Farrukhabad News : बसपा सुप्रीमो के समधियाने से चलती थी फर्रूखाबाद की राजनीति, जनाधार खिसकने से नहीं मिल रहा प्रभावशाली चेहरा

UPT | बसपा सुप्रीमो मायावती

Apr 12, 2024 13:12

फर्रूखाबाद में मायावती के समधियानें में लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं। पार्टी के पदाधिकारी प्रभावशाली चेहरे की तलाश कर रहे हैं। मंडल कॉर्डिनेटर बीते कई दिनों से जिले में डेरा जमाए हैं। 

Farrukhabad News : यूपी का फर्रूखाबाद जिला बसपा सुप्रीमों मायावती का समधियाना है। फर्रूखाबाद मायावती के भतीजे आकाश आनंद की ससुराल है। पार्टी का वर्ष 2007 में फर्रूखाबाद में खासा प्रभाव था, बसपा के तीन विधायकों ने जीत दर्ज की थी। आकाश आनंद की ससुराल से फर्रूखाबाद और कानपुर-बुंदेलखंड की राजनीति चलती थी। लेकिन इसके बाद बसपा का जनाधान लगातार खिसकता चला गया। आज पार्टी के ऐसे हालात हैं कि जिले में लोकसभा चुनाव में प्रभावशाली चेहरा नहीं मिल रहा है। पार्टी के पदाधिकारियों को प्रत्याशी की तलाश में भटकना पड़ रहा है।


मायावती के समधी डॉ अशोक सिद्धार्थ राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं। इसके बावजूद भी लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी की तलाश करने में कड़ी मसक्कत करनी पड़ रही है। बसपा के हाथी पर कोई भी दांव लगाने को तैयार नहीं है। पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता पुराने राजनीतिज्ञों और साधन संपन्न लोगों से संपर्क साध रहे हैं। इसके बाद भी बसपा को फर्रूखाबाद में प्रभावशाली चेहरा नहीं मिल रहा है।

आनंद की ससुराल में नहीं मिल रहे प्रत्याशी
बसपा के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद के ससुर डॉ अशोक सिद्धार्थ कायमगंज के रहने वाले हैं। विधानसभा चुनाव 2007 में बसपा ने फर्रूखाबाद की तीन सीटों पर शानदार जीत दर्ज की थी। जिसमें कायमगंज विधानसभा सीट से कुलदीप गंगवार, कमालगंज विधानसभा सीट ताहिर हुसैन सिद्दकी और सदर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अनंत कुमार मिश्रा उर्फ अंटू मिश्रा ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद से लगातार पार्टी का जनाधान गिरता चला गया। दो दशक बाद हालात यह हैं कि पार्टी को लोकसभा प्रत्याशी नहीं मिल रहा है।

बसपा की टिकट पर चुनाव लड़ने से इंकार
बसपा के पदाधिकारी 15 दिन पहले कांग्रेस के पूर्व विधायक और वरिष्ठ नेता के बेटे से मिलने के लिए गए थे। उन्हें पार्टी की तरफ से टिकट देने का ऑफर किया गया था। लेकिन उन्होंने बसपा की टिकट पर चुनाव लड़ने से साफ मना कर दिया। हालात यह है कि एक पार्षद पति से संपर्क किया जा रहा है। लेकिन वो भी लोकसभा चुनाव लड़ने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं। पार्टी ने एक ठेकेदार से भी संपर्क किया है। वहीं, मंडल कॉर्डिनेटर कई दिनों से जिले में डेरा जमाए हुए हैं। लेकिन बसपा को जाना-माना चेहरा नहीं मिल रहा है।

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