महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय : महिलाओं की सुरक्षा के लिए हुआ व्याख्यान, विशाखा गाइडलाइन पर चर्चा

UPT | महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय में "महिलाओं की सुरक्षा और विशाखा गाइडलाइन" पर आयोजित व्याख्यान के दौरान शिक्षकों और विद्यार्थियों की उपस्थिति।

Jan 03, 2025 17:34

महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, गोरखपुर में मिशन शक्ति फेज-5 के तहत महिलाओं की सुरक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण व्याख्यान आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट की विशाखा गाइडलाइन पर गहरी चर्चा की गई, जिससे कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए जागरूकता फैलाने का प्रयास किया गया।

Gorakhpur News : महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर में मिशन शक्ति फेज-5 के अंतर्गत शुक्रवार को सेक्सुअल हैरेसमेंट प्रिवेंशन: अकॉर्डिंग टू सुप्रीम कोर्ट विशाखा गाइडलाइन’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता संबद्ध विज्ञान संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रेरणा अदिति ने कहा कि कार्यस्थल पर कामकाजी महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार, यौन अपराध, धमकी, अश्लील टिप्पणियां, गंदे इशारे, उत्पीड़न और यातना को यौन उत्पीड़न कहा जाता है।

कई महिलाएं इस गाइडलाइन से अनजान 
डॉ. प्रेरणा ने बताया कि कामकाजी महिलाओं को यौन अपराध, उत्पीड़न और प्रताड़ना से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने साल 2013 में विशाखा दिशानिर्देश को जारी किया था। हालांकि आज भी कई महिलाएं इस गाइडलाइन से अनजान हैं। विशाखा गाइडलाइन के तहत महिलाएं तुरंत शिकायत दर्ज करवा सकती हैं। इस गाइडलाइन को विशाखा और अन्य बनाम राजस्थान और भारत सरकार मामले के तौर पर भी जाना जाता है। राजस्थान के जयपुर में भंवरी देवी राज्य सरकार की महिला विकास कार्यक्रम के तहत कार्य करती थीं जो इस पूरी गाइडलाइन की केंद्र बिंदु है। 1992 में उनके साथ हुए दुष्कर्म के खिलाफ न्याय दिलाने के लिए कुछ गैर सरकारी संस्थाओं ने साथ मिलकर कर 1997 में विशाखा नाम से सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की। इस याचिका के तहत सुप्रीम कोर्ट ने यौन उत्पीड़न को परिभाषित करते हुए दिशा-निर्देश जारी किया। 

  
डॉ. प्रेरणा ने कहा कि साल 2012 में वर्कप्लेस बिल लाया गया जिसमें लिंग समानता, जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार को लेकर बड़े कानून बनाए गए। साल 2013 में सेक्सुअल हैरेसमेंट आफ वूमेन एट वर्कप्लेस एक्ट 2013 कानून पारित हुआ जिसे प्रिवेंशन, प्रोविजन और रिड्रेसल एक्ट भी कहा जाता है। इस गाइडलाइन के अनुसार 10 या 10 से अधिक कर्मचारी वाली कंपनी में इंटरनल कंपलेक्स कमेटी बनाना अनिवार्य है एवं कमेटी की अध्यक्षता महिला करेंगी तथा आधे से ज्यादा सदस्य महिला होगी जिसमें से एक सदस्य यौन शोषण एनजीओ में कार्यरत महिला होंगी। 

व्याख्यान में मौजूद रहे
व्याख्यान के दौरान डॉ. सुनील कुमार, डॉ. अनुपमा ओझा, डॉ. अमित दुबे, डॉ. पवन कुमार कनौजिया, डॉ. अवेद्यनाथ, डॉ. किरण, डॉ. कीर्ति, रश्मि झा, सृष्टि यदुवंशी, प्रज्ञा पांडेय, आशुतोष श्रीवास्तव, धनंजय पांडेय आदि मौजूद रहे।

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