मूलमंत्र यही है कि हम तनाव मुक्त जीवनशैली अपनाएं।

शिविर में 165 मरीजों की जांच की
प्रो. तोमर गुरु गोरक्षनाथ आयुर्विज्ञान संस्थान (आयुर्वेद महाविद्यालय) से संबद्ध अस्पताल में आयोजित निशुल्क स्वास्थ्य शिविर में मरीजों की जांच कर परामर्श दे रहे थे। उन्होंने शिविर में 165 मरीजों की जांच की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज स्थिति इतनी भयावह है कि हर घर में कोई न कोई मधुमेह से पीड़ित है। मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति ही नहीं, बल्कि अधिकांश चिकित्सक भी ब्लड शुगर को नियंत्रित करने पर ध्यान देते हैं। जबकि जरूरत मधुमेह की घातक जटिलताओं से आंख, हृदय, गुर्दे और तंत्रिका जैसे महत्वपूर्ण अंगों को बचाने की है।


ब्रह्म मुहूर्त में जागना मधुमेह रोगियों के लिए लाभदायक 
प्रो. तोमर ने बताया कि आयुर्वेदिक औषधियां जहां एक ओर मधुमेह के उपचार में इंसुलिन के स्राव को बढ़ाती हैं, वहीं दूसरी ओर इंसुलिन के विरुद्ध बनने वाले एंटीबॉडी को रोककर इंसुलिन की क्रियाशीलता को बढ़ाकर इसे प्रभावी भी बनाती हैं। उन्होंने बताया कि सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठना, कम से कम 45 मिनट तक नियमित सैर करना और योगासन मधुमेह रोगियों के लिए अमृत के समान लाभकारी है। 40 मिली आंवले के रस में 5 ग्राम कच्ची हल्दी का चूर्ण मिलाकर सुबह नाश्ते से तुरंत पहले या बाद में लेने से मधुमेह में बहुत लाभ होता है।

मोटे अनाज से ग्लाइसेमिक इंडेक्स न्यूनतम होता है
प्रो. तोमर ने बताया कि मोटे अनाज खासकर जौ, चना, बाजरा, ज्वार, मक्का, रागी, सांवा, कोदो को काले गेहूं के साथ मिलाकर बनाई गई रोटी में न केवल ग्लाइसेमिक इंडेक्स न्यूनतम होता है बल्कि अधिक फाइबर होने के कारण यह मधुमेह को नियंत्रित करता है और हमारी आंतों (कोलन) को भी स्वस्थ रखता है। औषधियों में शुद्ध शिलाजीत और चंद्रप्रभा वटी का खूब प्रयोग होता है। बसंत कुसुमाकर रस, मधुमेह कल्प प्लस और बीजीआर-34 जैसी कारगर औषधियों का प्रयोग डॉक्टर से परामर्श के बाद खुराक के अनुसार किया जा सकता है

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