GST विभाग की बड़ी कार्रवाई : टैक्स चोरी में फंसे फास्ट फूड आउटलेट्स और डेयरी फर्मों से 24 लाख की वसूली

UPT | झांसी में GST की टीम का बड़ा एक्शन

Jan 19, 2025 16:24

झांसी में GST विभाग ने फास्ट फूड आउटलेट्स और डेयरी प्रोडक्ट्स के सात स्थानों पर छापेमारी करते हुए 24.05 लाख रुपये की टैक्स चोरी का खुलासा किया। शुरुआती जांच में चार फर्मों के करोड़ों के टर्नओवर के बावजूद कम बिक्री दिखाने की गड़बड़ी पकड़ी गई है। टीम अब इन फर्मों के बैंक खातों और UPI लेनदेन की जांच कर रही है। पढ़ें पूरी खबर!

Jhansi News : राज्य वस्तु एवं सेवा कर (GST) विभाग ने शनिवार को झांसी में बड़े स्तर पर कार्रवाई करते हुए फास्ट फूड आउटलेट्स और डेयरी प्रोडक्ट्स के सात स्थानों पर छापा मारा। इस दौरान चार फर्मों द्वारा टैक्स चोरी का मामला उजागर हुआ। अधिकारियों ने इन स्थानों से बिक्री से जुड़े दस्तावेज जब्त किए और जांच में पता चला कि इन फर्मों पर 24.05 लाख रुपये का टैक्स बकाया है। GST डिप्टी कमिश्नर पुनीत अग्निहोत्री ने बताया कि इन फर्मों पर इस्तेमाल होने वाले मसाले और चावल सप्लाई करने वाले व्यापारियों के रिकॉर्ड खंगालने पर गड़बड़ियों का खुलासा हुआ। अब इन फर्मों के बैंक खातों की भी जांच की जा रही है।

फर्मों का टर्नओवर करोड़ों में, लेकिन दिखा रहे थे कम बिक्री
शनिवार को GST टीम ने 12 अधिकारियों के साथ अवध फूड्स के चार, न्यू अवध फूड्स, कुशवाहाजी फूड्स और नंदी बटर के एक-एक आउटलेट पर सर्वे किया। यहां बिक्री बिना GST बिल के की जा रही थी। टीम ने दस्तावेजों की जांच की, तो पता चला कि इन फर्मों का टर्नओवर करोड़ों में है, लेकिन बिक्री के रिकॉर्ड में गड़बड़ी करके टैक्स चोरी की जा रही थी।

24.05 लाख रुपये टैक्स जमा कराया गया
शुरुआती जांच में GST विभाग ने चार फर्मों से 24.05 लाख रुपये का टैक्स जमा कराया है। इसमें अवध फूड्स और कुशवाहाजी फूड्स से 10 लाख और 1.5 लाख रुपये, जबकि न्यू अवध फूड्स से 10 लाख और 5 लाख रुपये वसूले गए हैं।



बैंक अकाउंट और UPI रिकॉर्ड की हो रही जांच
डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि इन फर्मों ने अधिकांश बिक्री डिजिटल पेमेंट माध्यम जैसे UPI के जरिए की है। इसके लिए उनके बैंक अकाउंट की जांच की जा रही है। बैंकों को इस संबंध में पत्र भी भेजे जा रहे हैं।

सर्वे के पीछे ठोस सबूत
GST विभाग ने बताया कि जिन फर्मों पर सर्वे किया गया, उन पर पहले से ही विभाग की नजर थी। विभाग ने इनके सप्लायर्स के रिकॉर्ड खंगाले और गड़बड़ी मिलने के बाद यह कार्रवाई की।

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