Kanpur News: कानपुर आईआईटी और कुप्पम क्षेत्र विकास प्राधिकरण के बीच हुआ एमओयू,अब इन मुद्दों पर दोनों मिलकर करेंगे काम......

UPT | एमओयू करते दोनों संस्थान के लोग

Jan 16, 2025 18:56

कानपुर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और कुप्पम क्षेत्र विकास प्राधिकरण (KADA) ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू के निर्वाचन क्षेत्र कुप्पम को भारत का पहला नेट ज़ीरो निर्वाचन क्षेत्र बनाने के लिए आज गुरुवार को एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किया गया हैं।

 

Kanpur News: कानपुर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और कुप्पम क्षेत्र विकास प्राधिकरण (KADA) ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू के निर्वाचन क्षेत्र कुप्पम को भारत का पहला नेट ज़ीरो निर्वाचन क्षेत्र बनाने के लिए आज गुरुवार को एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किया गया हैं। इस ऐतिहासिक साझेदारी का उद्देश्य सस्टेनेबिलिटी को आगे बढ़ाना और क्षेत्र में नेट ज़ीरो उत्सर्जन, नेट ज़ीरो जल और नेट ज़ीरो अपशिष्ट को लक्षित करके संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने में योगदान देना है।

कोटक स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी के डीन ने दी जानकारी

कानपुर आईआईटी कोटक स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी के डीन प्रो. सच्चिदा नंद त्रिपाठी ने कहा, "आईआईटी कानपुर और कुप्पम क्षेत्र विकास प्राधिकरण (KADA) के बीच यह साझेदारी भारत में सस्टेनेबिलिटी को फिर से परिभाषित करने के लिए एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करती है। आईआईटी कानपुर की तकनीकी विशेषज्ञता और KADA के जमीनी दृष्टिकोण का लाभ उठाकर, हम अक्षय ऊर्जा, अपशिष्ट प्रबंधन और जल संरक्षण में अभिनव समाधानों को कार्यान्वित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह पहल इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे साझा विशेषज्ञता और एकीकृत दृष्टि देश भर में सतत विकास के लिए एक बेंचमार्क स्थापित करते हुए स्केलेबल और प्रभावशाली समाधानों को आगे बढ़ा सकती है।" 

एकीकृत करने के लिए करेंगे काम

उन्होंने कहा कि इस परियोजना का एक महत्वपूर्ण पहलू कुप्पम में आईआईटी कानपुर की टीम की जमीनी स्तर पर भागीदारी है, जहाँ वे स्थानीय प्रशासन, स्कूलों और कॉलेजों के साथ मिलकर शिक्षा में सस्टेनेबिलिटी के सिद्धांतों को एकीकृत करने के लिए काम करेंगे। यह जुड़ाव छात्रों और शिक्षकों को नेट ज़ीरो लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्रिय रूप से योगदान करने के लिए सशक्त करेगा, साथ ही समुदाय के भीतर सस्टेनेबिलिटी की गहरी समझ को बढ़ावा देगा। 

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