Kanpur News : मां बारा देवी को खुश करने के लिए हर दर्द को हंसकर सह लेते हैं भक्त, जानें कहानी... 

UPT | कानपुर का प्राचीन मां बारा देवी मंदिर।

Apr 08, 2024 15:05

देशभर में कल यानी मंगलवार से चैत्र नवरात्र का पर्व शुरू हो रहा है।कानपुर शहर में चैत्र नवरात्र को लेकर मंदिरों में माता के दर्शन को लेकर काफी प्रबंध किए जा रहे हैं। ताकि मंदिर में दर्शन करने आने...

Kanpur News : देशभर में कल यानी मंगलवार से चैत्र नवरात्र का पर्व शुरू हो रहा है।कानपुर शहर में चैत्र नवरात्र को लेकर मंदिरों में माता के दर्शन को लेकर काफी प्रबंध किए जा रहे हैं। ताकि मंदिर में दर्शन करने आने वाले भक्तों को किसी को तरह की समस्या न हो। चैत्र नवरात्र यूं तो पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है, लेकिन कानपुर में नवरात्रि के पर्व को लोग अपने ही अंदाज से मानते हैं। यह नजारा सड़कों पर देखने को मिलता है। इसके लिए लोग अपना खून बहाने से भी गुरेज नहीं करते हैं। कानपुर में इसका एक अनोखा नजारा देखने को मिलता है। मां बारा देवी पर आस्था रखने वाले श्रद्धालु स्वांग लगवाकर अपनी आस्था का अनूठा प्रदर्शन करते हैं। मां बारा देवी मंदिर की बात की जाए तो इस मंदिर का भी अपना एक अलग ही रोचक इतिहास है, जो किसी से नहीं छुपा है। आज हम आपको बताएंगे कि आखिर इस मंदिर का नाम बारादेवी क्यों पड़ा...।

अति प्राचीन है मंदिर
बारा देवी मंदिर के इतिहास को लेकर मंदिर के प्रबंधक रूपम ने बताया कि कानपुर में स्थित मां बारा देवी मंदिर बेहद पुराना और चमत्कारिक मंदिर है। यह मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना मंदिर है। इस मंदिर को लेकर यह कहानी है कि यहां पर 12 बहनें आकर रहने लगी थीं और वह पत्थर की बन गईं। तब से यह मंदिर पूजा जाने लगा। पिता से हुई अनबन और उनके कोप से बचने के लिए यह सब बहनें घर से निकल आईं थीं। बहनों के श्राप देने की वजह से उनके पिता भी पत्थर के हो गए। तब से यहां पर भक्तों की भीड़ लगने लगी। इस इलाके का नाम भी बारा देवी पड़ गया।

मां का श्रृंगार करते हैं भक्त
उन्होंने बताया कि इस मंदिर में हर वर्ष बहुत बड़ा मेला लगता है। लाखों की तादाद में भक्त यहां दर्शन करने के लिए आते हैं। जो लोग इस मंदिर में मन्नत मांगते हैं वह भी पूरी होती है। कुछ भक्त ऐसे भी हैं, जो मन्नत पूरी होने पर स्वांग और सुई लगवाकर पैदल मंदिर तक आते हैं। रूपम ने बताया कि बारा देवी मंदिर की सबसे खास बात यह है कि भक्त अपनी मनोकामना मानकर चुनरी बांधते हैं। नवरात्रि में सुबह से ही इस मंदिर पर लोगों की भीड़ लग जाती है। मुरादें पूरी होने के बाद भक्त यहां पर मां का श्रृंगार करते हैं।

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