नसीम सोलंकी की जीत के पीछे की इनसाइड स्टोरी : दो किरदारों ने निभाई अहम भूमिका, पहले डर को हराया फिर बीजेपी को

UPT | नसीम सोलंकी की जीत के पीछे की इनसाइड स्टोरी

Nov 24, 2024 20:20

कानपुर की सीसामऊ सीट पर समाजवादी पार्टी ने धमाकेदार जीत दर्ज की है। इस जीत के पीछे सपा के रणनीतिकार हैं, जिन्होंने ऐसी रणनीति तैयारी की जिसकी काट बीजेपी भी नहीं ढूंढ़ पाई। सपा ने जमीनी स्तर पर तैयारी की, जिसका परिणाम सभी के सामने है।

Short Highlights
  • सपा के रणनीतिकारों की काट नहीं ढूंढ़ पाई भाजपा
  • नसीम सोलंकी को इंडिया गठबंधन के एक-एक कार्यकर्ता ने पूरी ताकत से चुनाव लड़ाया है
  • सपा ने कार्यकर्ताओं के मन से पुलिस और प्रशासन का डर निकाला, फिर बीजेपी को हराया
Kanpur News : यूपी के कानपुर की सीसामऊ सीट पर सपा प्रत्याशी नसीम सोलंकी ने शानदार जीत दर्ज की है। नसीम सोलंकी की जीत के पीछे सपा के दो किरदारों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। सपा के पूर्व एमएलसी और सीसामऊ सह प्रभारी सुनील सिंह यादव साजन और आर्यनगर सीट से विधायक अमिताभ वाजपेई ने नसीम के चुनाव में रणनीति तैयारी की थी। जिसकी काट बीजेपी भी नहीं ढूंढ़ पाई। पीडीए का नारा देती आ रही सपा के रणनीतिकारों ने कई ऐसे तरीके भी अपनाए जो विपरीत परिस्थितियों में उनके काम आए।

सपा के दोनों रणनीतिकारों के सामने दो सबसे बड़ी चुनौतियां थीं। उनकी पार्टी को दो तरफ से लड़ाई लड़नी थी। रणनीतिकारों को दो तरफ से लड़ाई लड़नी पड़ी। पहले उन लोगों ने पार्टी कार्यकर्ताओं, समर्थकों और मतदाताओं के मन में जो डर था, उसे दूर कर उनके मन को मजबूत बनाया। इसके बाद सत्ताधारी दल से लड़ाई लड़ने के बाद उसे पराजित भी किया।

हौसला टूटने नहीं दिया 
सुनील साजन के मुताबिक सपा मुखिया अखिलेश यादव की यही रणनीति रही कि सभी जगह बराबर काम करना है। चाहे वह हिंदू क्षेत्र हो या फिर मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्र हों। सभी ने उसी रणनीति पर काम किया। पार्टी की पीडीए की रणनीति के तहत, उन लोगों के घर भी गए जिनके खिलाफ सरकार लगातार जुल्म कर रही थी। हमने किसी का हौसला नहीं टूटने दिया।

प्रशासन-पुलिस से लड़ने की बजाए चुप रहें 
सपा मुखिया अखिलेश यादव, सांसद डिंपल यादव और शिवपाल सिंह यादव ने यहां आकर मतदाताओं का हौसला बनाए रखा। यही वजह है कि विधानसभा की जनता अन्याय के खिलाफ एकजुट हुई। प्रदेश सरकार इरफान को जितना बड़ा अपराधी साबित करना चाह रही है, ऐसे वह हैं नहीं। इस बात को यहां की जनता जानती है। प्रशासन और पुलिस से लड़ने की बजाए चुप रहकर अपने लिए नए रास्ते निकालें।

मुस्लिम महिलाओं से अपील 
उन्होंने बताया कि हमने सड़क पर लड़ने की बजाए बूथों पर काम किया। हमारे सहयोगी दलों में कई गुट थे, सभी को एक साथ लेकर चले। हमने रणनीति के तहत मुस्लिम क्षेत्रों की महिलाओं से अपील की गई कि बुर्के की बजाए सामान्य कपड़ों में वोट देने के लिए निकलें। जिसमें सामने वाले की रणनीति फेल हो जाए, इसका फायदा भी मिला।

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