झांसी मेडिकल कॉलेज में आग का तांडव : दूसरों के बच्चों की बचाई जान, लेकिन अपने ही परिवार की तलाश में भटक रहे ये लोग

UPT | झांसी मेडिकल कॉलेज में आग

Nov 16, 2024 11:39

कृपाल का नवजात बच्चा भी उसी NICU वार्ड में भर्ती था। वह अस्पताल में बच्चे को दूध पिलाने के लिए गए थे, जब अचानक उन्होंने देखा कि वार्ड में आग लग गई है। कृपाल ने बताया कि अंदर का नजारा दिल दहला देने वाला था।

Jhansi News : झांसी स्थित महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा कक्ष (NICU) में लगी भीषण आग से 10 बच्चों की दर्दनाक मौत हुई है। लेकिन, इस भयावह स्थिति में पीड़ित व्यक्ति कृपाल समेत कई लोग मसीहा बनकर सामने आए। उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर नवजात शिशुओं को खिड़की तोड़कर बाहर निकाला। कुल मिलाकर इस हादसे में 40 बच्चों को NICU से सुरक्षित निकाला गया। कृपाल समेत कई लोगों की बहादुरी ने नवजात बच्चों, नर्स के अलावा कई लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया, लेकिन अब कृपाल की पत्नी और नवजात लापता है।

कृपाल की बहादुरी की कहानी
कृपाल का नवजात बच्चा भी उसी NICU वार्ड में भर्ती था। वह अस्पताल में बच्चे को दूध पिलाने के लिए गए थे, जब अचानक उन्होंने देखा कि वार्ड में आग लग गई है। कृपाल ने बताया कि अंदर का नजारा दिल दहला देने वाला था। आग तेजी से फैल रही थी, नर्स और बेड जल रहे थे। स्थिति बेहद डरावनी थी। कृपाल ने तुरंत कदम उठाते हुए शोर मचाया और आग बुझाने की कोशिश की। उन्होंने सबसे पहले नर्स को बचाया और फिर बच्चों को बाहर निकालने का काम शुरू किया। कृपाल ने अपने हाथों से 20 नवजात शिशुओं को खिड़की के जरिए बाहर निकाला। उनकी मदद से कुल 40 बच्चों को NICU से सुरक्षित बाहर लाया गया।

अपने बच्चे और पत्नी की तलाश में परेशान कृपाल
इतने बच्चों की जान बचाने वाले कृपाल खुद अपने बच्चे और पत्नी की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं। उनका कहना है कि अस्पताल प्रशासन से बार-बार जानकारी मांगने के बावजूद उन्हें कोई स्पष्ट उत्तर नहीं मिल रहा। कृपाल ने बताया कि यह घर का पहला बच्चा था, जिसकी खुशी पूरे परिवार में थी। शादी देर से हुई, इसलिए बच्चे का इंतजार परिवार को बहुत समय से था। बच्चे के जन्म के बाद डॉक्टर ने बताया कि उसे कुछ समस्याएं हैं, जिसके चलते उसे NICU में रखा गया। लेकिन अब मुझे नहीं पता कि मेरा बच्चा और मेरी पत्नी कहां हैं।

मां की पुकार 'मेरा बच्चा कहां है?'
एक 10 दिन के नवजात की मां ने अपनी बेबसी जाहिर करते हुए कहा कि मुझे नहीं पता मेरा बच्चा जिंदा है या मर गया। अस्पताल ने जले हुए बच्चों को दिखाया, लेकिन मैं उनमें अपने बच्चे की पहचान नहीं कर सकी। मेरी गोद अभी भी खाली है, और मैं बस जानना चाहती हूं कि मेरा बच्चा कहां है।

मसीहा बना पिता अपने बच्चे को ढूंढने में असमर्थ
एक और दर्दनाक कहानी कुलदीप की है, जो घटना के दौरान अपनी जान की परवाह किए बिना अन्य बच्चों की जान बचाने में जुट गए। कुलदीप ने अपने हाथों से चार-पांच बच्चों को एनआईसीयू वार्ड से बाहर निकाला, लेकिन अब वे खुद अपने बच्चे का पता नहीं लगा पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैंने दूसरों के बच्चों को बचाया, लेकिन आज मेरा बच्चा कहां है, यह मुझे नहीं पता। मुझे मेरा बच्चा चाहिए, यह मेरी सबसे बड़ी और आखिरी उम्मीद है।

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अस्पताल प्रशासन पर सवाल
कृपाल की इस दर्दभरी कहानी ने अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को उजागर कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस भयावह स्थिति में न तो कोई सही जानकारी दी जा रही है और न ही परिवारों को ढूंढ़ने में मदद की जा रही है।

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