Oct 31, 2024 08:20
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दीप उत्सव का पर्व दीपावली आज गुरुवार को मनाया जाएगा। सुख समृद्धि व वैभव की प्राप्ति के लिए इस दिन लक्ष्मी गणेश जी के साथ धन के देवता कुबेर की भी पूजा की जाती है। इस बार गुरुवार को पूजन दो मुहूर्त में किया जा सकता है।गृहस्थ और व्यापारियों के लिए पहले शुभ मुहूर्त शाम 6:18 से रात 8:15 बजे तक रहेगा। वही दूसरा विशेष शुभ मुहूर्त 12:46 से 2:56 तक रहेगा।
Kanpur News: दीप उत्सव का पर्व दीपावली आज गुरुवार को मनाया जाएगा। सुख समृद्धि व वैभव की प्राप्ति के लिए इस दिन लक्ष्मी गणेश जी के साथ धन के देवता कुबेर की भी पूजा की जाती है। प्रदोषकाल और महानिशीथ काल का मिलन होने से दीपावली गुरुवार को ही है।इस बार गुरुवार को पूजन दो मुहूर्त में किया जा सकता है।गृहस्थ और व्यापारियों के लिए पहले शुभ मुहूर्त शाम 6:18 से रात 8:15 बजे तक रहेगा। वही दूसरा विशेष शुभ मुहूर्त 12:46 से 2:56 तक रहेगा।
ज्योतिषाचार्य ने दी जानकारी
ज्योतिषाचार्य पं. दिलीप तिवारी ने बताया कि दीपावली का पर्व प्रदोष काल एवं महानिशीथ काल व्यापनी अमावस्या में मनाया जाता है। प्रदोष काल का महत्व गृहस्थों और व्यापारियों के लिए तथा महानिशीथ काल का उपयोग आगमशास्त्र (तांत्रिक) विधि से पूजन करने वालों के लिए विशेष रहता है। दीपावली महालक्ष्मी की कृपा पाने का शुभ अवसर है। सही मुहूर्त पर पूजा करने से समृद्धि, शांति और कल्याण की प्राप्ति होती है। दीपावली कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रदोष व्यापिनी अमावस्या को मनाई जाती है। इस बार अमावस्या 31 अक्टूबर को दिन में 3:53 बजे से प्रारंभ होकर 1 नवंबर को शाम 6:16 बजे समाप्त होगी।
खगोलीय आधार पर निश्चित किये गए पर्व
वहीं उन्होंने बताया कि सनातन धर्म में सभी पर्व खगोलीय आधार पर निश्चित किए गए हैं। जिनमें तिथि, सूर्य व चंद्रमा का उनका विशेष राशि पर होना महत्वपूर्ण होता है। दीपावली पर भगवान सूर्य से नीचे राशि तुला में होते हैं और चंद्रमा के साथ होते हैं। खगोलीय स्थिति है जो काल को विशेष बनाती है और फल कारक बनती है।
लक्ष्मी का प्रतीक मानी जाती है कौड़ी
मां लक्ष्मी को कमल व केवड़े के फूल प्रिय है।कौड़ी माता लक्ष्मी का प्रतीक मानी जाती है। सफेद कौड़ी को हल्दी व केसर से रंग कर माता को अर्पित करने से धन वृद्धि होती है। अनाज,खील गट्टा,धनिया, हल्दी, धातु में सोना चांदी का सिक्का चढ़ाना चाहिए।फलों में अनार ,नारियल, गन्ना, शरीफा, केला आदि माँ को अर्पित करें।वहीं दीपावली की शाम पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए। इससे शनि दोष व कुंडली के सभी दोषों का निवारण होता है।