योगी और संगठन में फिर टकराव : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने विधान परिषद में रोका नजूल बिल, बोले- इस पर सहमति नहीं

UPT | सीएम योगी आदित्यनाथ और भूपेंद्र सिंह चौधरी

Aug 02, 2024 01:53

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास विभाग से जुड़ा नजूल बिल विधानसभा से पास हो चुका था, लेकिन विधान परिषद में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने इस पर असहमति जता दी।

Lucknow News : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा संगठन के बीच का टकराव गुरुवार को मानसून सत्र में खुलकर सामने आ गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास विभाग से जुड़ा नजूल बिल विधानसभा से पास हो चुका था, लेकिन विधान परिषद में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने इस पर असहमति जता दी। इस असहमति के चलते विधान परिषद में बिल रुक गया है। एमएलसी भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि इस मुद्दे पर अभी सहमति नहीं है और इसे प्रवर समिति में भेजने का आग्रह किया, जिसे विधान परिषद सभापति ने स्वीकार कर लिया।

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पहले डिप्टी सीएम ने भी दिया था बयान
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से यूपी में संगठन और सरकार के बीच मतभेद खुलकर सामने आ रहे हैं। इससे पहले, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने 29 जुलाई को भाजपा ओबीसी मोर्चा की कार्य समिति की बैठक में कहा था कि सरकार से बड़ा संगठन है और चुनाव पार्टी का संगठन जिताता है, सरकार नहीं। 14 जुलाई को भी मौर्य ने इसी तरह का बयान दिया था। कई मौकों पर उनके और मुख्यमंत्री योगी के बीच की तल्खी साफ नजर आई है।

प्रदेश अध्यक्ष ने बिल पर जताई असहमति
इस बार का मामला मुख्यमंत्री के विभाग का है, और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के कहने पर विधान परिषद में बिल रोक दिया गया है। अब यह बिल प्रवर समिति में जाएगा जहां लगभग दो महीने तक इस पर विचार-विमर्श किया जाएगा। इसके बाद इसमें संशोधन होंगे और तब यह बिल दोबारा विधान परिषद में आएगा, जिसका सीधा अर्थ है कि यह बिल अब शीतकालीन सत्र में ही पास हो सकेगा।

भाजपा के विधायकों ने भी किया विरोध
नजूल बिल को लेकर समाजवादी पार्टी के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने भी बुधवार को विधानसभा में विरोध किया था। इस संबंध में बड़ा हंगामा हुआ था। भाजपा के पूर्व मंत्री और प्रयागराज से विधायक सिद्धार्थनाथ सिंह ने भी इस मुद्दे पर विरोध किया था। इसके बावजूद बिल विधानसभा से पारित हो चुका था। गुरुवार को जब नजूल बिल पर विधान परिषद में चर्चा शुरू हुई तो विपक्ष ने इसका विरोध किया।



प्रवर समिति के पास भेजा बिल
विपक्ष का विरोध अपनी जगह था, मगर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और विधान परिषद सदस्य भूपेंद्र सिंह चौधरी ने भी इसे संतोषजनक नहीं बताया। उन्होंने विधान परिषद सभापति से अनुरोध किया कि इस बिल को प्रवर समिति के पास भेजा जाए, जहां इसका परीक्षण और संशोधन किया जाएगा। निश्चित तौर पर यह मामला सरकार बनाम संगठन का हो गया है। मुख्यमंत्री के आवास विभाग द्वारा लाए गए इस बिल को जिस तरह से भाजपा नेता नकार रहे हैं, इससे साफ है कि सरकार और संगठन के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

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सपा के आशुतोष भी सहमत
समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य आशुतोष सिन्हा का कहना है कि नजूल बिल के प्रावधान कुछ पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाए गए हैं। इसलिए इसका प्रवर समिति में जाना और लगभग दो महीने तक इसका परीक्षण होना बहुत जरूरी है। इसे अगले सत्र में ही पास किया जाना चाहिए।

क्या है नजूल बिल?
सदन में पेश किए गए नजूल बिल में राज्य सरकार की जमीनों की बात हो रही है। विभिन्न स्थानों पर इसका आवंटन अलग-अलग तरीकों से किया जाता है। कई बार नजूल की जमीन कब्जे के आधार पर भी आवंटित की जाती है। समय-समय पर नजूल की जमीनों को फ्री होल्ड भी किया जाता है। लेकिन इस बार के बिल में यह स्पष्ट था कि जो भी जमीन लीज की अवधि पूरी कर चुकी है उसे फ्री होल्ड नहीं किया जाएगा। सरकार इस जमीन को कब्जेदार से वापस लेकर उसका उपयोग करेगी। इस मुद्दे को लेकर भाजपा के सदस्य भी नजूल बिल का विरोध कर रहे हैं।

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