हर महीने बिजली के रेट तय करने को उपभोक्ता परिषद ने सुझाया नया फॉर्मूला : कहा- संशोधन नहीं होने पर साबित होगा काला कानून

UPT | UP Electricity Regulatory Commission

Sep 10, 2024 17:11

उपभोक्ता परिषद ने हर महीने ईंधन अधिभार शुल्क की गणना के फॉर्मूले पर सवाल उठाए हैं। अवधेश वर्मा ने इसमें नया क्लॉज जोड़ने की मांग की। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं के सरप्लस की दशा में ईंधन अधिभार शुल्क की राशि को उसमें से घटाया जाए। इसके बाद अगर हिसाब निकले तभी ईंधन अधिभार शुल्क आयोग की अनुमति से लागू किया जाए।

Lucknow News : उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने ईंधन अधिभार शुल्क पर बन रहे कानून का विरोध करते हुए संशोधन की मांग की है। संगठन के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने मंगलवार को इस संबंध में उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार और सदस्य संजय कुमार सिंह मुलाकात की और उन्हें प्रस्ताव सौंपा। केंद्र सरकार ने ईंधन अधिभार शुल्क हर माह विद्युत वितरण निगमों को तय करने का अधिकार देने के लिए नया कानून बनाया गया है। इसे उत्तर प्रदेश में लागू करने को लेकर 19 सितंबर को विद्युत नियामक आयोग में जन सुनवाई होगी। नया कानून बनने पर वितरण निगम हर महीने अपने स्तर पर ईंधन अधिभार शुल्क बढ़ा और घटा सकेंगे। इसलिए इसका​ अभी से विरोध शुरू हो गया है। कहा जा रहा है कि इससे उपभोक्ताओं की जेब पर पहले से ज्यादा भार पड़ेगा, जबकि फायदा नाम मात्र का होगा।

उपभोक्ताओं का सरप्लस होने पर ईंधन अधिभार शुल्क उसमें से घटाने का सुझाव
उपभोक्ता परिषद ने हर महीने ईंधन अधिभार शुल्क की गणना के फॉर्मूले पर सवाल उठाए हैं। अवधेश वर्मा ने इसमें नया क्लॉज जोड़ने की मांग की। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं के सरप्लस की दशा में ईंधन अधिभार शुल्क की राशि को उसमें से घटाया जाए। इसके बाद अगर हिसाब निकले तभी ईंधन अधिभार शुल्क आयोग की अनुमति से लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर अगर सितंबर के महीने में ईंधन अधिभार शुल्क के मद में उपभोक्ताओं से वसूली के लिए 1000 करोड़ रुपए निकलता है। ऐसे में विद्युत उपभोक्ताओं का जो पहले से 33122 करोड़ सरप्लस है, उसमें से इसे घटाया जाएगा। ऐसे में फिर भी 32122 करोड़ सरप्लस उपभोक्ताओं का रहेगा। उन्होंने कहा कि इस प्रकार से गणना की जाए, जिससे उपभोक्ताओं का हित सुरक्षित बना रहे।

अनिवार्य रूप से संशोधन की मांग
उपभोक्ता परिषद ने अपने प्रस्ताव में कहा कि यह कानून जिस प्रकार से प्रस्तावित है, यदि इस प्रकार से लागू कर दिया गया तो उपभोक्ताओं के लिए काला कानून साबित होगा। इसलिए इसमें अनिवार्य रूप से बदलाव या संशोधन किया जाए कि बिना आयोग की अनुमति के बिजली कंपनियां स्वत: वसूली कर लें, ऐसा नहीं होगा। अभी उत्तर प्रदेश में फ्यूल सरचार्ज बढ़वाने के लिए बिजली कंपनियों को हर तीन महीने में विद्युत नियाकम आयोग के पास जाना पड़ता है। नियामक आयोग ऐसे मामलों की सुनवाई कर फ्यूल सरचार्ज बढ़ाने या घटाने का आदेश जारी करता है। अब यह व्‍यवस्‍था बिजली कंपनियों को देने की तैयारी चल रही है। इससे कंपनियां खुद फ्यूल सरचार्ज तय कर सकेंगी। इसीलिए इसका विरोध किया जा रहा है।

मौजूदा फॉर्मूला उपभोक्ताओं के हित में नहीं
उपभोक्ता परिषद ने कहा कि वहीं वर्तमान में जो फॉर्मूला प्रस्तावित किया गया है, उस फॉर्मूले से कभी प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को लाभ तो नहीं मिलेगा, इसके विपरीत हर महीने उन पर भार जरूर पड़ जाएगा। यानी की मूल्य में वृद्धि होगी। हर महीने ईंधन अधिभार शुल्क की गणना करना संभव नहीं होगा, इसलिए इस व्यवस्था पर पुनर्विचार किया जाए। विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष व सदस्य ने कहा कि उपभोक्ता परिषद की दलीलों व आपत्तियों पर गौर करते हुए गंभीरता से विचार किया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि हर हाल में उपभोक्ताओं के हितों को संरक्षित रखा जाएगा।

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