झांसी अग्निकांड : नवजातों की मौत ने गोरखपुर हादसे की याद दिलाई, 50 से अधिक नौनिहालों की गई थी जान

UPT | आग लगने के बाद झांसी मेडिकल कॉलेज का वार्ड

Nov 16, 2024 17:56

उत्तर प्रदेश के झांसी में रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के शिशु वार्ड में हुई आगजनी ने एक बार फिर से गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज की घटना को याद दिला दिया है...

Jhansi News : उत्तर प्रदेश के झांसी में रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के शिशु वार्ड में हुई आगजनी ने एक बार फिर से गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज की घटना को याद दिला दिया है। जहां 2017 में ऑक्सीजन की कमी के चलते 50 से अधिक बच्चों की जान चली गई थी। झांसी के इस हादसे में 10 नवजात बच्चों की झुलसकर मौत हो गई।  जिसने हर किसी को हिलाकर रख दिया है।

गोरखपुर में ऐसे हुई थी घटना
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अगस्त 2017 में हुए हादसे ने पूरे प्रदेश को हिला दिया था। यहां 7 से 12 अगस्त के बीच अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के कारण 50 से अधिक बच्चों की जान गई थी। इसमें सामने आया था कि अस्पताल ने ऑक्सीजन की सप्लाई करने वाली फर्म का 69 लाख रुपये का भुगतान नहीं किया था, जिसके चलते ऑक्सीजन की सप्लाई रोक दी गई थी। इस मामले में अस्पताल के सेफलाइटिस वार्ड के इंचार्ज डॉ. कफील खान समेत 9 लोगों को आरोपी थे। जिन्हें नौ महीने जेल में बिताने पड़े। हालांकि बाद में कोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया था।



अस्पताल में आग बुझाने नहीं थे इंतजाम
अब झांसी के मेडिकल कॉलेज में हुए आगजनी की घटना ने उस समय की यादों को फिर से ताजा कर दिया है। जब आग लगी तब अस्पताल के शिशु वार्ड में 50  से अधिक नवजात बच्चे भर्ती थे। इसमें 10 बच्चों की मौत हो गई। इस घटना में 16 अन्य बच्चे घायल हो गए हैं, जिनका इलाज चल रहा है। अस्पताल में आग बुझाने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं थे और अग्निशामक उपकरण भी खराब पाए गए। आखिरकार इतनी गंभीर घटनाओं के बावजूद अस्पतालों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी क्यों की जा रही है।

घटना के बाद जागती है सरकार
झांसी अग्निकांड ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की जरूरत है। हर बार जब ऐसी घटनाएं होती हैं, तब सरकारें और अस्पताल प्रबंधन वादे करते हैं, लेकिन सुधार की गति बहुत धीमी रहती है। 

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