करियर का तनाव, परिवार का प्रेशर या कुछ और? : मनोचिकित्सक बोले- आवेश में नहीं लिया फैसला, आईआईटी छात्रा के सुसाइड की पहेली उलझी

UPT | करियर का तनाव, परिवार का प्रेशर या कुछ और

Oct 12, 2024 15:55

आईआईटी कानपुर की छात्रा प्रगति के सुसाइड मामले में पहेली उलझती ही जा रही है। वैसे तो पुलिस को मौके से 5 पेज का सुसाइड नोट मिला है, जिसमें छात्रा ने अपनी मौत को जिम्मेदार खुद को बताया है।

Short Highlights
  • छात्रा ने 5 पन्नों में लिखा था सुसाइड नोट
  • रोमन भाषा में लिखा था सुसाइड नोट
  • काउंसिलिंग का भी किया जिक्र
Kanpur News : आईआईटी कानपुर की छात्रा प्रगति के सुसाइड मामले में पहेली उलझती ही जा रही है। वैसे तो पुलिस को मौके से 5 पेज का सुसाइड नोट मिला है, जिसमें छात्रा ने अपनी मौत को जिम्मेदार खुद को बताया है। लेकिन इस घटना के बाद छात्रा के दोस्त और परिजन ये जानना चाहते हैं कि आखिर अगर उसे तनाव था तो किस बात का और उसने कभी किसी से इस बारे में चर्चा क्यों नहीं की। मनोचिकित्सक भी इस पहेली को समझने में लगे हैं।

रोमन भाषा में लिखा था सुसाइड नोट
दरअसल आईआईटी कानपुर की पीएचडी छात्रा ने हॉस्टल में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। पुलिस को घटना स्थल से 5 पन्नों का सुसाइड नोट भी मिला है। इसमें छात्रा ने जो कुछ भी लिखा है, उससे पता चलता है कि वह लंबे वक्त से तनाव में जी रही थी। प्रगति ने अपना सुसाइड नोट रोमन भाषा में लिखा है, मतलब हिंदी को अंग्रेजी में लिखा है। प्रगति ने लिखा है कि मैं आलसी हूं, दोस्त नहीं बना पाती, जिम नहीं जा पाती, दौड़ भी नहीं पाती।



काउंसिलिंग का भी किया जिक्र
प्रगति ने अपने सुसाइड नोट में एक घटना का भी जिक्र किया है। उसने लिखा- एक बार मैं क्लास में हंस रही थी, तो प्रोफेसर ने मुझे टोका। उन्हें पता नहीं क्या लगा, मुझसे बोले कि जाकर काउंसलिंग क्यों नहीं कराती। उन्हें क्या पता कि जीवन भर का डिप्रेशन है, काउंसलिंग के एक सेशन से थोड़े ही जाएगा। इस मामले में मनोचिकित्सक कहते हैं कि छात्र अक्सर काउसलिंग को मजाक समझ लेते हैं। उनके मुताबिक, कई छात्र या तो काउंसलिंग लेते ही नहीं। अगर लेते हैं, तो एक-दो सेशन के बाद थोड़ा सा भी ठीक महसूस करने पर कटने लगते हैं।

प्रगति पर किस बात का था दबाव?
मनोचिकित्सक की मानें, तो छात्रा ने आत्महत्या का फैसला आवेश में आकर नहीं लिया है। क्योंकि ऐसी स्थिति में कोई इतना लंबा सुसाइड नोट नहीं लिख पाता। वहीं सुसाइड के सवाल पर वह कहते हैं कि अक्सर ये कहा जाता है कि छात्र मेधावी था, इसलिए वह सुसाइड नहीं कर सकता। लेकिन ऐसा नहीं है। मेधावी होना अलग चीज है और आत्महत्या करना अलग। बल्कि मेधावी तो ज्यादा सेंसिटिव होते हैं, क्योंकि उन्होंने कभी फेलियर देखा ही नहीं है। इसलिए उन्हें छोटी-छोटी बातें भी परेशान कर देती हैं। उन्होंने कहा कि कई बार छात्रों पर करियर और कॉलेज के साथ-साथ परिवार और रिश्तेदारों का भी तनाव रहता है।

परिवार ने पुलिस पर लगाए आरोप
प्रगति के सुसाइड के बाद उसके साथी भी हैरान हैं। वहीं छात्रा के परिवार ने आरोप लगाया है कि उसका सुसाइड नोट पुलिस ने अपने पास रख लिया और यहां तक कि मोबाइल भी नहीं दिया। प्रगति की मां का कहना है कि आईआईटी प्रशासन ने ही उनकी बेटी की जान ली है। परिवार के लोग जल्द ही मैनेजमेंट और प्रोफेसरों से मुलाकात करेंगे।

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