कार्तिक पूर्णिमा : राप्ती तट पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, पवित्र स्नान और दान-पुण्य का दिखा अनूठा संगम

UPT | राप्ती तट पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

Nov 15, 2024 09:33

कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गोरखपुर के राप्ती नदी के तट पर लाखों श्रद्धालु अपनी आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचे। भोर से ही श्रद्धालुओं का सिलसिला शुरू हो गया और सैकड़ों लोगों ने पवित्र नदी में स्नान कर भगवान भास्कर और अन्य देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की।

Gorakhpur News : कार्तिक पूर्णिमा पर गोरखपुर के राप्ती नदी के तट पर स्नान करने के लिए भोर से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पहुंचने लगी। लोगों ने पवित्र नदी में आस्था की डुबकी लगाई और भगवान भास्कर तथा अन्य देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की। लोगों ने गो-दान के साथ ही साथ गरीबों में दान कर पुण्य किया,वहीं राप्ती तट के किनारे मेला जैसा नजारा दिखा, चना-जलेबी, गुब्बारों-खिलौनों व घरेलू सामान की दुकानें सजी रहीं। श्रद्धालुओं ने स्नान-दान करने के बाद खरीदारी की। बच्चों ने मेले का खूब लुत्फ लिया। उत्सव का माहौल है। इस दौरान नगर निगम द्वारा घाट पर बेहतर व्यवस्था कराई गई थी। सुरक्षाकर्मी पूरी तरह मुस्तैद रहे और घाट पर सुरक्षा की दृष्टि से गहरे पानी के पहले बल्ली लगाकर बैरीकेडिंग कर दी गई थी। ताकि कोई श्रद्धालु गहरे पानी में न जाने पाए। बैरीकेडिंग के अंदर ही सभी को स्नान कर रहे थे।

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बैकुंठ नदी में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी 
महराजगंज के घुघली नगर के बैकुंठ नदी में कार्तिक पूर्णिमा पर हजारों श्रद्धालुओं ने नदी में आस्था की डुबकी लगाई और परंपरा के अनुरूप स्नान-ध्यान व दान कर पुण्य के भागी बने। नगर के बैकुंठ धाम पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी रही। घाटों पर भोर से ही श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है और नहान को लेकर गांव-गिरांव के लोगों में विशेष उत्साह देखा गया और नदी के तट पर मेले सा दृश्य रहा।


क्या है कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व
कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व हिंदू धर्म ग्रंथों में बहुत पवित्र माना गया है। इस मास के हर दिन को स्नान - दान के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा कार्तिक पूर्णिमा के नाम से जानी जाती है। इस दिन पवित्र नदी का स्नान, दीपदान, भगवान की पूजा, आरती, हवन और दान का बहुत महत्व है। मान्यता है कि आज के ही दिन भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार लिया था यानी सृष्टि की शुरुआत हुई इसीलिए आज के दिन देव दीपावली भी मनाई जाती है।

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